केरल स्टोरी फिल्म को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं हो रही हैं। जहां केरल की सरकार के मुखिया विजयन इस बात को लेकर गुस्सा हैं कि क्यों इस फिल्म को दिखाया जा रहा है और उनका यह भी कहना है कि यह राजनीतिक एजेंडे के तहत दिखाई जा रही है। यही तर्क कांग्रेस का है। इस मामले पर कम्युनिस्ट और कांग्रेसी दोनों एक ही धरातल पर हैं कि ऐसा कुछ नहीं होता है, और यह फिल्म पूरी तरह से झूठ है और एजेंडा है। वह बात दूसरी है कि न ही जनता उनकी इस बात पर विश्वास कर रही है और न ही संगठन।
केरल के कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के नेता इस बात को भी नकार रहे हैं कि लव जिहाद शब्द केरल से आया है। मगर ऐसा लगता है कि तुष्टीकरण की होड़ मे गैर-मुस्लिम लड़कियों के जीवन का कोई मोल रह ही नहीं गया है।
हिन्दू संगठनों के इस फिल्म के समर्थन में आने के बाद अब केरल में ईसाई संगठन और चर्च भी इस फिल्म के समर्थन में आ रहे हैं। हाल ही मे केरल में सिरो-मालाबार चर्च के इडुक्की सूबे ने इस फिल्म को अपने समुदाय के कक्षा 10 और 12 तक के बच्चों को दिखाया। यह देखना बहुत रोचक है कि जहां केरल की कम्युनिस्ट सरकार इस फिल्म के विषय को नकार रही है, वहीं केरल का ईसाई समुदाय संभवतया सोनिया सेबेस्टियन अर्थात आयशा की कहानी भूले नहीं हैं, जिसका ब्रेनवाश कर आईएसआईएस में भेज दिया गया था।
इन महिलाओं पर खोरासान फाइल्स नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनी थी, जिसमें इन महिलाओं को इंडियन इस्लामिक स्टेट विडो अर्थात भारतीय इस्लामिक स्टेट विधवाओं की संज्ञा दी गई थी। इनमें उन महिलाओं की कहानी थी, जो कट्टरता के जाल मे फंसकर आईएसआईएस के जाल मे फंस गई थीं। सोनिया आयशा बन गई थी और ये अभी तक अफगानिस्तान की जेल मे हैं।
एनआईए की चार्जशीट में स्पष्ट लिखा गया था कि इन युवाओं ने अपने मन से आईएसआईएस में शामिल होने के लिए देश छोड़ा था और ये लोग इसलिए गए थे क्योंकि उनके अनुसार भारत काफिरों का मुल्क है, जहां पर शरिया लागू नहीं है और वे दार उल-इस्लाम में रहने के लिए जा रहे हैं।
केरल से कई ईसाई संगठन यह आवाज उठाते रहे हैं कि लव जिहाद होता है, मगर उनकी बात को अनदेखा किया जाता है। खोरासान फाइल्स में सोनिया सेबेस्टियन ने यह इच्छा व्यक्त की थी कि वह अपने शौहर के घरवालों के साथ रहना चाहती हैं। सोनिया के शौहर की मौत हो गई थी और इसके साथ ही निमिषा फातिमा भी अफगानिस्तान की जेल मे बंद थी, जिसकी मां का कहना था कि उनकी बेटी का ब्रेनवाश किया गया था। केरल स्टोरी की मुख्य नायिका का चरित्र निमिषा फातिमा की कहानी से मिलता जुलता है।
इस फिल्म को अब ईसाई संगठन अपने समाज की लड़कियों को दिखा रहे हैं।
BIG NEWS 🚨 After Idukki diocese, Syro Malabar Catholic Church’s Thamarassery diocese screens The Kerala Story.
Kerala Catholic Youth Movement congratulated the Idukki diocese for exhibiting the movie for its children studying in Classes 10, 11, and 12.
Doordarshan also airs… pic.twitter.com/kk211hsZMI
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) April 9, 2024
इडुक्की सूबे द्वारा केरल स्टोरी फिल्म दिखाए जाने के बाद अब केरल यूथ मूवमेंट ने भी इस फिल्म को दिखाने की घोषणा की है। पाला और थामारास्सेरी और थालासेरी सूबे के केरल कैथोलिक युवा आंदोलन (केसीवाईएम) ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले क्षेत्रों में युवाओं के लिए फिल्म दिखाने का फैसला किया है। केसीवाईएम थामारास्सेरी के अध्यक्ष रिचर्ड जॉन ने कहा कि इडुक्की सूबे ने जो अभियान आरंभ किया, उसे दूसरे चर्च भी अपना रहे हैं।
उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े होने के आरोप पर कहा कि यह अभियान कहीं से भी राजनीतिक नहीं है और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘हम अपने क्षेत्र में ‘लव जिहाद’ होते देख रहे हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हमारी मिनिस्ट्री (चर्च से संबंधित) ने धार्मिक रूपांतरण के 325 मामलों की पहचान की है। यह संख्या मुद्दे की गंभीरता को उजागर करती है।”
केसीवाईएम के एक और पदाधिकारी ने यह कहा कि जब इडुक्की चर्च प्रशासन के इस निर्णय की आलोचना की गई कि यह फिल्म दिखाई गई तो हमने यह निर्णय लिया कि इस फिल्म को हम दिखाएंगे।
केरल फिल्म में दिखाई गई लड़कियों की संख्या पर प्रश्न हो सकता है, मगर यह भी सत्य है कि निमिषा फातिमा की मां या सोनिया सेबेस्टियन के पिता जब सरकार से अपनी बेटियों को वापस लाने की गुहार करते हैं तो क्या वह उन तमाम लड़कियों की पीड़ा नहीं बताते हैं जो आईएसआईएस के जाल मे फंस गई थीं? क्या वह एक वृहद जाल की ओर इशारा नहीं करते हैं, जिनमें खिलाफत का सपना दिखाकर लड़कियों को फंसाया जा रहा है?
क्या कोई यह प्रश्न नहीं करेगा कि इन सब्ज़बागों की हकीकत क्या है? या फिर इन सब्जबागों की हकीकत पता सभी को है, मगर बोलना कोई नहीं चाहता और जो बोलना चाहता है, उसे एजेंडा बताकर तमाम परिवारों की पीड़ा को दबा दिया जाता है?
मगर यह पीड़ा चूंकि वास्तविक पीड़ा है, इसलिए इसे जनता का प्यार मिल रहा है और जनता अब एजेंडा को समझ भी रही है।
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