2014 में भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में जब राजग की सरकार बनी, तब देश की अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। सार्वजनिक दिन की स्थिति खराब थी। आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता चरम पर थी कुल मिलाकर संकट की स्थिति थी। स्वरीद, प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन और विनियामक सहित विभिन्न सरकारी गतिविधियों में व्यापक भ्रष्टाचार था। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खरीद भी भ्रष्टाचार से अछूते नहीं थे। कई मामलों में संप्रग काल के घोटाले की राशि तो वर्तमान में चल रही कल्याणकारी योजनाओं के लिए बजट से भी अधिक थी। प्रस्तुत है संप्रग के घोटालों और मोदी के विकास का तुलनात्मक विश्लेषण-
मोदी का विकास
कृषि और किसान कल्याणकारी योजना (1,25,035.79 करोड़ रु), पीएम विश्वकर्मा योजना (13,000 करोड़ रु), उज्ज्वला योजना गग्मश्री योजना (7680 करोड़ रु. पीएम श्री योजना (5,717 करोड़ रु.) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (4,215 करोड़) रु. खेल बजट (3, 397.32 करोड़ रु.) को मिला हैं, तब भी यह 1.59 करोड़ ही होती है।
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