झूठा प्रचार, जिहादी हथियार!
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

झूठा प्रचार, जिहादी हथियार!

भारत की प्रगति बाधित करने के लिए देश विरोधी ताकतें साइबर षड्यंत्र रचने के साथ कोरोना वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाकर लोगों में भय फैलाने में जुटीं। चुनाव में इसका लाभ उठाने में विपक्षी दलों के नेता भी पीछे नहीं

by रमेश शर्मा
May 8, 2024, 07:30 pm IST
in भारत, विश्लेषण
दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को धमकी भरे ईमेल से हड़कंप मचा रहा

दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को धमकी भरे ईमेल से हड़कंप मचा रहा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अभी पिछले दिनों भ्रामक खबरों और साइबर षड्यंत्र से भारत के सामाजिक जीवन में अस्थिरता पैदा करके विकास गति को कम करने के नए षड्यंत्र के संकेत मिले हैं। इसे दिल्ली-एनसीआर के विद्यालयों को मिले धमकी भरे ईमेल और समय निकल जाने के बाद भी कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के दुष्प्रचार से समझा जा सकता है। स्कूलों को ईमेल भेजकर षड्यंत्रकारियों ने कुछ समय के लिए ही सही, देशभर में तनाव की स्थिति तो बना ही दी थी। उनकी इस हरकत को चुनावी वातावरण को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। विकास गति को देखते हुए अनुमान है कि यह अगले 20 वर्ष में दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र होगा। यह समृद्धि केवल आर्थिक नहीं, अपितु सामरिक, तकनीकी, विज्ञान व अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी होगी। लेकिन भारत के आर्थिक विकास से विश्व की महाशक्तियां तो विचलित हैं ही, सामरिक समृद्धि से दो पड़ोसी, चीन व पाकिस्तान भी विचलित हैं।

भारत में घटने वाली सभी आतंकवादी घटनाओं और कूटरचित दुष्प्रचार के तार सदैव इन दोनों देशों तक गए हैं। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि इस्लामिक आतंकवादियों का केंद्र पाकिस्तान व माओवादी हिंसकों का केंद्र चीन है। इन दोनों प्रकार की हिंसा ने भारत की प्रगति को सदैव बाधित किया है। लेकिन पूर्व में भारत की कुछ सरकारें इन गतिविधियों के विरुद्ध प्रभावी कदम नहीं उठा सकीं।

अब सरकार ने इन दोनों दिशाओं में सख्ती से कदम उठाए हैं और घटनाओं को नियंत्रित किया है। यह मजहब संयोग नहीं है, बल्कि र्तमान नरेंद्र मोदी सरकार की इच्छाशक्ति ही है कि न केवल देश के भीतर घटने वाली आतंकवादी घटनाओं पर नियंत्रण हुआ और भारत का वैभव बढ़ा, अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा भी बढ़ी है।

देश में इन दिनों 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव चल रहे हैं। विकास के ये मुद्दे चुनावी वातावरण में भी हैं। दो चरणों का मतदान हो चुका है। तीसरे चरण की तैयारी चल रही है। इसी बीच, दो बड़े समाचारों ने पूरे देश में हलचल मचाई है। पहला समाचार दिल्ली एनसीआर क्षेत्र से आया। दिल्ली, नोएडा आदि क्षेत्र के 130 स्कूलों मे धमकी भरा ईमेल मिला। इसकी शब्द शैली इस्लामिक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की भाषा से मेल खाती है। आईएसआईएस की पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई साठगांठ होने के समाचार भी अक्सर आते रहे हैं। इस बार ईमेल भेजने के लिए अपनाई गई सर्वर तकनीक भी आधुनिक है।

दुनिया में भले ही इस्लामिक आतंकवादियों और माओवादियों की दिशाएं अलग हों, पर भारत में घटने वाली घटनाओं में दोनों विचार परस्पर पूरक दिखते हैं। इसे कुछ वर्ष पहले दिल्ली में आतंकवादी अफजल की मनाई गई बरसी से समझा जा सकता है, जिसमें इन दोनों धाराओं के तत्व शामिल थे। इससे यह संभावना प्रबल होती है कि स्कूलों को धमकी भरे ईमेल भेजने में दोनों तत्व शामिल हों। ईमेल में ‘अल्लाह के हुक्म से काफिरों को जलाने’ की बात लिखी गई है। ईमेल भेजने के लिए एक अस्थाई ‘ईमेल एड्रेस’ बनाया गया, रूसी सर्वर का इस्तेमाल किया गया और मेल भेजने के बाद ईमेल एड्रेस को हटा दिया गया। ईमेल भेजने का सिलसिला तड़के 3:30 बजे से 9:30 बजे तक चला। इससे पहले दिल्ली और नोएडा के अस्पतालों को भी ऐसे धमकी भरे ईमेल मिले थे।

भले ही ईमेल भेजने में रूसी सर्वर का उपयोग किया गया, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि ईमेल रूस से ही भेजे गए हों। तकनीक के विकास के चलते इस सर्वर का उपयोग दुनिया के किसी भी कोने से किया जा सकता है। हो सकता है इसका उपयोग भारत के ही किसी कोने से हुआ हो। गुप्तचर एजेंसियां, पुलिस व प्रशासन इन सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है, पर जांच में कुछ निकलेगा इसकी संभावना कम है। इस तरह के धमकी भरे ईमेल पहली बार नहीं मिले हैं। बीते एक वर्ष में देश के विभिन्न प्रांतों को ऐसे ईमेल चुके हैं, जिनमें चेन्नै और कर्नाटक के स्कूल भी हैं। सभी ईमेल इतने ‘हाईटेक’ थे कि जांच एजेंसियां किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकीं। एक मई को दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को मिले ईमेल भी हाईटेक हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस बार कुछ निष्कर्ष निकलेगा।

कोरोना वैक्सीन पर भ्रम

इसी तरह, चुनावी माहौल के बीच दूसरा समाचार लंदन से आया, जो कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का भ्रम फैलाने से जुड़ा है। हालांकि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की अवधि केवल छह माह है। यह अवधि बीतने के बाद एक याचिका दायर की गई, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट से उसके शरीर में खून के थक्के जमने लगे। इसके जवाब में वैक्सीन निर्माता ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटिश अदालत को बताया कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की अवधि निकल चुकी है।

हालांकि कंपनी ने अदालत के समक्ष यह स्वीकार किया कि कोविशील्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम का कारण बन सकती है, लेकिन यह बहुत दुर्लभ होता है। इसी फार्मूले पर भारत में कोविशील्ड वैक्सीन बनी थी, जिसकी खुराक 170 करोड़ भारतीयों को दी गई और लगभग 63 लाख लोगों की जान बची। भारत ने युद्ध स्तर पर वैक्सीन का निर्माण किया और अन्य देशों को भी भेजे। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सराहना हुई और अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने आभार जताया।

हालांकि इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर भारत या दुनिया के किसी देश से कोई समाचार कभी सामने नहीं आया। अमेरिकन सोसाइटी आफ हेमेटोलॉजी ने भी इस वैक्सीन पर शोध किया था। उसकी रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन से साइड इफेक्ट का खतरा 10 लाख लोगों में से अधिकतम केवल 13 लोगों को ही हो सकता है। इनमें भी दस लोग ठीक हो जाते हैं। इस तरह दस लाख लोगों में मौत की आशंका केवल एक की ही है। यह साइड इफेक्ट भी डोज लगने के 6 माह के भीतर ही होने की संभावना रहती है।

अब तो वैक्सीन को लगे दो वर्ष निकल गए। दुनिया के लगभग सभी चिकित्सा विशेषज्ञों ने दो वर्ष बाद आए इस समाचार को केवल भ्रामक बताया और कहा कि अब किसी को साइड इफेक्ट होने की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन ब्रिटेन में एस्ट्रोजेनेका द्वारा अदालत में दिए गए जवाब पर भारत में भ्रम फैलाया गया। इस समाचार पर जितनी चर्चा ब्रिटेन में नहीं हुई, उससे अधिक भारत में हुई। भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा यह स्पष्टीकरण देने के बावजूद कि साइड इफेक्ट की संभावना शून्य है, कुछ राजनीतिक दलों के नेता इसे चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गए। भले ही यह समाचार भ्रामक हो, लेकिन उन्हें मोदी सरकार पर राजनीतिक हमला बोलने का एक बहाना मिल गया।

उन्होंने इसकी परवाह भी नहीं की कि ऐसे बयानों से आम जन में भय उत्पन्न हो सकता है। उन्हें तो बस अपना स्वार्थ दिखाई दे रहा था। वैक्सीन मुद्दे पर किसे, कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा और किसे नुकसान होगा, यह तो थोड़े दिनों में पता चल जाएगा। लेकिन इस भ्रामक चर्चा ने आम जन के मन में आशंका का बीज बोया है, उससे उबरने में उन्हें समय लगेगा। राजनीति अपनी जगह है और राष्ट्रनीति अलग। स्कूलों को धमकी भरे ईमेल और वैक्सीन, दोनों मुद्दे राष्ट्रहित से संबंधित हैं।

ईमेल का सीधा उद्देश्य भारत में तनाव और सामाजिक अस्थिरता पैदा करना है ताकि भारत की विकास गति कम हो सके। कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट का भ्रामक प्रचार उस षड्यंत्र को और बल देगा। जिस कोविशील्ड से भारत में सबसे कम नुकसान हुआ, लाखों लोगों के प्राण बचे, पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी, उस वैक्सीन पर साइड इफेक्ट की अवधि निकल जाने के बाद प्रश्नचिह्न लगाने का क्या उद्देश्य है? इसे आसानी से समझा जा सकता है।

Topics: पाञ्चजन्य विशेषराष्ट्रनीतिसाइड इफेक्टराजनीतिक हमलाpoliticsSide Effectsमोदी सरकारPolitical AttackModi governmentकोविड वैक्सीनcovid VaccineराजनीतिNational Policy
Share26TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया

RSS के चौथे सरसंघचालक जी से जुड़ा रोचक प्रसंग: जब रज्जू भैया ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘दुगुनी गति से जीवन जी रहा हूं’

धर्मशाला में परम पावन दलाई लामा से आशीर्वाद लेते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री किरन रिजीजू

चीन मनमाने तरीके से तय करना चाहता है तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies