राष्ट्रीय सुरक्षा में अध्यात्म की भूमिका
Monday, February 6, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • My States
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

राष्ट्रीय सुरक्षा में अध्यात्म की भूमिका

राष्ट्र के भू-भाग के प्रति मातृत्व की भावना एवं प्रकृति के साथ एकत्व का भाव ही भारत को सशक्त, समर्थ और समृद्ध बनाता है

स्वामी अवधेशानंद गिरि by स्वामी अवधेशानंद गिरि
Jan 25, 2023, 12:45 pm IST
in भारत, रक्षा
स्वामी अवधेशानंद गिरि

स्वामी अवधेशानंद गिरि

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail
https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-264911.mp3?cb=1674631075.mp3

किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा के दो प्रमुख आयाम हैं- आंतरिक और बाह्य सुरक्षा। बाह्य सुरक्षा हमारी सेनाओं, सशस्त्र सैन्य बल और सामरिक नीतियों पर निर्भर करती है। सैन्य बल और कूटनीतिक आयाम जितने प्रभावी होंगे, हमारी बाह्य सुरक्षा उतनी ही अधिक मजबूत होगी। किन्तु राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा और एकजुटता के लिए एक राष्ट्रीय विचार की आवश्यकता है और वह सर्वग्राही विचार आध्यात्मिक गलियारे से प्राप्त होगा। वेद ज्ञान-विज्ञान के अप्रतिम- प्रामाणिक स्रोत हैं, जिनमें राष्ट्र के स्वरूप, संकल्पना और राष्ट्र धर्म की वृहत्तर व्याख्या की गई है।

‘राष्ट्र सूक्त’ में राष्ट्र को देवता कहा गया है अर्थात् भारत मात्र भूखंड नहीं, अपितु हमारी सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना और प्रतिमानों की जीवंत अभिव्यक्ति है। भारत की भौगोलिक रचना व स्वरूप अलौकिक एवं विस्मयकारी है, किंतु भारत के उदात्त आध्यात्मिक विचारों ने उसे और भी जीवंत व लोकजीवन के साथ एकीकृत कर दिया है। प्रकृति-पर्यावरण, भू-भाग समवेत राष्ट्र को परिभाषित करने वाले समस्त उपांगो से हम धार्मिक और भावनात्मक दृष्टि से समायोजित हैं। जैसे-भारत की नदियां मात्र जल स्रोत नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक संवेगों की प्रवाहिकाएं हैं। जिनसे हमारे धार्मिक सरोकार मृत्यु के अनन्तर भी जुड़े रहते हैं पेड़-पौधे, नदियां, झील, जलाशय, कूप आदि का पूजन हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। आंवला, कूप, तुलसी, वट आदि के प्रति दैवत्व का भाव भारत में ही देख सकते हैं।

अनादि काल से भारत की धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक विचारों ने उसे वृहद् सांस्कृतिक स्वरूप प्रदान किया है। हम भूमि को माता मानते आए हैं। राष्ट्र के भू-भाग के प्रति मातृत्व की भावना एवं प्रकृति के साथ एकत्व का आध्यात्मिक भाव ही भारत को सशक्त, समर्थ और समृद्ध बनाता है। लेकिन कुछ विखंडनकारी शक्तियां देश को जाति और वर्णों में बांटने का स्वप्न देख रही हैं। हालांकि हमने स्वतंत्रता के बाद अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं और अनेक बाह्य व आंतरिक आघातों को सहा भी है, किंतु भारत अपनी आध्यात्मिक संवेदनाओं और विचारों के द्वारा ही एकजुट है।

स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से स्वाबलंबन के लक्ष्य की संपूर्ति भारत को सर्व संपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात कह कर स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और उत्पादन का सूत्र दिया है। प्रत्येक त्योहार, पारंपरिक पूजा-उपासना आदि से राष्ट्रीय एकता बलवती होती है। वीर सैनिक सीमा पर देश की रक्षा करते हैं, तो आध्यात्मिक विचारों द्वारा अभिप्रेरित ऋषि-मनीषी, कृषक, शिल्पकार और कुंभकार भारत को एक सांस्कृतिक और भौगोलिक आकर देते हैं।

उदाहरण के लिए, कुंभ मेले को ही लीजिए। अनेक जातियों-वर्णों और संप्रदायों में विभक्त हम सभी भारतीय गंगा और क्षिप्रा के तट पर एकजुट होकर स्नान करते हैं। वर्तमान में भारतीय समाज और हिंदू धर्म की जो भी व्यवस्थाएं दृष्टिगोचर हो रही हैं, उसके मूल में भगवान आद्य शंकराचार्य ही हैं। उन्हें सनातन हिंदू वैदिक धर्म संस्कृति का पुनरुद्धारक कहा जाता है। महान भाष्यकार आद्य शंकराचार्य द्वारा निरूपित अद्वैत का विचार संपूर्ण जगत को एकता के सूत्र में बाधने में सहायक सिद्ध होगा। उनके आध्यात्मिक विचार भारत की एकता-अखंडता और सांस्कृतिक वैभव की मूल हैं। उन्होंने चार धामों की स्थापना कर उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम को एकीकृत किया।

उत्तर में हिमालय के उत्तुंग शिखर पर विराजमान भगवान बद्रीश की पूजा केरल के नंबूदरी ब्राह्मण करते हैं। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, बंगाल या गुजरात का व्यक्ति हरिद्वार या उत्तराखंड अपने आध्यात्मिक जीवन की संसिद्धि के लिए ही तो आता है। सारांश में, हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाज और परंपराएं प्रत्येक संदर्भ में प्रासंगिक हैं, जिनके अनुपालन से हमारी धार्मिक मान्यताओं और क्रियाकलापों की संसिद्धि तो होती ही है, सामाजिक और राष्ट्रीय एकता भी बलवती होती है। देश के आर्थिक उन्नयन में भी आध्यात्मिक विचारों और पर्व-परंपराओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

आध्यात्मिक विचार एवं परंपराओं से प्रस्फुटित राष्ट्रीय निष्ठा ने स्वदेशी की भावना और विचार को परिपुष्ट किया है। पर्व-परंपराओं और धार्मिक उत्सवों के माध्यम से पूरा देश एकीकृत हो जाता है। प्रत्येक त्योहार की अपनी विशिष्टता है और उनमें प्रयुक्त विविध सामग्रियां स्वदेशी के भाव को बलवती करती हैं। जैसे-किसी भी प्रकार की पूजा में कलश स्थापना के लिए मिट्टी के घड़े चाहिए। इस समूची प्रक्रिया में न केवल हमारी धार्मिक मान्यताओं का अभिरक्षण होता है, अपितु स्वदेशी वस्तुओं और उत्पादों को प्रोत्साहन भी मिलता है! ये धार्मिक क्रियाकलाप समाज के अलग-अलग समुदायों को परस्पर एकीकृत भी करते हैं।

स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से स्वाबलंबन के लक्ष्य की संपूर्ति भारत को सर्व संपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात कह कर स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग और उत्पादन का सूत्र दिया है। प्रत्येक त्योहार, पारंपरिक पूजा-उपासना आदि से राष्ट्रीय एकता बलवती होती है। वीर सैनिक सीमा पर देश की रक्षा करते हैं, तो आध्यात्मिक विचारों द्वारा अभिप्रेरित ऋषि-मनीषी, कृषक, शिल्पकार और कुंभकार भारत को एक सांस्कृतिक और भौगोलिक आकर देते हैं।
(लेखक जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर हैं)

Topics: वोकल फॉर लोकलSwadeshi spiritVocal for Localउत्तर में हिमालयराष्ट्र की सुरक्षाउत्तुंग शिखर पर विराजमान भगवान बद्रीश की पूजास्वदेशी वस्तुसशस्त्र सैन्य बलराष्ट्रीय निष्ठास्वदेशी की भावनाSwadeshi goodsNation's securityArmed forcesNational loyalty
Share1TweetSendShareSend
Previous News

पंजाब की ‘आप’ सरकार की देगची में खदबद

Next News

पुलिस ने इरफान सोलंकी के करीबियों की 105 करोड़ से अधिक की संपत्ति की चिह्नित

संबंधित समाचार

महाराष्ट्र के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

जबरन कन्वर्जन बहुत गंभीर मुद्दा, राष्ट्र की सुरक्षा को करता है प्रभावित : सर्वोच्च न्यायालय

वोकल फॉर लोकल : इस बार बाजार में मिलेंगी बांस की राखियां

वोकल फॉर लोकल : इस बार बाजार में मिलेंगी बांस की राखियां

नमो घाट बनकर तैयार, पीएम कर सकते हैं उद्घाटन

नमो घाट बनकर तैयार, पीएम कर सकते हैं उद्घाटन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

शारदा चिटफंड घोटाला : कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की पत्नी की संपत्ति कुर्क, ईडी ने की कार्रवाई

शारदा चिटफंड घोटाला : कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की पत्नी की संपत्ति कुर्क, ईडी ने की कार्रवाई

नौसेना ने रचा इतिहास, एलसीए नेवी की आईएनएस विक्रांत पर कराई लैंडिंग

नौसेना ने रचा इतिहास, एलसीए नेवी की आईएनएस विक्रांत पर कराई लैंडिंग

देश का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर कारखाना राष्ट्र को समर्पित, जानिये इसके बारे में

देश का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर कारखाना राष्ट्र को समर्पित, जानिये इसके बारे में

झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है एचएएल की ये हेलीकॉप्टर फैक्ट्री : प्रधानमंत्री मोदी

झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है एचएएल की ये हेलीकॉप्टर फैक्ट्री : प्रधानमंत्री मोदी

पद्म पुरस्कार 2023 : विमुक्त जातियों की सशक्त आवाज

पद्म पुरस्कार 2023 : विमुक्त जातियों की सशक्त आवाज

हमीरपुर में जिहादियों के निशाने पर हिंदू लड़कियां, पीड़ित पिता ने शाहरुख के चंगुल से बेटी को छुड़ाने की लगाई गुहार

हमीरपुर में जिहादियों के निशाने पर हिंदू लड़कियां, पीड़ित पिता ने शाहरुख के चंगुल से बेटी को छुड़ाने की लगाई गुहार

भारत-नेपाल संबंध का सांस्कृतिक सेतु बनी शालिग्राम शिला

भारत-नेपाल संबंध का सांस्कृतिक सेतु बनी शालिग्राम शिला

देहरादून : जनसंख्या असंतुलन का खतरा मंडराया, स्कूल और मदरसों में दादागीरी, सरकारी जमीन कब्जाने वालों को किसका संरक्षण?

देहरादून : जनसंख्या असंतुलन का खतरा मंडराया, स्कूल और मदरसों में दादागीरी, सरकारी जमीन कब्जाने वालों को किसका संरक्षण?

पद्म पुरस्कार 2023 : राष्ट्रभक्त लेखक, समाज-चिंतक

पद्म पुरस्कार 2023 : राष्ट्रभक्त लेखक, समाज-चिंतक

बदल रहा है भारत का ऊर्जा क्षेत्र, निवेश की हैं अपार संभावनाएं : प्रधानमंत्री

बदल रहा है भारत का ऊर्जा क्षेत्र, निवेश की हैं अपार संभावनाएं : प्रधानमंत्री

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • लव जिहाद
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies