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Bangladesh: हसीना के फिर PM बनने से चिढ़े मजहबी उन्मादी बना रहे हिंदुओं को निशाना

मजहबी उन्मादी तत्वों पर लगाम लगाने में हसीना सरकार उतनी सफल साबित नहीं हो रही है। हिन्दुओं पर रह—रहकर हमले जारी हैं

by WEB DESK
May 1, 2024, 01:00 pm IST
in विश्व
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भारत के पड़ोसी इस्लामी देश बांग्लादेश की राजधानी ढाका से एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है। गत जनवरी माह में बांग्लादेश में आम चुनाव सम्पन्न हुए थे, जिनमें शेख हसीना एक बार फिर प्रधानमंत्री चुनी गई थीं। इन चुनावों का विपक्षी दल खालिदा जिया की बीएनपी और कट्टर मजहबी जमाते इस्लामी ने बहिष्कार किया था। लेकिन बावजूद इसके, हसीना को बहुमत मिला और वे वहां प्रधानमंत्री बनी रहीं। अब उनकी सफलता से चिढ़े मजहबी उन्मादी फिर से हिन्दुओं को हिंसा का निशाना बना रहे हैं।

आकंड़े देखें तो पता चलता है कि पिछले 3 महीने के दौरान कम से कम छह जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय यानी हिन्दुओं को हिंसा का शिकार बनाया गया है। मजहबी उन्मादी जानते हैं कि उस देश में अल्पसंख्यकों को प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से ही उम्मीद है और वे वोट भी उसी पार्टी को देते हैं। उन्हें लगता है कि न तो खालिदा जिया की बीएनपी उनकी हिफाजत कर सकती है और न मजहबी कट्टरता से भरी जमाते इस्लामी। वे अधिकांशत: शेख हसीना के समर्थक हैं। इसलिए हिन्दू उस इस्लामी देश के मजहबी तत्वों के निशाने पर रहे हैं।

File Photo

जनवरी के चुनावों के बाद जिस प्रकार से हिन्दुओं को लक्षित किया गया है उसका ब्योरा चौंकाने वाला है। इससे एक और बात स्पष्ट दिख रही है कि ऐसे मजहबी उन्मादी तत्वों पर लगाम लगाने में हसीना सरकार उतनी सफल साबित नहीं हो रही है। हिन्दुओं पर रह—रहकर हमले जारी हैं और उनके सिर पर संकट सदा मंडराता रहता है।

बांग्लादेश में हिन्दू हित के लिए काम करने वाले अनेक अल्पसंख्यक संगठनों ने दावा किया है कि महीने में औसतन हिन्दुओं के प्रति हिंसक वारदातों के तीन मामले सुनाई देते हैं। ऐसा विशेष रूप से उस इस्लामी देश के छह जिलों में देखने में आ रहा है। ये जिले हैं बागेरहाट, कुश्तिया, गैबांधा, जेनैदाह, सिलहट, चटगांव और सिलहट। यहां के हिंदुओं के अंदर भय व्याप्त है लेकिन केन्द्र की हसीना सरकार की ओर से पर्याप्त सुरक्षा का आश्वासन ही है, व्यावहारिकता में पुलिस नाकाम दिखती है।

वहां हिन्दुओें के एक बड़े संगठन हिन्दू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद की ओर से कहा गया है कि आम चुनाव से पहले से हिन्दुओं को हिंसा का निशाना बनाया जा रहा था, लेकिन हसीना के चुने जाने के बाद तो अल्पसंख्यकों तथा मंदिरों पर हमले बढ़ते गए हैं। अपराधी मजहबी तत्वों के विरुद्ध पुलिस द्वारा कोई केस न चलाने की वजह से ऐसे तत्वों की हिमाकत बढ़ रही है। ये खुलेआम अपराध को अंजाम देकर साफ बच निकलते हैं। इस वजह से कट्टरपंथी गुटों की हिम्मत बढ़ती गई है। सरकार ध्यान दे और ऐसे मामलों पर कड़ी सजा दे तो शायद इस प्रकार के हमले रुक जाएं।

जनवरी में चुनाव सम्पन्न हुए और फरवरी में ही मौलवी बाजार स्थित कालीमंदिर में देवी की मूर्तियां तोड़ी गईं, मंदिर में रखे श्रृंगार के जेवरात चुराए गए। हालांकि इस घटना की जांच तो हो रही है लेकिन अभी तक अपराधी पकड़े नहीं गए हैं। इसके बाद मार्च में फरीदपुर के गोपालगंज सदर उपजिला में अपराधियों ने मंदिर में सेवा पूजा करने वाली एक महिला की गला घोंटकर हत्या कर दी। उस मंदिर से भी सोने के गहने लूटे गए।

इधर जनवरी में चुनाव सम्पन्न हुए और फरवरी में ही मौलवी बाजार स्थित कालीमंदिर में देवी की मूर्तियां तोड़ी गईं, मंदिर में रखे श्रृंगार के जेवरात चुराए गए। हालांकि इस घटना की जांच तो हो रही है लेकिन अभी तक अपराधी पकड़े नहीं गए हैं। इसके बाद मार्च में फरीदपुर के गोपालगंज सदर उपजिला में अपराधियों ने मंदिर में सेवा पूजा करने वाली एक महिला की गला घोंटकर हत्या कर दी। उस मंदिर से भी सोने के गहने लूटे गए।

Representational Image

मार्च 2024 में ही सिराजगंज में एक मजहबी उन्मादी ने स्थानीय काली मंदिर पर हमला करके कई मूर्तियां तोड़ दीं। अप्रैल माह में चटगांव के देवीद्वा नामक स्थान पर शराब में धुत एक मुस्लिम ने मंदिर में घुसकर जबरन पैसा लूटने की कोशिश की, उसने तीन लोगों को घायल कर दिया। उसके बाद से ही अपराधी फरार है। मामला दर्ज तो किया गया है लेकिन जांच में ढिलाई चिंता पैदा कर रही है।

अप्रैल के महीने में ही बारीसाल में राधा गोबिंद सेवाश्रम मंदिर पर उन्मादियों ने हमला बोला। पुलिस ने मामले को रफादफा करते हुए उसे हिंदू गुटों के बीच ही झगड़ा बता दिया। बाद में 23 अप्रैल के दिन ढाका के पास फरीदपुर के पंचपल्ली काली मंदिर में देवी की प्रतिमा को पहनाई गई धोती में आग लगा दी गई।

Topics: islamistबांग्लादेशSheikh Hasina#muslimdacca#hindubnpTempleawami leagueमुस्लिमattacksमंदिरहसीनाहिंदूjamatbangladeshminority
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