नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने शुक्रवार को कहा कि डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना तीन कारणों से की थी। उनका मानना था कि देश आत्म अभिमान को भूल गया है। लोगों में स्वार्थ बढ़ गया है। लोगों में संगठित रहने की भावना नहीं रही। संघ की स्थापना कर उन्होंने इन तीनों दोषों को पहचाना और उन पर काम किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने शुक्रवार को संगठन के पहले सरसंघचालक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार पर लिखी पुस्तक के अंग्रेजी संस्करण ‘मैन ऑफ द मिलेनिया डॉ. हेडगेवार’ का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस अब्दुल नजीर मुख्य अतिथि और एशियानेट के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कालरा सम्मानित अतिथि थे। पुस्तक लोकार्पण जीएमसी बालयोगी सभागार, संसद भवन में आयोजित किया गया।
सरकार्यवाह जी ने कहा कि किसी व्यक्ति को युग पुरुष की संज्ञा तब दी जाती है जब उसके जाने के बाद भी उसके कार्य समाज को प्रेरित करते रहते हैं। डॉ हेडगेवार को मैन ऑफ द मिलेनिया कहना इसलिए सार्थक है। वे कभी स्वयं को संघ का संस्थापक, गुरु नहीं मानते थे। उनका मानना था कि काल परिस्थिति के अनुरूप देश में हमेशा जागरूकता का कार्य होता रहा है और वे भी वर्तमान के अनुरूप यही कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वे जन्मजात देशभक्त और किसी भी कीमत पर मूल्यों से समझौता न करने वाले व्यक्ति थे। मानना था कि व्यक्ति निर्माण और संगठन का कार्य सिक्के के दो पहलू हैं और उन्होंने सदैव इस दिशा में कार्य किया।
सरकार्यवाह जी ने बताया कि डॉ. हेडगेवार के जाने के बाद एनएच पालकर ने उनकी जीवनी लेखन का कार्य किया। इस पुस्तक का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ था लेकिन अभी तक अंग्रेजी में इसका संस्करण नहीं आया था। अनिल नेने जी ने इस पुस्तक का अनुवाद किया। दुखद है कि पुस्तक के विमोचन से पूर्व ही उनका स्वर्गवास हो गया।
उन्होंने कहा कि संघ और संघ कार्य को समझने के लिए दिमाग से ज्यादा दिल की आवश्यकता है। यह भावना का विषय है। इसलिए संघ में कहा जाता है कि संघ को समझने के लिए संघ की शाखा में आना चाहिए।
एशियानेट के राजेश कालरा ने कहा कि संघ में अनुशासन को महत्व दिया जाता है। राष्ट्रसर्वोपरि की भावना से कार्यकर्ता कार्य करते हैं। ऐसे में उन्हें नहीं समझ में आता कि सालों तक संगठन के खिलाफ गलत नरेटिव क्यों चलता रहा। संघ ने हमेशा समाज पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है।
इस अवसर पर सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली ने कहा कि यह डॉ. हेडगेवार पर लिखी सबसे प्रामाणिक पुस्तक है। प्रकाशन का उद्देश्य है कि देश विदेश में भारत को महान बनाने वाले लोग इसे पढ़े और प्रेरणा लें।
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