‘‘हम ऐतिहासिक भूल सुधारने जा रहे हैं’’
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होम भारत

‘‘हम ऐतिहासिक भूल सुधारने जा रहे हैं’’

6 अगस्त 2019 को धारा 370 निरस्त करने के लिए लोकसभा में प्रस्तुत बिल पर सांसदों के सवालों और आपत्तियों के जवाब देते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने जो वक्तव्य रखा उसके संपादित अंश इस प्रकार हैं—

by WEB DESK
Mar 13, 2024, 04:56 pm IST
in भारत, विश्लेषण, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
फिल्म में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका में किरन करमरकर

फिल्म में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका में किरन करमरकर

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…370 को लेकर जनमानस में एक संशय था। आज यह कलंक मिट गया।
…इतिहास में यह दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
…पीओके पर हमारा दावा उतना ही मजबूत है, जितना पहले था।….बिल में पीओके और अक्साई चिन दोनों का जिक्र है।
…20 जनवरी,1948 को संयुक्त राष्ट्र ने यूएनसीआईपी का गठन किया और 13 अगस्त 1948 को उसके प्रस्ताव को भारत, पाकिस्तान दोनों ने स्वीकार कर लिया। 1965 में पाकिस्तानी सेना ने हमारी सीमा का अतिक्रमण किया था तो यूएनसीआईपी का प्रभाव खत्म हो गया था।…शिमला समझौते के वक्त भी इंदिरा गांधी ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र कोई दखल नहीं दे सकता।
…मैं पूछना चाहता हूं कि जब 1948 में हमारी सेना पाकिस्तानी कबीलों द्वाराकब्जाए हिस्से को जीत रही थी तो एकतरफा संघर्षविराम किसने किया? यह नेहरूजी ने किया था और उसी वजह से आज पीओके है। सेना को नहीं रोका होता तो पीओके आज भी हमारे साथ होता। आज की घटना का जब भी जिक्र होगा तो इतिहास नरेंद्र मोदी को सालों-साल याद करेगा।
…370 जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध था। उसे हटाना इसलिए जरूरी था क्योंकि यह संसद के अधिकार को कम करता था। पाकिस्तान अलगाववाद की भावना भड़का रहा है तो 370 की वजह से।
…70 साल तक इस मुद्दे पर चर्चा करते-करते थक गए, 3 पीढ़ियां आ गईं। किससे चर्चा करें? जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं, उनसे चर्चा करें? हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करेंगे।…घाटी की जनता से जितनी ज्यादा हो सकेगी हम चर्चा करेंगे और उन्हें अपने कामों से आश्वस्त करा देंगे कि वे हमारे लिए खास हैं।
…मैं इससे सहमत नहीं हूं कि बेकारी के कारण आतंकवाद बढ़ा। बेरोजगारी कई जगहों पर है लेकिन वहां आतंकवाद क्यों नहीं उभरा? कश्मीर में यह पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है, बेरोजगारी की वजह से नहीं।
…1989 से लेकर अब तक 41,900 लोग मारे गए हैं, तो क्या हम दूसरा रास्ता भी न सोचें! इसके लिए जिम्मेदार कौन है? क्या अब तक जिस रास्ते पर चले, वह जिम्मेदार नहीं है? हम ऐतिहासिक भूल करने नहीं बल्कि ऐतिहासिक भूल को सुधारने जा रहे हैं। 370 जम्मू-कश्मीर के विकास, लोकतंत्र के लिए बाधक है। गरीबी को बढ़ाने वाली है, आरोग्य, शिक्षा से दूर करने वाली है। यह महिला, आदिवासी, दलित विरोधी है। यह आतंकवाद का खाद और पानी, दोनों है।
आर्टिकल 370 इस देश का कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू होने से रोकता है। जम्मू-कश्मीर के सियासतदानों और 3 परिवारों ने अपने लिए इसका विरोध किया। शिक्षा का अधिकार कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं हो पाया। जमीन अधिग्रहण, दिव्यांगों के लिए, बुजुर्गों के लिए बने कानून भी स्वीकार नहीं किए गए। डिलिमिटेशन देश भर में हुआ, लेकिन जम्मू-कश्मीर में नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि वोट बैंक की राजनीति थी। अब ऐसा नहीं होगा।
…वहां के 3 परिवार नहीं चाहते कि उनके भ्रष्टाचार पर रोक लगे। 370 की वजह से राज्य के विकास को रोका गया है, जनता की भलाई को रोका गया है और लोकतंत्र का गला घोंटा गया है। पंचायती राज व्यवस्था को नहीं लागू होने दिया।
…2004 से 2019 तक 2,77,000 करोड़ रुपये भारत सरकार ने राज्य को दिये, लेकिन वे कहां गये? 370 की वजह से महिलाओं के साथ अन्याय हुआ। अब जम्मू-कश्मीर की बेटी कहीं भी शादी करे, उसे उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकेगा।….मानवाधिकार की बात करते हैं, क्या कश्मीरी पंडितों के मानवाधिकार नहीं थे?

Topics: वोट बैंक की राजनीतिVote Bank PoliticsArticle 370आर्टिकल 370370 जम्मू-कश्मीरकश्मीरी पंडितों के मानवाधिकार370 Jammu and KashmirHuman Rights of Kashmiri Pandits
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