देहरादून । उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के नामांकन पूरा होते ही राजनीतिक समीक्षक ये मान रहे है राज्य में बीजेपी की एक तरफा लहर चल रही है और यहां कांग्रेस ने भी अपने हथियार डाल दिए है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा कि कांग्रेस ने जिस तरह से बीजेपी प्रत्याशियों के समक्ष अपने प्रत्याशी घोषित किए है उनमें एक दो को छोड़ कर शेष बेहद ही कमजोर स्तिथि वाले साबित होने जा रहे है।
बीजेपी को सनातन और हिंदुत्व की वजह से मिला फायदा
बीजेपी के प्रति उत्तराखंड में जो उत्साह भरा जनाधार दिखाई दे रहा है,उसके पीछे एक बड़ी वजह बीजेपी की डबल इंजन की सरकारों का सनातन हिंदुत्व का एजेंडा है।पीएम मोदी बेशक देश को विकसित राष्ट्र की सूची में ऊपर ले जाने का विजन रखते है। लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण पीएम मोदी का देश के तीर्थ स्थलो का विकास और सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का एजेंडा भी प्रमुखता से जनमानस में छाया हुआ है। श्री राम मंदिर के निर्माण पूरा होने और उसके लोकार्पण के समय तक देश में जो सनातन के प्रति माहौल बना वो समझने लायक था, उसी दिन विपक्ष के नेता मायूस हो गए थे।
उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने जिस तरह से अवैध मजारों का सफाया किया और धर्मांतरण कानून लागू किया उससे उत्तराखंड के जन मानस में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की छवि एक सनातनी प्रशासक के रूप में स्थापित हुई।पीएम मोदी और सीएम धामी की डबल इंजन की सरकार ने चार धाम और मानसखंड तीर्थ स्थलो के विकास का जो मास्टर प्लान बनाया है उससे भी राज्य की हिंदू जनता में असर है।
सीएम धामी ने हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर, हरिपुर जमुना कृष्णधाम, गंगा कांवड़ यात्रा, गोरक्षा, जनसंख्या असंतुलन जैसे विषयो पर प्रभावी कदम उठाए है। पुष्कर धामी ने हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले पर जिस तरह से सख्ती दिखाई उससे उत्तराखंड की जनता में उनके सख्त प्रशासक होने जा संदेश गया।
सबसे ज्यादा चर्चा देश में समान नागरिक संहिता को लेकर हुई, राज्य की जनता ने सीएम धामी को इसे लागू करने का जनादेश दिया और उन्होंने इसे लागू कर दिखाया।
ये बात भी उभर कर सामने आई है कि पीएम मोदी केए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर वरदहस्त है, ये बात पीएम मोदी के बार बार उत्तराखंड दौरे करने के दौरान झलक जाती है। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट, आदि कैलाश यात्रा में पीएम मोदी, सीएम धामी की पीठ ठोंकते हुए दिखे।
उत्तराखंड में पीएम मोदी के विजन से एक लाख पच्चीस हजार करोड़ के प्रोजेक्ट केंद्र द्वारा चलाए जा रहे है। पीएम मोदी का चुके है कि इस सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा। इसके बाद से चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।
उत्तराखंड की आर्थिकी तीर्थाटन पर टिकी हुई है। सनातन तीर्थ स्थलो पर बढ़ती भीड़ और स्थानीय लोगो की देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा को आगे बढ़ते हुए महसूस किया जा सकता है और यही वजह है कि यहां बीजेपी को भरपूर जन समर्थन मिल रहा है।
सीएम धामी, लव जिहाद लैंड जिहाद और अन्य मामलो को जिस तरह से सख्ती से निपटाने का जनता को विश्वास दिलाया उससे भी बीजेपी के प्रति लोगो का रुझान बढ़ा है।
महिलाओं का समर्थन
उत्तराखंड की धामी सरकार ने लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले तेरह जिलों में पन्द्रह जगह नारी वंदन सम्मान में रोड शो किए उसमे उमड़ी महिलाओ की भीड़ से भी विपक्ष के नेता खुद को अगले चुनावों के लिए असहाय जैसे महसूस करने लगे। महिला शक्ति पर आधारित इन रोड शो और जनसभा में जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जन समर्थन मिला उससे उन्हे भी ये एहसास हुआ कि उन्हें लोगो ने उनकी सनातन नेता के रूप में उभर रही छवि की वजह से इतना समर्थन दिया।
कांग्रेस और उसके कमजोर प्रत्याशी
पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा लोक सभा सीट को यदि छोड़ दिया जाए तो ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कांग्रेस ने चुनाव रणभूमि में मानो आत्म समर्पण कर दिया है। नैनीताल लोकसभा सीट पर दो बार विधानसभा चुनाव हारे प्रकाश जोशी को टिकट दे कर और टिहरी लोकसभा से जोत सिंह को कांग्रेस ने टिकट देकर एक तरफा चुनाव कर दिया। हरिद्वार से कई बार चुनाव हारने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत को कांग्रेस ने टिकट देकर वहां भी अपने को कमजोर कर दिया।
अल्मोड़ा से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा, पूर्व राज्यसभा सदस्य है, उनका मुकाबला बीजेपी के अजय टम्टा से है, संगठन की दृष्टि से अजय टम्टा मजबूत स्तिथि में है।
सबसे रोचक मुकाबला पौड़ी गढ़वाल सीट पर बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के बीच होने वाला है, दोनो को बाहरी प्रत्याशी माना जाता है। बलूनी का ज्यादा समय दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में पीएम और एच एम के बीच बीतता है जबकि गोदियाल मुंबई में अपना कारोबार करते है। अनिल बलूनी को अपनी मेहनत के साथ साथ मोदी धामी फैक्टर का भरोसा है। यहां के चुनाव पर राष्ट्रीय मीडिया की भी निगाहें रहेंगी।
बरहाल उत्तराखंड में बीजेपी का सनातन एजेंडा ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है।उसके साथ साथ मोदी धामी विजन फैक्टर भी काम कर रहा है।
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