मुक्त व्यापार का विस्तार!
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

मुक्त व्यापार का विस्तार!

ब्रेक्जिट से हुए नुकसान की भरपाई के लिए ब्रिटेन भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लालायित। लेकिन फिलहाल भारत को धैर्य से काम लेते हुए वहां अगली सरकार का इंतजार करना चाहिए

by सुमित मेहता
Mar 20, 2024, 09:00 pm IST
in विश्व, पंजाब
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल चित्र)

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल चित्र)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

ब्रिटेन ने खालिस्तानी आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी है। इस कड़ी में खालिस्तानियों के 5,000 खातों में जमा एक अरब रुपये फ्रीज किए गए हैं। हालांकि यह राशि ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के समान है। वास्तव में लंदन से लेकर कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि तक में फैले इस तरह के एक सुव्यवस्थित और आतंकी संगठन को अलगाववादी मुहिम चलाने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है।

दरअसल, खालिस्तानी मुहिम मैक्सआर्थर मैकआलिफ की देन है, जिसने गुरुग्रंथ साहिब को विकृत कर गुरुमुखी से उसका अंग्रेजी में अनुवाद किया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) अधिनियम के बाद के कानून के चलते जाट सिख गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए सबसे आगे आ गए। इस तरह सिख पंथ पर उनका अस्थायी नियंत्रण हो गया। तभी से ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने खालिस्तानी आतंकियों को पाला-पोसा और भारत के विरुद्ध एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया।

नाटो के गठन के बाद खालिस्तानियों की संपत्ति अमेरिकी आकाओं को हस्तांतरित कर दी गई। खालिस्तानी आतंकी शुरू से ही विदेशी एजेंसियों के लिए कठपुतली से अधिक नहीं हैं। इसलिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा खालिस्तानियों के बैंक खातों में जमा मामूली राशि को जब्त करना न तो कोई बड़ी कार्रवाई है और न ही इसे विश्वसनीय कहा जा सकता है। स्पष्ट है कि ऋषि सुनक भारत के साथ समझौता करने और भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने के लिए बेचैन हैं।

डावांडोल अर्थव्यवस्था

दरअसल, खालिस्तानियों के खिलाफ ऋषि सुनक की कथित कार्रवाई मुख्य रूप से इससे प्रेरित है कि ब्रिटेन को बने रहने और ब्रेक्जिट से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए इस समझौते की सख्त जरूरत है। जनवरी 2024 में जारी कैम्ब्रिज इकोनोमेट्रिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रेक्जिट से ब्रिटेन में लगभग 20 लाख और लंदन में लगभग 3,00,000 नौकरियां चली गईं। यही नहीं, लंदन की अर्थव्यवस्था लगभग 30 अरब पाउंड कम हो गई, जबकि ब्रिटेन को लगभग 140 अरब पाउंड का नुकसान हुआ। इस शोध-पत्र के अनुसार, 2035 तक ब्रिटेन को 300 अरब पाउंड का नुकसान होने का अनुमान है, जिसमें 60 अरब पाउंड का नुकसान अकेले लंदन को होगा।

ब्रेक्जिट से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ही ब्रिटेन एफटीए पर पूरा जोर लगा रहा है। भारत ने ब्रिटेन से आयात, विशेषकर ब्रिटेन निर्मित कारों, इलेक्ट्रिक वाहनों और अल्कोहल उत्पादों आदि पर 100 से 150 प्रतिशत का शुल्क लगाया है। प्रस्तावित भारत-ब्रिटेन एफटीए में टैरिफ आधारित व्यापार बाधाओं को हटाने की बात है, जिससे ब्रिटेन को लाभ होगा। अभी ब्रिटेन द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली उत्पाद श्रेणियों में से सिर्फ 3 प्रतिशत कर मुक्त हैं। भारत द्वारा ब्रिटेन से आयातित कुल माल के मूल्य का लगभग 91 प्रतिशत औसतन उच्च टैरिफ के अंतर्गत आता है।

इसके अलावा, सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी उत्पादों के आयात में भी कुछ तकनीकी बाधाएं हैं। एफटीए का उद्देश्य इन व्यापार बाधाओं को कम करना है, जिससे ब्रिटेन को लाभ होगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की हाल की शोध रिपोर्ट के अनुसार, जहां तक ​​प्रस्तावित एफटीए से व्यापारिक वस्तुओं का प्रश्न है, इससे भारत को केवल सीमित लाभ हो सकता है। यूके की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की प्रमुख भूमिका है। अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत है, जबकि निर्यात में यह लगभग 50 प्रतिशत का योगदान देता है। ब्रिटेन ने 2020 में भारत को 3.3 अरब पाउंड की सेवाएं निर्यात कीं। भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान आधे से कुछ अधिक है। वहीं ब्रिटेन, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेवा निर्यातक अर्थव्यवस्था है, भारतीय सेवा क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है।

प्रतीक्षा करे भारत

लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में इंटरनेशनल पॉलिटिकल इकोनॉमी के प्रोफेसर डॉ. गौतम सेन ने द डेली गार्जियन अखबार में अपने लेख में इसे शानदार ढंग से समझाया है। वे लिखते हैं, ‘‘भारत और यूके के बीच यह एफटीए 1932 के ओटावा सम्मेलन में स्थापित ‘इम्पीरियल प्रिफरेंस’ के साथ एक मजबूत समानता होगी। उस समय ब्रिटेन को केंद्र में रख कर ब्रिटिश उपनिवेशों के बीच स्थापित व्यापार प्राथमिकता प्रणाली 1931 के आर्थिक पतन पर एक प्रतिक्रिया थी। प्रस्तावित एफटीए प्रभावी रूप से भारत के औपनिवेशिक दर्जे को कम करने और ब्रिटेन को मौजूदा गंभीर आर्थिक दुर्दशा से बचाने के प्रयास पर केंद्रित होगा। महत्वपूर्ण यह कि इंडो-ब्रिटिश एफटीए भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार प्रतिबंधों में किसी भी तरह की छूट को असंभव बना देगा। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न होगी, क्योंकि मुक्त व्यापार पर यूरोपीय संघ और भारत के बीच कोई भी समझौता ब्रेक्जिट बाद के ब्रिटेन के लिए यूरोपीय संघ में पिछले दरवाजे से प्रवेश की सुविधा प्रदान करेगा, यदि उसका भारत के साथ पहले से ही एफटीए है। यूरोपीय संघ ब्रिटेन की तुलना में भारत के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है, इसलिए यूरोपीय संघ ब्रिटिश आर्थिक हितों की ऐसी विकृत सुविधा को स्वीकार नहीं करेगा।’’

इस स्थिति को देखते हुए ब्रिटेन में नई सरकार बनने तक भारत को इंतजार करना चाहिए। इसके बाद भारत यह तय करे कि सौदा बंद किया जाए या नहीं। अन्य विचार, जिन पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, वे इस प्रकार हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति में हस्तक्षेप के मामले में भारत को ब्रिटेन में सत्तारूढ़ सरकार के समक्ष कौन-सी विशिष्ट शर्तें रखनी चाहिए। पश्चिम ने मानवाधिकारों की उपेक्षा कर विस्तारित विदेश नीति उपकरण के रूप में इसका इस्तेमाल किया है और भारत सहित अन्य देशों की बांह मरोड़कर अपने रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए इसे व्यापार वार्ता के साथ मिला दिया है।

साथ ही, पश्चिम ने उन राष्ट्रों के खुलेआम मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गहरी चुप्पी साधे रखी, जो अमेरिका के आर्थिक और भू-राजनीतिक एजेंडे का अनुपालन करते हैं और उसे आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। उदाहरण के तौर पर चीन और पाकिस्तान को ही लें। आर्थिक कारणों से चीन में उइगरों और तिब्बतियों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचारों पर पश्चिम चुप्पी साधे हुए है। इसी तरह, वे भू-राजनीतिक कारणों से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और बलूच मुसलमानों के उत्पीड़न पर भी चुप हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि जनवरी 2025 में ब्रिटेन में आम चुनाव होंगे। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कंजरवेटिव पार्टी सत्ता में वापस आएगी या नहीं। यदि लेबर पार्टी सत्ता में आई तो भारत के प्रति उसका व्यवहार अच्छा नहीं होगा, क्योंकि वह पाकिस्तानी और अन्य मुसलमानों द्वारा समर्थित और वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है। वह भारत के लिए समस्याएं उत्पन्न करेगी, क्योंकि सनातन संस्कृति और भारत की बात करने वाली मोदी सरकार के आगामी आम चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटने के आसार हैं। ऐसी स्थिति में भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह ब्रिटेन में चुनाव परिणाम आने तक प्रतीक्षा करे और उसके बाद ही व्यापार समझौते को बंद करने का निर्णय ले। यही भारत के रणनीतिक हित में होगा।

Topics: आतंकी संगठनGurmukhiterrorist organizationयूरोपीय संघ ब्रिटिशGuru Granth SahibKhalistani terroristsऊंट के मुंह में जीरेखालिस्तानी मुहिम मैक्सआर्थर मैकआलिफगुरुग्रंथ साहिबगुरुमुखीCumin in the camel's mouthKhalistani campaignखालिस्तानी आतंकीMaxArthur McAuliffe
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Canada Khalistan Kapil Sharma cafe firing

खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

एनआईए (प्रतीकात्मक चित्र)

खालिस्तान समर्थक आतंकियों के खिलाफ कड़ा एक्शन, NIA ने दो के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

Gurupatwant Singh Pannun Dr Baba Saheb Ambedkar

होशियारपुर: खालिस्तानी आतंकी पन्नू के इशारे पर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा की बेअदबी, इलाके में रोष

पाकिस्तान का नया हथियार आईएस खुरासान (फाइल चित्र)

एक और घातक गठजोड़

terrorist

बंगाल में JMB के स्लीपर सेल की साजिश, नाबालिगों को बना रहे निशाना

पंजाब : खालिस्तानी आतंकी मॉड्यूल पर कसा शिकंजा, आधा दर्जन आरोपियों से हथियार भी बरामद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies