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ज्ञान सागर के 1051 ग्रंथों का लोकार्पण

राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानम ने कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ‘स्व’ की स्थापना करने की आवश्यकता है।

by WEB DESK
Mar 19, 2024, 02:25 pm IST
in संघ
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि

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गत दिनों भोपाल में पुनरुत्थान विद्यापीठ के ज्ञान सागर प्रकल्प के 1051 ग्रंथों का लोकार्पण हुआ। इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मध्य क्षेत्र के संघचालक अशोक सोहनी ने की। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख कार्यवाहिका सीता गायत्री अन्नदानम ने कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ‘स्व’ की स्थापना करने की आवश्यकता है।

हम जो भी विषय पढ़ते हैं, वे भारतीय ज्ञान परंपरा और जीवन मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं। इसी कारण आज की पीढ़ी में एक बहुत बड़ा वर्ग दिग्भ्रमित दिखाई देता है। व्यवस्था परिवर्तन का अगला कार्य है स्व आधारित तंत्र का निर्माण करना। उस दिशा में हमने कुछ कदम बढ़ाए हैं। पुनरुत्थान विद्यापीठ का ज्ञान सागर प्रकल्प ऐसा ही एक प्रयास है।

उन्होंने कहा कि वेदों की रक्षा के लिए भगवान ने पहला अवतार लिया। यानी ग्रंथों की रक्षा करना दैवीय कार्य है। विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में इन संदर्भ ग्रंथों का उपयोग करने की हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने पुस्तकों की तुलना भगवान के भोग से करते हुए कहा कि हम अपने इष्ट को छप्पन भोग लगाते हैं।

बाद में भोग को प्रसाद के रूप में लोगों को बांटा जाता है। इसी तरह जब हम कोई पुस्तक पढ़ते हैं तो उसका ज्ञान तत्व हमारे भीतर जाता है, पुस्तक वहीं रहती है। उससे प्राप्त विचार एवं ज्ञान को समाज में पहुंचना हमारी जिम्मेदारी है। इस अवसर पर कुछ अन्य कार्यक्रम भी हुए।

Topics: Indian knowledge traditionभारतीय ज्ञान परंपराRashtra Sevika Samitiसीता गायत्री अन्नदानमपुनरुत्थान विद्यापीठSita Gayatri AnnadanamResurrection Universityज्ञान सागर प्रकल्पराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघRashtriya Swayamsevak Sanghराष्ट्र सेविका समिति
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