अफगानिस्तान में स्कूल खुले मगर लड़कियों के लिए लगे हैं ताले, तालिबान ने कहा- ‘बैठने की व्यवस्था नहीं, बहनें माफ करें”

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सोनाली मिश्रा

अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा सत्ता संभालने के बाद लगातार तीसरे वर्ष स्कूल खुल गए हैं। अफगानिस्तान में नया शैक्षणिक वर्ष आरम्भ हुआ है और एक बार फिर स्कूल के दरवाजे लड़कियों के लिए बंद रहे हैं। कक्षा छह के बाद लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबन्ध लगा हुआ है। जब तालिबान ने सत्ता संभाली थी, उसी समय सारे स्कूल-कॉलेज आगे के आदेश के लिए बंद हो गए थे।

जब स्कूल और कॉलेज खुले थे तो कक्षा छह के बाद लड़कियों के लिए स्कूल बंद हो गए थे। सारे विश्व ने रोती बिलखती हुई बच्चियों की तस्वीरें देखी थीं, जो इस बात को लेकर रो रही थीं कि आखिर वह कैसे स्कूल जाएँगी, उन्हें शिक्षा कैसे प्राप्त होगी? मगर तालिबान के अधिकारियों और सरकार के नुमाइंदों के कानों में जूँ नहीं रेंगी थी।

हालांकि इस बार जब बच्चों के लिए नया अकादमिक वर्ष आरम्भ हुआ है, तो जो भी समारोह होते हैं, उनमें महिला पत्रकारों को सम्मिलित नहीं होने दिया। पत्रकारों को भेजे गए बुलावे में यह लिखा गया कि “बहनों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था न होने के कारण, हम बहनों से माफी मांगते हैं!”

और मजे की बात यह है कि इस समारोह में तालिबान के शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनका विभाग शिक्षा में मजहबी तालीम एवं आधुनिक विज्ञान के साथ गुणवत्ता बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। और तालिबान की ओर से मंत्री ने यह भी कहा कि स्कूल में आने के लिए किसी भी प्रकार के ऐसे कपड़े न पहने जाएं, जो इस्लामिक और अफगानी सिद्धांतों के विरोध में हैं।

लड़कियों के लिए तालीम अभी लग रहा है कि अफगानिस्तान में दूर की कौड़ी है क्योंकि जब तालिबान सत्ता में आए थे और लड़कियों के लिए स्कूल और कॉलेज के दरवाजे बंद हुए थे तो यह कहा गया था कि लड़कियों की पढ़ाई शरिया के अनुकूल नहीं है और लड़कियों की पढ़ाई के लिए कुछ विशेष शर्तों और परिस्थितियों की जरूरत है। मगर यह भी बात सच है कि उन्होंने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

लड़कियों के लिए अफगानिस्तान में एक प्रकार से बाहर के दरवाजे बंद हो चुके हैं। उन पर तमाम प्रतिबंध लगे हुए हैं। स्कूलों से उन्हें बाहर किया जा चुका है, बाजारों आदि में भी वे केवल तभी बाहर निकल सकती हैं, जब उचित रूप से उन्होंने बुर्का आदि पहना हुआ है।

पिछले दिनों यह भी समाचार आया था कि कैसे कुछ लड़कियों को काबुल आदि में हिरासत में ले लिया गया था, क्योंकि उन्होंने सही से हिजाब आदि नहीं पहना हुआ था। लड़कियों के सार्वजनिक जीवन पर पूरी तरह से काली चादर चढ़ चुकी है और वह न ही रेस्टोरेंट जा सकती हैं और न ही नौकरी पर जा सकती हैं। वह पार्क नहीं जा सकती हैं और न ही हमाम में जा सकती हैं।

वह समाचार सभी को अभी तक याद होगा जब महिलाओं को सुरक्षा के लिए जेल में भेजा जा रहा था। अर्थात ऐसी महिलाएं जिनके परिवार में कोई नहीं है, और जो यौन हिंसा का शिकार हो सकती हैं, उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से जेल स्थानांतरित किया जा रहा है।

इतना ही नहीं यह भी समाचार आए थे कि तालिबान शासन की जेलों में कैद महिलाओं के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया जा रहा है। दरअसल जनवरी 2024 में उन लड़कियों को हिरासत में लिया जाने लगा था, जिन्होंने सही तरीके से कपड़ों को लेकर उन प्रतिबंधों का पालन नहीं किया था, जो तालिबान द्वारा निर्धारित किए गए थे। इसे लेकर जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें तालिबान से अनुरोध किया गया था कि वह महिलाओं के पहनावे को लेकर जो प्रतिबन्ध हैं, उन्हें तत्काल हटाए और फिर इस बाहने लड़कियों को हिरासत में रखने पर रोक लगाए।

वहीं यह देखना बहुत ही रोचक है कि जब तालिबान के दोबारा आने की आहट प्रतीत हो रही थी, उस समय कई महिला पत्रकारों को यह विश्वास था कि तालिबान 2 तालिबान 1 से बेहतर होगा और वह महिलाओं के साथ वह सब नहीं करेगा जो तालिबान 1 ने किया था। तालिबान 1 अर्थात तालिबान की पहली सत्ता! जब तालिबान पहली बर सत्ता में आए थे तब भी उन्होंने यही किया था, महिलाओं के लिए बाहरी दुनिया के दरवाजे बंद हो गए थे, और अब भी यही हो रहा है। कौन भूल सकता है उन फरमानों को जिनमें महिलाओं के लिए रोजगार का साधन ब्यूटी पार्लर्स तक बंद करा दिए गए थे? हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स का यह कहना है कि अफगानिस्तान में कई लड़कियां ऑनलाइन पढ़ाई कर रही हैं, परन्तु देश में इन्टरनेट जिनके पास है वे इस सुविधा का प्रयोग कर सकती हैं, और जो वंचित हैं, वे तो वंचित ही रह जाएँगी?

जहां लड़कियों को पढ़ाई से वंचित किया गया है तो वहीं यह भी रिपोर्ट्स का कहना है कि योग्य शिक्षक-शिक्षिकाओं के अभाव में लड़कों की भी शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। हाँ, यह संतोष की बात है कि लड़कों को तालीम मिल रही है और लड़कियां घर पर ही बैठकर सही समय का इंतज़ार कर रही हैं।

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