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#कृषि विशेष : खाद से रखा पर्यावरण का ख्याल

महाराष्ट्र में यवतमाल जिले के सुभाष शर्मा प्राकृतिक खेती के जरिए पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनकी अनूठी खेती की चर्चा हर कोई करता है

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 11, 2024, 11:46 am IST
in भारत, विश्लेषण, महाराष्ट्र
अपने खेत में सुभाष शर्मा

अपने खेत में सुभाष शर्मा

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गत 30 वर्ष से सुभाष शर्मा प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। छोटी गुमरी, जिला यवतमाल (महाराष्ट्र) के रहने वाले सुभाष का मानना है कि यह धरती स्वस्थ रहेगी तो हर जीव का जीवन सुचारु रूप से चलेगा। वे यह भी कहते हैं कि इस धरा पर मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु सबका अधिकार है।

यही कारण है कि उन्होंने कृषि के साथ ही अन्य जीव-जंतुओं का ख्याल रखते हुए अपनी जमीन को अनेक हिस्सों में बांट दिया है। उनके पास कुल 19 एकड़ जमीन है। वे इसके 2 प्रतिशत पर पशुपालन और 3 प्रतिशत भूमि पर पानी जमा करते हैं। उन्होंने 30 प्रतिशत भूमि पर अनेक प्रकार के पेड़ लगाए हैं। इनमें कुछ फलदार हैं, तो कुछ अन्य। वे शेष 65 प्रतिशत भूमि पर स्थानीय जलवायु के अनुसार फसल लगाते हैं और सभी प्रकार की सब्जियों के साथ ही मसालों में धनिया, हल्दी, दलहन में चने आदि की खेती करते हैं।
भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वे हरी खाद, गोबर खाद और विभिन्न प्रकार की फसलों के अवशेषों का प्रयोग करते हैं। इससे फसल तो अच्छी होती ही है, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और जीव-जंतुओं को भी कोई हानि नहीं होती है।

सुभाष 19 एकड़ में फसल लगाने के लिए हर वर्ष 15,00,000 रु. खर्च करते हैं और 25-30 लाख रु. की फसल उगा लेते हैं। यानी वे साल में लगभग 15,00,000 रु. कमा लेते हैं। यह सब वे अन्य 15 लोगों की मेहनत के बल पर करते हैं। सुभाष कहते हैं, ‘‘मैंने अपने पिताजी से खेती करने की प्रेरणा ली थी। मैं आज खेती के कार्य से पूरी तरह संतुष्ट हूं। यह अपना काम है। किसी तरह का तनाव नहीं होता। इस कारण मैं 72 वर्ष की आयु में भी स्वस्थ हूं।’’

Topics: trees-plantswateranimals-birdsजलeveryone's rightNatural Farmingउर्वरा शक्तिFertilityमिट्टी की गुणवत्तापेड़-पौधेपशु-पक्षीवायु सबका अधिकारप्राकृतिक खेतीQuality of soilAir
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