सुखद परिणाम के पीछे अविरत कर्म साधना होती है : डॉ. मोहन भागवत जी
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सुखद परिणाम के पीछे अविरत कर्म साधना होती है : डॉ. मोहन भागवत जी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ जो कहता है वह सही है, संघ जो कहता है वह करना है, लाखों स्वयंसेवक इस भावना के साथ काम करते आए, इसीलिए हम आज इसका विशाल रूप देख सकते हैं।

by WEB DESK
Apr 12, 2024, 04:01 pm IST
in संघ
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छ्त्रपती संभाजीनगर – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने स्व. दत्ताजी भाले स्मृति समिति कार्यालय के लोकार्पण अवसर पर कहा कि संघ जो कहता है वह सही है, संघ जो कहता है वह करना है, लाखों स्वयंसेवक इस भावना के साथ काम करते आए, इसीलिए हम आज इसका विशाल रूप देख सकते हैं। लेकिन, जिस समर्पण और त्याग ने इस स्थिति तक पहुंचाया है, उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

इस अवसर पर देवगिरी प्रांत संघचालक अनिल भालेराव जी, स्व. दत्ताजी भाले स्मृति समिति के अध्यक्ष देवानंद कोटगिरे उपस्थित थे। सरसंघचालक जी ने कहा कि ”इस वास्तु के निर्माण से हर कोई प्रसन्न है, लेकिन इस प्रसन्नता को लाने वालों की तपस्या हर किसी ने नहीं देखी है। इसलिए हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि जो सुखद परिणाम हम देखते हैं, उसके पीछे अविरत कर्म साधना है।

उन्होंने कहा, “ज्ञान और कर्म मनुष्य के दो पंख हैं, जो उसे सर्वोच्च पद तक ले जाते हैं। लेकिन इसके लिए भक्ति की आवश्यकता है। भक्ति हो तो सुखमय क्षणों की अनुभूति होती है। हर कोई राम मंदिर के भव्य स्वरूप का इंतजार कर रहा था। 22 जनवरी को रामलला के दर्शन किए तो लोगों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। यह 500 वर्ष का इंतजार था। समाज के त्याग, तपस्या और प्रभु श्रीराम की कृपा के कारण ही हमने 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का अनुभव किया। यह प्रेम, समर्पण और भक्ति के कारण ही हुआ है।

इस अवसर पर वास्तु निर्माण में योगदान देने वाले अन्ना पाटणकर, धनंजय पुंड, राजेश वरगंटवार, यशवंत दवने, सुंदरलाल गुंजाले, प्रदीप बुरांडे, आदित्य कासलीवाल का सत्कार किया गया। संस्था के कार्यवाह दिगंबर नाईक ने आभार व्यक्त किया। छत्रसाल पांडव ने व्यक्तिगत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. मोहन भागवत जी ने खेलकूद ऐप का लोकार्पण किया। इसमें 16 शैलियों में छह सौ से अधिक खेल शामिल हैं। इसमें दिव्यांगों, महिलाओं और सभी उम्र के लोगों के लिए खेल शामिल हैं।

“दत्ताजी भाले और समर्पण दोनों एक ही रूप” – हरीश जी कुलकर्णी

प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हरीश कुलकर्णी जी ने दत्ताजी भाले के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ”समर्पण और दत्ताजी भाले दोनों एक जैसे नाम हैं। दत्ताजी देश और समाज को आगे बढ़ाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपना पूरा जीवन संघ कार्य में समर्पित कर दिया। संघ के प्रतिकूल समय में उन्होंने बड़े संघर्ष द्वारा देवगिरि क्षेत्र में संघ कार्य को बढ़ावा दिया। आपातकाल के दौरान भी उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को आधार दिया था”।

11 अप्रैल, 2024 को दत्ताजी भाले स्मारक समिति कार्यालय, छत्रपति संभाजीनगर का सरसंघचालक डॉ.  मोहन भागवत जी ने लोकार्पण किया। भवन का नाम ‘समर्पण’ रखा गया है। स्व. दत्ताजी भाले स्मृति समिति न्यास की स्थापना 1980 में हुई थी। दत्ताजी भाले संघ के प्रचारक थे और मराठवाड़ा के गरीब छात्रों के लिए एक छात्रावास चाहते थे। आर्थिक कारणों से उस समय कुछ भी संभव नहीं हो सका, लेकिन संघ के तत्कालीन कार्यकर्ताओं ने स्व. प्रल्हादजी अभ्यंकर, स्व. भाऊसाहब जागीरदार, स्व.  मधुकरराव जोशी, हरिभाऊ बागड़े, रामभाऊ गावंडे ने एक एकड़ जमीन ली थी। हाल ही के दिनों में कुछ कार्यकर्ताओं ने भवन के निर्माण का बीड़ा उठाया और यह वास्तु साकार हुई। भवन में विद्यार्थियों को आवास, स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शन, स्वरोजगार, ग्राम विकास, जैविक खेती प्रशिक्षण, व्यक्तित्व विकास, योगाभ्यास आदि की सुविधा मिलेगी। देवानंद कोटगिरे वर्तमान में संस्था के वर्तमान अध्यक्ष हैं।

Topics: Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwat jiLate. Inauguration of Dattaji Bhale Memorial Committee officeराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघRashtriya Swayamsevak Sanghchhatrapati sambhajinagarछ्त्रपती संभाजीनगरसरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जीस्व. दत्ताजी भाले स्मृति समिति कार्यालय का लोकार्पण
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