देहरादून । नैनीताल हाई कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका में राज्य सरकार को ये निर्देशित किया है कि वो सरकारी जमीनों से अतिक्रमण को हटाए और अतिक्रमण की सूचनाएं देने के लिए एक एप्प भी बनाएं।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के सभी नाले नदियों में अवैध कब्जे हो चुके है।देहरादून की सौ से ज्यादा मलिन बस्तियों पर बाहर के लोग आ कर बस गए है,जिस कारण जनसंख्या असंतुलन की समस्या से सरकार जूझ रही है। इस अतिक्रमण को हटाने में सबसे बड़ी बाधा राजनीतिक है, वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति ने सरकार की बेशकीमती जमीन को हड़प लिया है। जानकारी के मुताबिक राज्य बनने के बाद 2006 से बाहरी लोगो का राजनीतिक संरक्षण में बसना जारी है। जिस पर अब राज्य सरकार पर कारवाई करने का हाई कोर्ट से भी दबाव बन रहा है।
नैनीताल हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की बेंच ने सरकार को निर्देशित किया है कि वन, लोक निर्माण, सिंचाई और राजस्व विभाग की जमीनों पर हुए अतिक्रमण को तुरंत हटाए और अतिक्रमण की शिकायत करने के लिए लोगो को एक एप्प भी मुहिय्या कराए।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से 7 मई तक जवाब मांगा है।
देहरादून में रिस्पना, बिंदाल और अन्य नदियों नालों में जिसतरह से अवैध अतिक्रमण करते हुए अवैध बस्तियां बन गई है उससे न सिर्फ शहर बदसूरत हुआ है बल्कि पानी के निकासी के रास्ते भी अवरुद्ध हो गए है।
उत्तराखंड से बाहर के लोगो ने यहां पार्षदों विधायको और राजनेताओं के संरक्षण ने अवैध कब्जे कर लिए है।
नगर निगम भंग होते ही प्रशासन ने इन्हे हटाने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई लेकिन अतिक्रमण एक इंच भी नही हटा।बताया जाता है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनाव लडने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों के नेता इस अभियान के विरोध में खड़े हो रहे है।
जिला प्रशासन बिना फोर्स के कारवाई करने जाती और हल्के विरोध भर से ही लौट आती है। खास बात ये कि ये अतिक्रमण करने वालो के नाम मतदाता सूची में राजनीतिक दलों के नेताओ द्वारा दर्ज करवाए गए है जोकि वोट बैंक बन चुके है। देहरादून में ही सौ से अधिक स्थानों पर नदी नाले किनारे अवैध बस्तियां चिन्हित की गई है।
उधम सिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार जिले की चौदह नदियां और करीब दो दर्जन बरसाती नालों के किनारे हजारों बाहरी लोगो ने कब्जे किए हुए है और ये कब्जे बकायदा आगे बिकते जा रहे है। हल्द्वानी काठगोदाम में गौला नदी किनारे हजारों लोगो ने अवैध कब्जे किए हुए हैं।
मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी बार बार ये कहते रहे है कि उत्तराखंड में अतिक्रमण अभियान आगे भी चलता रहेगा, लेकिन उनके संकल्प को शासन प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा, जबकि पूर्व में करीब पांच हजार एकड़ भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त किया गया है जिससे मुख्यमंत्री धामी की छवि एक सख्त प्रशासक के रूप में भी उभरी है।
बरहाल राज्य प्रशासन हाई कोर्ट के निर्देशों और सीएम धामी के संकल्प को कैसे पूरा कराता है ये देखना अभी बाकि है।
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