लोकसभा चुनाव-2024 को होने में बस अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। इस बीच देश ही नहीं विदेशी मीडिया भी भारत पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसी क्रम में ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान’ भाजपा और मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टार्गेट कर एक लेख लिखा। इसमें उसने ये नरैटिव गढ़ने की कोशिश की है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 543 लोकसभा सीटों में से 303 सीट पर इसलिए जीत दर्ज की थी क्योंकि उसके टार्गेट पर आबादी वाले उत्तर भारत के गरीब और हिन्दी भाषी राज्य थे।
लेकिन, इस बार वो दक्षिण भारत पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां की जनता आमतौर पर सामाजिक न्याय की वकालत करने वाले क्षेत्रीय दलों का समर्थन करते हैं। एक्सप्रेस ट्रिब्यून उत्तर भारत के लोगों को गरीब और हिन्दी भाषी करार देकर उत्तर और दक्षिण में बांटने की कोशिश करता हैं। अखबार बहुत ही सेलेक्टिव तरीके से अपने पूरे लेख में केवल तमिसनाडु पर फोकस किए रहता है। इसमें भी वह डीएमके के नेताओं और कुछ मुस्लिमों की बातों को आधार बनाकर भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ एक नरैटिव सेट करता है।
अखबार तमिलनाडु के ही मुस्लिम व्यवसायी अबु बकर के हवाले से कहता है, “हम धर्म या जाति के आधार पर नहीं बल्कि लोगों को सम्मान देते हैं।”
इसके बाद वो तमिलनाडु के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पलानीवेल थियागा राजन के हवाले से कहा कि उन्हें राजनीति में “ध्रुवीकरण” देखना पसंद नहीं है।
पाकिस्तानी ट्रिब्यून ये दावा करता है कि पीएम मोदी ने इस वर्ष कम से कम 7 बार दक्षिण भारत की यात्राएं की हैं। जब भी दक्षिण भारत के दौरे पर होते हैं तो ‘वेलकम मोदी’ ‘गो बैक मोदी’ का हैशटैग सोशल मीडिया पर शुरू हो जाता है।
क्या है सच
मोदी विरोध में एकतरफा रिपोर्टिंग करके द एक्सप्रेस ट्रिब्यून मुख्य मुद्दों को दबाने की कोशिश कर रहा है। सत्य यह है कि दक्षिण भारत के कई राज्यों में भाजपा पहले से ही मजबूत स्थिति में है। ट्रिब्यून ने तमिलनाडु की बात करता है, जहां स्पष्ट रूप से भाजपा का बढ़ता जनाधार देखा जा सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने पार्टी को जनाधार को लाने के लिए जमीन पर कार्य किए हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में विकास के कई कार्य किए हैं।
काशी तमिल संगमम जैसे कार्यक्रमों के जरिए उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों के बीच समानता को सिद्ध किया गया है। डीएमके का सनातन धर्म विरोधी रुख उसके विरोध का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। अगर चुनावी सर्वे को मानें तो कई ज्यादातर सर्वे में इस बार भाजपा केवल तमिलनाडु में डबल डिजिट के साथ आती दिख रही है।
लेकिन, हकीकत तो ये है कि विदेशी अखबारों को भारत के विकास की जगह मोदी विरोध करने में अधिक आनंद मिलता है।
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