एक नए युग का शुभारंभ
May 22, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

एक नए युग का शुभारंभ

अयोध्या में श्रीरामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही एक नए युग का शुभारंभ हुआ। यह युग है भारत का, भारतीयों का, भारतीय संस्कृति का। श्रद्धा का यह ‘रामोत्सव’ सदैव जीवंत रहेगा

by रामलाल
Mar 8, 2024, 12:05 pm IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तर प्रदेश, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अयोध्या में श्री रामलला के आगमन के नाद से भारतवर्ष में ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में एक नवोत्साह की लहर का संचार हुआ। भारत के इतिहास में 22 जनवरी, 2024 के जैसा भव्य आयोजन कदाचित् ही हुआ होगा, जिसमें सूक्ष्म स्तरीय योजना एवं वृहद् स्तरीय समायोजन का अनोखा मेल देखने को मिला। उस दिन अयोध्या में एकता, श्रद्धा, भक्ति और समरसता का अविस्मरणीय संगम देखा गया। जहां देश के प्रत्येक कोने से, भिन्न-भिन्न पृष्ठभूमियों से, सहस्रों राम-भक्त भव्य राम मंदिर में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के साक्षी बनने के लिए एकत्र हुए।

रामलाल
अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

अयोध्या में भारत और सनातन सभ्यता की प्रत्येक ध्वनि, प्रत्येक भावना और प्रत्येक परंपरा को प्रभु श्रीराम के छत्र में प्रतिच्छाया मिली। लक्षद्वीप और अंदमान के एकांत द्वीपों से लेकर लद्दाख के सुदूर पर्वतों तक, मिजोरम एवं नागभूमि के हरित वनों से लेकर मरुभूमि के रेत तक, भारत के 28 राज्य एवं 8 केंद्र शासित प्रदेश इस महा-आयोजन के साक्षी बने और भारत की सभी भाषाओं ने कहा कि ‘राम सभी के हैं।’

सितंबर, 2023 से ही निमंत्रितों की सूची बनाने से लेकर उनको बुलाने की व्यवस्था का चिंतन प्रारंभ हो गया था। सभी को निमंत्रण देने का क्रम डिजिटल पत्राचार से प्रारंभ हुआ, जिसके बाद सभी निमंत्रितों को राष्ट्र के सुदूर क्षेत्रों में जाकर भी व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण दिया गया। अंतत: सभी निमंत्रितों को एक व्यक्तिगत कोड दिया गया। कार्यक्रम का स्वरूप पूर्णतय: धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक रखा गया। इस हेतु सभी राष्ट्रीय और प्रांतीय दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों और गृह प्रदेश के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त किसी केंद्रीय मंत्री अथवा मुख्यमंत्री को निमंत्रण नहीं दिया गया। उस दिन आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों में यह भी चर्चा का एक विषय था।

आमंत्रित महानुभावों में 10 रुपए से लेकर करोड़ों रु. तक का दान करने वाले सभी दानदाता वर्गों का प्रतिनिधित्व था, राष्ट्र और सनातन सभ्यता के विभिन्न उद्गम स्थलों से निकलने वाली 131 प्रमुख और 36 जनजातीय; नवीन एवं प्राचीन धार्मिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व था। इनमें सभी अखाड़े, कबीर पंथी, रैदासी, निरंकारी, नामधारी, निहंग, आर्य समाज, सिंधी, निम्बार्क, पारसी धर्मगुरु, बौद्ध, लिंगायत, रामकृष्ण मिशन, सत्राधिकर, जैन, बंजारा समाज, मैतेई, चकमा, गोरखा, खासी, रामनामी आदि प्रमुख परंपराएं सम्मिलित थीं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन-जाति, घुमंतू समाज के प्रमुख जन का भी प्रतिनिधित्व था। विभिन्न मत-पंथ जैसे इस्लाम, ईसाई, पारसी का भी यहां प्रतिनिधित्व था।

1949 में रामलला के पक्ष में निर्णय लेने वाले जिला न्यायाधीश श्री नय्यर के परिवार के साथ-साथ तत्कालीन ड्यूटी कांस्टेबल अब्दुल बरकत, जिन्होंने गवाही दी थी, के परिवार को भी आमंत्रित किया गया था। रामलला के विरुद्ध मुकदमा लड़ने वाले परिवार के साथ तत्कालीन अधिकारियों के परिवारों को भी निमंत्रण दिया गया था। राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व करने वाले और इस आंदोलन में बलिदान हुए भक्तों के परिवार के सदस्य, राम जन्मभूमि की न्यायिक प्रक्रिया में सहभागी अधिवक्ता-गण भी इस आयोजन में सम्मिलित हुए। भारत की माननीया राष्ट्रपति और माननीय उप-राष्ट्रपति जी के साथ पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री भी इस कार्यक्रम में आमंत्रित थे। भारत की सुरक्षा में तत्पर तीनों सेनाओं के सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष और परमवीर चक्र विजेता भी यहां थे और भारत को चंद्रमा तक ले जाने वाले इसरो के वैज्ञानिकों से लेकर भारतीय कोविड-वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिक भी यहां थे।

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में साधु-संतों का अभिवादन स्वीकार करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

उच्चतम न्यायालय के तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों सहित अनेक पूर्व न्यायाधीश, सेवानिवृत्त प्रशासनिक पुलिस एवं अन्य अधिकारी, विभिन्न देशों में रहे भारत के राजदूतों से लेकर बुद्धिजीवी, शिक्षाविद्, नोबेल पुरस्कार, भारतरत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण, पद्मश्री और मैग्सेसे पुरस्कार के साथ-साथ साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित महानुभाव भी सम्मिलित हुए। प्रख्यात अधिवक्ता, चिकित्सक, सी.ए., समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों के संचालक/संपादक, प्रख्यात सोशल-मीडिया इंफ्ल्युएंसर्स आदि के साथ-साथ देश के बड़े औद्योगिक परिवार भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। भारत के प्रमुख राज परिवारों के सदस्यों से लेकर अनेक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी; चित्रकारी, शिल्पकारी, गायन, लेखन-साहित्य, वादन, नृत्यकला आदि ललित कलाओं के कलाकार; हिंदी, कन्नड़, मलयालम, तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, बंगाली, ओडिया, असमिया, भोजपुरी, पंजाबी एवं हरियाणवी फिल्म उद्योग की अनेक हस्तियां भी इस आयोजन में सम्मिलित हुईं। 53 देशों से आए 150 प्रतिनिधि भी इस समारोह में सम्मिलित हुए।

मुख्य पूजा में 15 यजमान बैठे थे, जिनमें सभी जातियों-वर्गों (सिख, जैन, नवबौद्ध, निषाद समाज, वाल्मीकि समाज, जनजाति समाज, घुमंतू जातियां आदि) और भारत की सभी दिशाओं (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, उत्तर-पूर्व) से आए व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व था। इन सभी के मंच पर ही बैठने की व्यवस्था थी। देश का पोषण एवं विकास करने वाले किसान और श्रमिक बंधुओं के साथ सहकारिता और ग्राहक संगठनों के प्रतिनिधि भी यहां उपस्थित थे। एल एंड टी व टाटा समूह के अधिकारी, अभियंता और श्रमिक भी थे।

जिन श्रमिकों ने प्रभु श्रीराम के मंदिर को आकार दिया, प्रधानमंत्री जी ने स्वयं उन पर पुष्प-वर्षा करके उनका अभिनंदन किया। संघ और विश्व हिंदू परिषद के अनेक प्रबंधक कार्यकर्ताओं से लेकर संघ के पूजनीय सरसंघचालक माननीय श्री मोहनराव भागवत और भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। श्री रामलला प्रतिष्ठित हुए हैं तो सभी देवी-देवताओं ने भी उपस्थित होकर अपना आशीर्वाद अवश्य ही दिया होगा।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आग्रह पर जहां विश्व हिंदू परिषद के सैकड़ों कार्यकर्ता दिन-रात लगे थे, वहीं ट्रस्ट के ही आग्रह पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य कई स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के अनेक कार्यकर्ता इस आयोजन की व्यवस्था में थे। उनके प्रबंधन के अनुभव का लाभ सूक्ष्म दृष्टि से व्यवस्था के चिंतन में हुआ, जिसका अनुभव वहां आए प्रत्येक रामभक्त को हो रहा था। चाहे स्वागत हो, चाहे बैटरी चालित वाहन, चाहे व्हील चेयर की व्यवस्था हो, चाहे पदवेश उतारने की व्यवस्था। सभी के जूते स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रमुख लोग अपने हाथों से उतार कर रख रहे थे और लौटने पर पहना भी रहे थे।

लघुशंकालयों के बाहर भी चप्पलों की व्यवस्था थी। सभी कुछ सूक्ष्म चिंतन करके तैयार किया गया था। अयोध्या के नागरिक और प्रशासन भी ट्रस्ट के साथ समन्वय करते हुए अयोध्या को संवारने में लग गए। अयोध्यावासी सामान्य-जन के लिए यह एक कौतूहल का विषय था कि कैसे 4 माह में अयोध्या नगरी का स्वरूप सहसा परिवर्तित हो गया। भक्त-जन, पूज्य साधु-संत और अनेक महानुभावों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण विषय था, जो कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और अन्य सुरक्षा दलों के बिना संभव नहीं था। उत्तर प्रदेश और अयोध्या पुलिस के सहयोगपूर्ण, मित्रवत् व्यवहार से सभी प्रभावित हुए। उसी का परिणाम था कि इतना बड़ा कार्य सरलता से निर्विघ्न व यशस्विता के साथ संपन्न हुआ। सभी के साथ प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद तो था ही।

तीन दिनों में अयोध्या में बिना किसी राजनैतिक या व्यावसायिक आयोजन के 71 निजी विमान गतिमान हुए। लखनऊ तथा अयोध्या के विमानतल एवं लखनऊ, अयोध्या, काशी, गोरखपुर, गोंडा, सुल्तानपुर, प्रयागराज आदि रेलवे-स्टेशनों पर केसरिया पटके के साथ स्वागत एवं यातायात की पूर्ण व्यवस्था की गई। विभिन्न उपस्थित लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, सभी के लिए आवास व्यवस्था सावधानीपूर्वक तैयार की गई थी। टेंट सिटी, होटल, आश्रम, धर्मशाला सहित कुछ विद्यालयों तथा 200 स्थानीय परिवारों में रुकने की व्यवस्था की गई थी। संपूर्ण अयोध्या ‘राम आएंगे’ गीत की ध्वनि से गुंजायमान थी। अयोध्या की गलियों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद देर रात्रि तक सभी ने लिया।

भारत का इतिहास साक्षी है कि यह स्वयं में ऐसा एक ही कार्यक्रम था, जहां इस स्तर के व्यक्ति 4-5 घंटे तक सामान्य कुर्सियों पर बैठे। पूर्व प्रधानमंत्री श्री देवेगौड़ा जी वहां 4 घंटे व्हील-चेयर पर बैठे। न तो वहां किसी के सहयोगी थे, न ही सुरक्षाकर्मी। प्रसाद स्वरूप सभी को जल सेवा एवं जलपान उनकी कुर्सियों पर ही दिया गया। प्रभु श्रीराम के घर में सभी जातियां, सभी वर्ग, सभी क्षेत्र, एक समान थे, एक साथ थे। सभी ने अपने औहदे, अपनी सामाजिक-आर्थिक महत्ता से ऊपर उठकर अयोध्या के सादगीपूर्ण आतिथ्य को सहृदय स्वीकार किया।
भारत के हर नगर, हर गांव में सभी प्रभु श्रीराम के शुभागमन हेतु आतुर थे।

संपूर्ण भारत का हर गांव, हर मोहल्ला, हर मंदिर अयोध्या बन गया था। जो अयोध्या नहीं आ पाए, उन्होंने स्थानीय मंदिरों में पूजन किया, रात्रि में दीपोत्सव मनाया। सभी का मन एवं आत्मा उस दिन अयोध्या में ही थे। श्री रामलला के स्वागत हेतु अयोध्या नगरी एवं मंदिर परिसर को भी असंख्य कुंतल पुष्पों से सुसज्जित किया गया, भारत के सभी प्रांतों के परंपरागत वाद्य-वादक, 30 से अधिक कलाकारों ने वातावरण को राम-गीतों से संगीतमय कर दिया और आरती के समय सहस्रों पीतल की घंटियों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।

रामलला के अवतरण के साथ ही हेलिकॉप्टर द्वारा मंदिर परिसर पर की गई पुष्प वर्षा से लग रहा था, मानो संपूर्ण देवलोक प्रसन्न होकर पुष्प-वर्षा कर रहा है। यह आयोजन एक समारोह मात्र के स्तर से ऊपर उठ गया था, यह एक दैवीय अनुभूति, एक आध्यात्मिक यात्रा में परिवर्तित हो चुका था। लोग भाव विभोर थे, वातावरण दिव्य लोक के समान एक अलौकिक आभा से आच्छादित हो गया। कुछ श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे, कुछ नृत्य-लीन थे। कोई स्वर्ग की अनुभूति कर रहा था, कोई त्रेता युग की। सभी के लिए श्रीराम पुन: लंका से अयोध्या लौट रहे थे। अगले दिन तो प्रात: 3 बजे से ही श्रद्धलुओं ने श्री रामलला के दर्शन हेतु पंक्ति-बद्ध होना प्रारंभ कर दिया था।

23 जनवरी को लगभग 5 लाख लोगों ने उत्साह और पूर्ण अनुशासन के साथ श्री रामलला के दिव्य दर्शन किए। अयोध्या के इस दैवीय आयोजन ने जाति, वर्ग, भाषा, प्रांत, मत-पंथ की सीमाओं को पार करते हुए, परंपरा से ओत-प्रोत, फिर भी प्रगति को गले लगाते हुए, एक राष्ट्र की सामूहिक चेतना का जागरण किया। प्रभु श्रीराम की चिर-विरासत का एक प्रमाण, जो विश्व भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित और एकजुट करता है, यह आयोजन एकता, अखंडता, समरसता और श्रद्धा के ‘रामोत्सव’ के रूप में युगों-युगों तक जीवित रहेगा। अब समय आ गया है कि हम प्रभु श्रीराम का स्मरण कर, भारत को सुखी, संपन्न, स्वस्थ, समर्थ और सम्मानित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का संकल्प लें। भारत को ‘विश्व-गुरु’ के रूप में स्थापित करें। जय श्रीराम!

Topics: Prabhu Shri RamTribal Samajjainsअयोध्या में भारतसनातन सभ्यताअयोध्या श्री रामललाजैननवबौद्धसिखनिषाद समाजप्रभु श्रीरामघुमंतू जातियांवाल्मीकि समाजIndia in Ayodhyaजनजाति समाजAyodhya Shri RamlalamanasNishad Samaj
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

महाकुंभ में इस नाविक परिवार की चमकी किस्मत : 45 दिन में कमाए करोड़ों, योगी ने सुनाई सफलता की कहानी.!

Maha Kumbh 2025

प्रयागराज 2025 महाकुंभ की स्मृतियां और अनुभव

सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड ने एक बयान जारी किया है कि गुरुद्वारों में पुलिस की इस प्रकार की कार्यवाही से सिखों में आक्रोश उपजेगा।

America: पुलिस को गुरुद्वारों में अवैध अप्रवासियों के छुपे होने का शक, सिखों के गुस्से के बीच पुलिस के छापे जारी

हैरो सिनेमाघर में खालिस्तानी उत्पात

खालिस्तानी उत्पात, लंदन में कंगना की ‘इमरजेंसी’ के विरुद्ध लगाई घात, हॉल में पहुंचकर की नारेबाजी

सनातन दर्शन की प्रेरणास्रोत है पुण्य नगरी अयोध्या

बाली द्वीप के एक भित्ति चित्र में राम और सीता

जित देखें तित राम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Uttarakhand Pushkar Singh Dhami demography change

उत्तराखंड: सीएम धामी का सख्त फरमान, अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और डेमोग्राफी नहीं करेंगे बर्दाश्त

S jaishankar

आतंकी पाकिस्तान में हैं तो उन्हें वहीं घुसकर मारेंगे: विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले-ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी

pomegranate leaf tea

घर पर अनार के पत्तों की चाय कैसे बनाएं?

Pahalgam terror attack

BREAKING: जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ में सेना की मुठभेड़ में दो आतंकी ढेर, दो की तलाश जारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

ISI की बड़ी साजिश नाकाम: दो पाकिस्तानी एजेंट गिरफ्तार, दिल्ली में आतंकी हमले की थी तैयारी

G Parmeshwar ED Raid Cooperate

अपने शैक्षणिक संस्थानों पर ED के छापे से नरम पड़े कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर, अब कहा- हम सहयोग करेंगे

Operation Sindoor BSF Pakistan infiltration

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने 8 मई को 45-50 आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश की, बीएसएफ ने किया नाकाम

करवाचौथ का व्रत केवल सुहागिनों के लिए ही क्यों, “तलाकशुदा और लिव के लिए भी हो”, SC ने खारिज की दलील

G Parmeshwara ED Raids Gold smuggling case

बुरे फंसे कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर, गोल्ड तस्करी के मामले में ED ने कई ठिकानों पर मारे छापे

प्रतीकात्मक तस्वीर

राजस्थान हाईकोर्ट: शैक्षणिक रिकॉर्ड में मां का नाम सिर्फ विवरण नहीं, बच्चे की पहचान का आधार है

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies