झारखंड सरकार महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बड़ी-बड़ी बातें करती है, वहीं जब उन्हें उचित न्याय दिलाने की बात हो तो धरातल पर स्थिति कुछ और ही दिखाई देती है। अक्सर ऐसी स्थिति तब देखने को मिलती है जब आरोपी किसी विशेष समुदाय का हो। ये तो कोई भी महसूस कर सकता है कि किसी महिला के साथ दुष्कर्म हो तो उसकी मानसिक स्थिति पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा। इस तरह के मामलों में कई महिलाएं या युवतियां एक तरफ तो समाज में बदनामी के डर से थाने तक पहुंच ही नहीं पातीं। अगर पहुँच भी गईं तो मामले को रफा-दफा करने का हर संभव प्रयास होता है या फिर उनके साथ वो व्यवहार होता है जो एक पीड़िता के साथ नहीं होना चाहिए।
इसी तरह का एक मामला रामगढ़ थाना क्षेत्र से देखने को मिला है। यहां एक 29 वर्षीय शादीशुदा महिला के साथ मोहम्मद अजमल अंसारी ने कई बार जबरन दुष्कर्म किया। उसे मार-पीट कर इस्लाम कबूल करवाकर उससे निकाह किया और अब उसकी अश्लील तस्वीर निकाल कर वायरल करने की धमकी दे रहा है। किसी तरह से वह महिला उससे बचकर 24 फरवरी को एक समाजसेवी के संपर्क में आई तो उन्होंने इस मामले को थाने तक पहुंचा दिया। पीड़िता ने जब थाने में आवेदन दिया तो यहां भी उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। काफी मशक्कत और भारी दबाव के बाद पुलिस ने 24 घंटे के बाद उसका आवेदन 25 फरवरी को स्वीकार किया। हालांकि अब पुलिस जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दे रही है।
पीड़िता ने अपने आवेदन में बताया कि वह बोकारो की रहने वाली है और गुरु सारथी हेल्पिंग वेलफेयर फाउंडेशन नाम के एनजीओ में कार्यरत थी। मोहम्मद अजमल अंसारी इसी एनजीओ का निदेशक है। अजमल पिछले कई महीनों से पीड़िता को जान से मारने की धमकी देकर शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहा था। इसी वर्ष 7 जनवरी को अजमल ने पीड़िता को बोकारो के लोधी गांव में जबरन इस्लाम कबूल करवाया और उससे निकाह किया। इसके बाद कई बार उसका शारीरिक शोषण करता रहा। इसी कड़ी में अंतिम बार 8 फरवरी 2024 को अपने कार्यालय की एक बैठक के बहाने रामगढ़ के ही एक होटल में बुलाया और वहां पर उसके साथ फिर से दुष्कर्म किया। इस बार उसने पीड़िता का अश्लील वीडियो बनाकर रख लिया।
पीड़िता ने यह भी बताया कि अजमल ने उसके मोबाइल के सारे डाटा को चुरा लिया है। जब पीड़िता ने उसके पास जाने से मना कर दिया था तो अजमल लगातार उसके आपत्तिजनक वीडियो को वायरल कर उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा। अंत में पीड़िता ने रामगढ़ के ही एक समाजसेवी दीपक सिसोदिया से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई। दीपक ने पीड़िता को रामगढ़ के महिला थाने में आवेदन देने को कहा। पीड़िता के आवेदन देने के 24 घंटे के बाद रामगढ़ पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इन सब में सबसे अच्छी बात यह रही कि पीड़िता को उनके पति का भी साथ मिला। दोनों ने मिलकर पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है।
पीड़िता के पति का कहना है कि उनकी पत्नी के साथ बहुत गलत हुआ है और वे चाहते हैं कि अजमल को ऐसी सजा मिले की दोबारा कोई हिंदू महिला के साथ इस तरह की हरकत ना कर सके।
समाजसेवी दीपक सिसोदिया ने भी इस मामले पर कहा कि झारखंड में जिस तरह की सरकार चल रही है उस हिसाब से प्रदेश में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं दिखाई देती है। एक तरफ सरकार और प्रशासन महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए बड़े-बड़े वादे करती है दूसरी तरफ एक पीड़ित महिला का आवेदन स्वीकार करने में 24 घंटे से अधिक का समय लगा देती है। विशेष तौर पर प्रशासन का इस तरह का रवैया तब होता है जब कोई आरोपी मुसलमान हो। उन्होंने बताया कि ज्यादा देर करने से आरोपी के फरार होने की संभावना बढ़ जाती है और पीड़ितों को न्याय मिलने में देर हो जाती है।
अब देखना यह है कि जिस तरह से प्रशासन का रवैया देखने को मिला है, उस हिसाब से पीड़िता को न्याय मिल पाता भी है या नहीं? सवाल अभी भी वही है कि आखिर यह कैसी सरकार चल रही है जहां प्रशासन निरंकुश हो चुका है और सरकार बेबस?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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