शाहजहां शेख और उसके गुर्गों की दानवता का शिकार महिलाएं आपबीती सुनाती हुईं
सत्ता के केंद्र कोलकाता से …सिर्फ ढाई-तीन घंटे की दूरी है संदेशखाली की। लेकिन पिछले लगभग ढाई साल से हर रात बलात्कार और मान-मर्दन का शिकार हो रहीं इस गांव की ‘मां’ की कातर पुकार न सिर्फ अनसुनी की जाती रही है, बल्कि हैवान शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सर्दार कथित तौर पर राइटर्स बिल्डिंग में ममता की छांह तले बैठे हैं। पुलिस ममता की, थाने ममता के, पंचायत ममता की…लेकिन इन मांओं से सरकार को ‘ममता’ नहीं है। उनके आंसू पोंछने जाना तो दूर की बात, कोलकाता की ‘ममता’ संदेशखाली को फूंटी आंख देखने को तैयार नहीं
45 वर्षीय सुरेखा इतना कहकर थम जाती हैं। डबडबाती आंखें, असहाय चेहरा और कांपते ओठों से इशारा करती हैं कि अब कुछ नहीं बोलना। फिर ज्यादा कुरेदने पर आगे कहती हैं,‘‘ एैक दिन पुलिसे बाबू बाड़ीर काछे दाड़िये छिलो। अन्नो दिगे शाहजहां शेख नेर गुंडा वाहिनी बाड़ीर जानला भेंगे घरे ढुके जाए आर हाथ धोड़े टानाटानी कड़े। आमार हाथेर पोला भेंगे जाए। ओर गुंडारा हुमकी दीच्छीलो आगे तुई बेड़ौ तोके देखवौ। तोके गनो धरशन कोरबो। ऐई सब संदेशखालीर पुलिसेर सामने होच्छिलो, किंतु बाबूरा किच्छु बोलेनी।’’
(एक दिन पुलिस का बाबू बाड़ी के पास खड़ा था। तो दूसरी तरफ शेख शाहजहां की टोली के गुंडे खिड़की तोड़कर घर में घुस आए और हाथ पकड़कर खींचने लगे। हमारे हाथों की चूड़ी टूट गईं। इन गुंडों ने धमकी दी कि पहले तो तू निकल, तुझे बताते हैं। हम सब तेरे साथ बलात्कार करेंगे। उस समय संदेशखाली की पुलिस सामने थी, लेकिन बाबू कुछ नहीं बोले।)
उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपमंडल के अंतर्गत संदेशखाली की रहने वाली ये महज कुछ महिलाओं-लड़कियों की दर्दभरी दास्तां हैं। लेकिन सचाई यह है कि संदेशखाली में ऐसी अनगिनत महिलाएं हैं, जो टीएमसी के गुंडे शाहजहां शेख, उत्तम सर्दार और शिबू हाजरा और उसके गुर्गों से पीड़ित हैं। कुछ महिलाएं तो अपनी पहचान छिपाकर बोलने की हिम्मत जुटा रही हैं, लेकिन भयभीत महिलाओं की एक बड़ी तादाद ऐसी है, जो अपने ऊपर हुए अत्याचार, बर्बरता के बारे में बताने से साफ इंकार कर देती है। वे बस एक ही बात कहती हैं,‘‘अगर उसके लोगों को पता चल गया तो हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा।’’
गौरतलब है कि संदेशखाली बांग्लादेश का सीमावर्ती क्षेत्र है। सुंदरबन से घिरा यह इलाका अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल है। यहां जाने के लिए आपको नाव लेनी पड़ती है। यहां ‘दलित’ और ‘आदिवासी’ महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर हुई अत्याचार और बलात्कार की घटनाओं से पूरा देश दहला हुआ है। लेकिन आरोपियों की कथित संरक्षणकर्ता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पुलिस उलटे उन महिलाओं को गिरफ्तार कर रही है, जो अपने ऊपर हुए जुल्म को सामने रख रही हैं। गत 17 फरवरी को तृणमूल के गुंडों द्वारा यौन शोषण का शिकार हुई पीड़िता के घर पुलिस वर्दी में कुछ गुंडों ने हमला किया और जमकर तोड़फोड़ की। महिला का आरोप है कि उसने टीएमसी नेताओं की कारगुजारियां सामने रखी थीं। घर पर हमला उसी का नतीजा था। किसी को गुंडों के हमले का शक न हो इसके लिए पुलिस की वर्दी पहनी हुई थी। पीड़िता का कहना है कि वह टीएमसी के गुंडों द्वारा यौन शोषण की शिकार है। इसी के चलते पिछले दिनों शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन आरोपित आज भी खुले घूम रहे हैं।
दरअसल, बंगाल में आज जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जड़ें वामपंथी सत्ता में खोजी जा सकती हैं। हजारों हत्याओं का काल वामपंथ की सत्ता के साथ विदा तो हो गया, लेकिन वे नृशंस हत्यारे जीवित रह गए। सत्ता बदली, लेकिन बंगाल में वामपंथ का गुंडा तंत्र जस का तस रहा। सारे वामपंथी बर्बर गुंडे अब ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं। आज संदेशखाली में बड़ी संख्या में बलात्कार उन्हीं गुंडों की बर्बरता का प्रमाण हैं। ममता के जिहादी गुंडे घर से चुन-चुनकर हिन्दू महिलाओं को उठाते फिर उनके साथ पार्टी कार्यालय में बलात्कार करते। यह सब 13-14 साल से यहां चल रहा है। पुलिस पीड़ितों को शिकायत करने पर दुत्कार कर वापस भेज देती है।
संदेशखाली की घटना तब मुख्यधारा के मीडिया की खबर बनी जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने वहां के हालात पर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इसके पहले तक मीडिया संदेशखाली की घटना पर चुप्पी साधे हुआ था। उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि टीएमसी के लोग घर-घर जाकर देखते थे कि किस घर की कौन सी बहू सुंदर है। उम्र में कौन कम है। ये संदेशखाली की महिलाएं कह रही हैं। ये महिलाएं दलित, आदिवासी, किसान और मछली का व्यापार करने वाले समुदायों से हैं। इन महिलाओं को चिन्हित किया जाता, उनके पतियों से कहा जाता कि तुम इनके पति हो सकते हो, लेकिन अब तुम्हारा इस महिला पर अधिकार नहीं है।
टीएमसी के गुंडे महिलाओं को रात में उठाकर ले जाते और जब तक उनका मन नहीं भर जाता था, तब तक इन महिलाओं को रिहा नहीं किया जाता था। शाहजहां शेख को ममता का पूरा संरक्षण प्राप्त है। ये ग्रामीण अंचल की महिलाएं हैं, जो ठीक से अपना दुख भी साझा नहीं कर पा रही हैं। राज्य में हिन्दुओं के नरसंहार का सौदा कर ममता सत्ता का साम्राज्य चला रही हैं।
हालात इतने खराब हैं कि ममता के गुंडे घर घर जाकर छोटी उम्र की हिन्दू परिवार की बहुओं का बलात्कार करते हैं। लेकिन ममता इस पर कुछ नहीं बोलती हैं और जो बोलता है उसका मुंह बंद करा देती हैं। ऐसा अंधा राज बंगाल में चल रहा है। ममता बनर्जी हर बार ऐसी घटनाओं पर कहती हैं कि तथ्य नहीं हैं। क्या यह शर्मसार करने वाली बात नहीं है? जो अपराधी हैं, उन पर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें सत्ता का संरक्षण है। आखिर कब तक हिन्दुओं की बलि चढ़ती रहेगी? कब तक सत्ता के संरक्षण में टीएमसी के गुंडों द्वारा हिन्दू महिलाओं का बलात्कार होता रहेगा?
स्थानीय मुसलमान शाहजहां शेख को बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र का ‘बेताज बादशाह’ मानते हैं। शेख ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीपीएम से की, लेकिन 2009 में राज्य में हुए बड़े राजनीतिक परिवर्तन को भांपते हुए उसने भी अपना पाला बदल लिया और टीएमसी में शामिल हो गया। साल, 2011 में तृणमूल की सत्ता आते ही सामान्य कार्यकर्ता शेख को स्थानीय पुलिस-प्रशासन व सत्ता के आकाओं का संरक्षण मिल गया। इसके पीछे की वजह साफ थी। वह रसूख रखने वालों के धन को नियंत्रित करने के साथ ही उसे ठिकाने लगाने में माहिर था। बशीरहाट में सामाजिक संगठन के लिए काम करने वाले विवेक बताते हैं,‘‘शेख का प. बंगाल ही नहीं बांग्लादेश में भी एक बड़ा नेटवर्क है, जो सारे गलत धंधों में सहयोग करता है। उसका इस इलाके में इतना प्रभाव है कि हिन्दू के अलावा हाशिए पर जा चुके मुसलमान भी अपने साथ हुए ‘अत्याचार’ की शिकायत जब पुलिस से करते हैं तो पुलिस शिकायतकर्ता को शेख के पास ही भेज देती है। खूनी आतंक का पर्याय बन चुके शेख पर पुलिस कानूनी कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाती। क्योंकि सरकार के आला अधिकारी और तृणमूल के बड़े नेताओं का स्पष्ट संकेत है कि शेख जो करे उसे करने दो। यही वजह है कि पुलिस उसे संरक्षण देती है।’’ खबरों के अनुसार, शाहजहां शेख माफिया की तरह इलाके में काम करता है। उसके गुर्गे घर से 5 किलोमीटर के दायरे में रात-दिन गश्त करते हैं। शेख को इनके जरिए पल-पल की जानकारी मिलती है। अगर कोई जांच एजेंसी संदेशखाली में प्रवेश करती है तो इन गुंडों द्वारा उन्हें 5 किमी. पहले ही रोक दिया जाता। वह अनेक तरह से वसूले गए काले धन को घर से नियंत्रित करता और उसे कहां, कैसे भेजना उसकी भी व्यवस्था करता। धीरे-धीरे स्थिति यह हो गई कि शाहजहां शेख तृणमूल कांग्रेस को पार्टी फंड में सबसे ज्यादा धन देने लगा। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कथित तौर पर खुद उसके बचाव में उतरना पड़ा और कहना पड़ा कि ‘भाजपा के लोग जानबूझकर उसे लक्षित कर रहे हैं, जबकि वह तो एक ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ है’।
परिवार की एक लड़की को उठाकर ले गए। रात भर पार्टी कार्यालय में रखा। फिर सुबह छोड़ दिया। मुझे भी बोला था कि रात 12 बजे मीटिंग है, आना पड़ेगा।
— कल्पना मंडल (परिवर्तित नाम), पीड़ितावे जब चाहते बैठक, रैलियों के लिए हमारे घरों से हमें ले जाते। हमें अपना सारा काम छोड़कर जाना पड़ता। अगर कोई जाने से मना करता तो उसके साथ अत्याचार होता। घर से जबरदस्ती उठा ले जाते। हमारी जमीनों को छीन लिया जाता। घर के पुरुषों को भी धमकी देते हैं।
— रानू देवी (परिवर्तित नाम), पीड़ितामीटिंग के नाम पर हमारे ऊपर बड़ा अत्याचार होता है। गुंडे चुन चुनकर घर की बहू-बेटियों को उठा ले जाते। उनकी नजर सुंदर लड़कियों पर होती। अगर कोई विरोध करता है तो वे जबरदस्ती उठा ले जाते। हम सब हाथ पटकते रह जाते हैं।
— सुहानी (परिवर्तित नाम), पीड़ितानए नए लड़कों को पिस्तौले दी जाती हैं। इससे वह लड़कियों-महिलाओं को डराते हैं। मार डालने की धमकी देते हैं। दबाव डाला जाता कि जो कहें वह करो नहीं तो बुरा सुलूक किया जाएगा। अगर विरोध करती तो मां-बाप को मार डालने की धमकी दी जाती।
— शैली (परिवर्तित नाम), पीड़िताहमें जबरदस्ती वोट डालने पर मजबूर किया जाता। अपने उम्मीदवारों के आगे जबरदस्ती अंगूठा लगवाते हैं। हम किसके पास जाएं? हमारी यहां कोई सुनने वाला नहीं है। जिस पुलिस के पास जाते हैं अपनी पीड़ा बताने के लिए तो वह उलटे हमारे ऊपर ही मामला दर्ज कर प्रताड़ित करने लगती है।
— सौम्या सरकार (परिवर्तित नाम), पीड़िताइस सरकार और पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है। यहां पतियों के सामने महिलाओं को उठाकर ले जाते हैं। आवाज उठाने पर खून की धमकी दी जाती है। कहा जाता है कि बोले तो बच्चों को मार डालेंगे। कई पुरुषों के विरोध करने पर हाथ-पैर तक तोड़े गए। इतनी पिटाई करते हैं कि कई कई दिन घर के मर्द बिस्तर से नहीं उठ पाते हैं।
— सीता सरकार (परिवर्तित नाम), पीड़िताहम जब भी मीडिया से बात करते हैं तो कुछ लोगों की शिकायत पर पुलिस हमारे घर सुबह-सुबह आ धमकती है, मेरे पति के साथ दुर्व्यहार करती है। जब मैं उन्हें बचाती हूं तो पुलिस हमारे साथ भी अत्याचार करती है। उसने हमारी छोटी बच्ची तक को नहीं छोड़ा। वह घर में तोड़फोड़ करती है और हाथापाई करती है। वे गंदी और भद्दी-भद्दी गालियां देते हैं। हम सबको सुरक्षा चाहिए। पूरा गांव असुरक्षा की भावना में जी रहा है।
— रेखा (परिवर्तित नाम), पीड़िताशेख शाहजहां, शिबू हाजरा, उत्तम सर्दार के गुंडे हमारे घरों पर धावा बोलते हैं। धमकाते हैं। जब पुलिस से इसकी शिकायत करते हैं तो वह कुछ नहीं करती। मेरा भरोसा पुलिस से उठ गया है। हमें हमारा मान-सम्मान चाहिए। हमें हमारी जमीन चाहिए। जो हमें पीटते थे, हमारी लड़कियों को ले जाते थे, अभी तक उन पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हुई है? हमारा मान-सम्मान कौन वापस दिलाएगा?
— गीता (परिवर्तित नाम), पीड़ितामैंने विरोध किया तो देर रात मेरे घर आकर तोड़-फोड़ की गई। मुंह बंद करने की धमकी दी। शिबू हाजरा और उसके सहयोगी ऐसा करते हैं।
— निशा (परिवर्तित नाम), पीड़िता
उत्तर 24 परगना मछली पालन/उत्पादन का एक बड़ा केंद्र है। सुंदरबन से जुड़े होने के कारण मछली पालन के लिए अनुकूल पर्यावरण है। यहां हजारों एकड़ भूमि पर मछलियों का पालन एवं उत्पादन होता है, जिनको यहां पर भेड़ी कहते हंै। बशीरहाट निवासी प्रियोजीत सरकार कहते हैं, ‘‘राज्य सरकार की हजारों एकड़ भूमि पर मछली पालन-उत्पादन होता है। आम लोग इसे लीज पर लेते थे और सरकार को उसका कर देते थे। लेकिन अब इस पूरी जमीन पर शेख और उसके गुर्गों का कब्जा है। अब वह उस भूमि को ठेके पर उठाता है। क्षेत्र में सभी भेड़ी के मालिकों से 20 फीसदी कर यानी कट मनी वसूलता है। इसके अलावा बशीरहाट इलाके में ईंट भट्ठों का काम बहुत है। इनके मालिकों से भी वह 20 फीसदी धन की उगाही करता है।’’ बता दें कि उत्तर 24 परगना जिले के बारासात, बोनगांव व बशीरहाट, तीनों क्षेत्रों की सीमाएं बांग्लादेश से जुड़ी हुई हैं। बशीरहाट के संदेशखाली की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हंै कि यह क्षेत्र सुंदरबन से जुड़ा हुआ है और सुंदरबन बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि शेख इलाके की परिस्थिति का भरपूर फायदा उठाकर तस्करी और अवैध धंधे को अंजाम देता है। संदेशखाली के विकास महतो बताते हैं,‘‘शेख अकेले मछली उत्पादन, लेवी, ईंट भट्ठों से ही अवैध कमाई नहीं करता वह सोना तस्करी, गोतस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और लड़कियों और महिलाओं की भी तस्करी करता है।’’
प.बंगाल में हर दिन महिलाओं के साथ बर्बरता हो रही है। रोंगटे खड़े कर देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। यहां की सरकार भ्रष्ट और निकम्मी हो चुकी है, जिसे लड़कियों और महिलाओं का दुख-दर्द दिखाई नहीं दे रहा। राज्य सरकार अपराधियों को संरक्षण देती है, गुनाह करने वालों को पुरस्कृत करती है और निरीह गरीबों को पुलिस से डराती है।
— अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय मंत्रीयहां के लोग डर के चलते बहुत कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। उनको लगातार डराया जा रहा है। संदेशखाली बहुत गंभीर विषय है।
-अरुण हलधर, अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोगपुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के अपराधी मिलकर उन (महिलाओं) पर अत्याचार कर रहे हैं। आज से नहीं, महीनों और सालों से ये सिलसिला चल रहा है। पुलिस उनकी आवाज दबा रही है। अब पीड़िताएं पुलिस पर यकीन नहीं कर रही हैं।
— अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस नेतासंदेशखाली में महिला उत्पीड़न की उजागर हुई घटनाओं को लेकर वहां जारी तनाव व हिंसा बेहद चिन्तनीय है। राज्य सरकार इस मामले में निष्पक्ष होकर दोषियों के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करे, ताकि ऐसी घटनाओं की आगे पुनरावृत्ति ना हो सके।
— मायावती, राष्ट्रीय अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी
बीती 5 जनवरी को ईडी ने राज्य में हुए 10,000 करोड़ के राशन घोटाले में गिरफ्तार वन मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक, शंकर आढ्य व कोलकाता की एक कंपनी के मालिक बकीबुर रहमान को ईडी ने राशन घोटाले में 13 अक्तूबर, 2023 को जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। पड़ताल में ईडी को इन्हीं दोनों से घोटाले में संलिप्त लोगों के बारे अहम जानकारी/दस्तावेज हाथ लगे। इसी कड़ी में सन्देशखाली के टीएमसी नेता शाहजहां शेख की संलिप्तता की भी जानकारी मिली। इसके बाद शेख को गिरफ्तार करने सीआरपीएफ जवानों के साथ ईडी के अधिकारी संदेशखाली गए। लेकिन यहां उसके दो हजार से अधिक गुंडों ने ईडी अधिकारियों पर जानलेवा हमला कर दिया। इसमें तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए। इतना ही नहीं गुंडों ने अधिकारियों के पर्स और मोबाइल भी लूट लिए। स्थानीय पुलिस को छापे की पूर्व सूचना थी, लेकिन उसने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया और अधिकारियों पर जानलेवा हमला हुआ। यहां तक कि स्थानीय पुलिस ने उलटे ईडी अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया और आरोप लगाया कि उनके कृत्य से क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव का वातावरण बना है। अंतत: ईडी को शाहजहां शेख को बिना गिरफ्तार किये उलटे पांव कोलकाता लौटना पड़ा।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने संदेशखाली दौरे के बाद राज्य पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां की महिलाओं को मुंह बंद रखने को कहा गया है। पुलिस के डर से वे कुछ भी नहीं बोल रही हैं। लेकिन यहां जो अत्याचार हुआ वह झकझोर देता है। संदेशखाली को केंद्र में रखते हुए पाञ्चजन्य ने उनसे विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
संदेशखाली का इलाका भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा ही संवेदनशील है। बशीरहाट-टेंतुलिया व टाकी सीमा में बहने वाली इक्षामति नदी के उस पार बांग्लादेश का सातखीरा है। सातखीरा बांग्लादेश का खूंखार आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन आफ बांग्लादेश (जेएमबी) का ठिकाना है। बताने दें कि रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश के रास्ते भारत के सुंदरबन से घुसते हैं और इस इलाके में कहां गुम हो जाते हैं, किसी को पता तक नहीं चलता। राज्य के सीमावर्ती इलाकों के जानकार शौप्तिक मुखर्जी बताते हैं कि बशीरहाट में सैकड़ों की तादाद में अवैध मदरसे हैं, जहां जेएमबी के मौलवी इन रोहिंग्याओं को जिहाद के लिए तैयार करते हैं। इन मदरसों को शाहजहां शेख राजनीतिक एवं आर्थिक संरक्षण देता है।
उसके प्रभाव के चलते ही बशीरहाट क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों की बस्तियों का निर्माण किया गया है। इतना ही नहीं इन घुसपैठियों को इलाके में ही नहीं, सुंदरबन के अंदर भी बसाया गया है। मुखर्जी बताते हैं, ‘‘सुंदरबन का इलाका उत्तर व दक्षिण 24 परगना में ही आता है। बांग्लादेश के सुंदरबन से होते हुए रोहिंग्या भारत के सुंदरबन (उत्तर 24 परगना) में घुसपैठ करते हैं। यहां शाहजहां शेख इन घुसपैठियों को हर तरह से संरक्षण देता है। ऐसे ही दक्षिण 24 परगना में तृणमूल कांग्रेस का नेता जहांगीर, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का विश्वासपात्र है, भी अपने इलाके में घुसपैठियों को संरक्षण देता है। इसी तरीके से दक्षिण 24 परगना के कैनिंग पूर्व से तृणमूल कांग्रेस का विधायक शौकत मुल्ला भी क्षेत्र में रोहिंग्या घुसपैठियों को हर तरह से सहायता देकर उन्हें बसाता है। इन घुसपैठियों को जिहाद की राह पर ढकेलने का काम इन्हीं मदरसों में होता है।’’
ज्ञात हो कि दिसंबर, 2020 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा डायमंड हार्बर में एक रैली में शामिल होने जा रहे थे, तब जहांगीर के निर्देश पर ही रोहिंग्या घुसपैठियों ने काफिले पर पत्थरों, कांच की बोतलों, लाठी-डंडों से हमला किया था। जहांगीर डायमंड हार्बर स्थित हल्दिया डॉक से मानव तस्करी में पूरी तरह लिप्त है। जहांगीर व शौकत मुल्ला दोनों इस क्षेत्र के माफिया हैं, जो दक्षिण 24 परगना में सभी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। यहां पर हिन्दू महिलाओं-लड़कियों को जहांगीर और शौकत के गुंडे उठा ले जाते हैं और उनका बलात्कार करते हैं। जब उनका जी भर जाता है तो घर के पास फेंक दिया जाता।
संदेशखाली राज्य के उन 14 विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है, जो भारत-बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं। ये सभी विधानसभा क्षेत्र टीएमसी समर्थित गुंडों और जिहादियों का केंद्र बन चुके हैं। इन सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठ उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। कुछ समय पहले तक संदेशखाली में मुस्लिम जनसंख्या न के बराबर थी, लेकिन रोहिंग्याओं की घुसपैठ के चलते यहां जनसांख्यिक परिवर्तन बड़ी तेजी हो रहा है। आज जो कुछ संदेशखाली में घट रहा है, वह नया नहीं है। साल 2000 में दक्षिण 24 परगना की बंसती विधान सभा में एक अनुसूचित जाति की महिला का जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया था। जब इस घटना के खिलाफ रा.स्व.संघ के चार स्वयंसेवकों ने आवाज उठाई तो बलात्कारियों ने उन कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया।
प. बंगाल भाजपा के प्रवक्ता और राज्यसभा के उम्मीदवार शमिक भट्टाचार्य कहते हैं, ‘‘इन इलाकों में तृणमूल का गुंडाराज चलता है। मैं खुद उसका भुक्त भोगी हूं, मुझ पर गोली चलाई गई थी। अगर कुछ पत्रकार न बचाते तो मैं कब का मर चुका होता।’’ वह आगे बताते हैं,‘‘ऐसा नहीं है कि इन इलाकों में सिर्फ हिन्दुओं को परेशान किया जाता है, गरीब मुसलमान भी इन गुंडों से परेशान हैं। जो भी व्यक्ति भाजपा का समर्थन करता है, उसको प्रताड़ित किया जाता है। लाचार मुसलमानों पर भी इतना ही जुल्म ये बरपाते हैं। कुछ वर्ष पहले उत्तर 24 परगना में शेख के गुंडों ने एक मुसलमान परिवार द्वारा भाजपा का समर्थन करने पर उसे ना केवल प्रताड़ित किया बल्कि उसकी 15 साल की नाबालिग बेटी का बलात्कार करके लटका दिया। ऐसा जुल्म यहां होता है। प.बंगाल पूरी तरह से माफियाओं की गिरफ्त में है और ममता बनर्जी इन सभी को राजनीतिक संरक्षण देने का कार्य करती हैं।’’
सिंह वाहिनी के अध्यक्ष देवदत्त मांझी राज्य में जिहादी गतिविधियों को रोकने और लव जिहाद का शिकार हुईं लड़कियों को घर वापस लाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वह राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ और जेएमबी के जाल पर कहते हैं कि बांग्लादेश की सीमा से लगे दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, उत्तर व दक्षिण 24 परगना एवं नदिया जिलों के अलावा बीरभूम व बर्धमान, जो कि बांग्लादेश की सीमा से सटे नहीं हैं, यहां भी जेएमबी का व्यापक जाल है। दरअसल ये इलाके मुस्लिम बहुल हैं। ऐसे में जेएमबी या अन्य सक्रिय जिहादी संगठनों को कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए स्थानीय समर्थन आसानी से मिलता हैं। इन जिलों में अवैध मदरसों की भरमार है, जो मुस्लिम युवक व युवतियों को जिहादी गतिविधियों के लिए तैयार करते हैं। यहां बाकायदा मुस्लिम लड़कों को हिन्दू लड़कियों को प्रेम पाश में लेने, उन्हें कन्वर्ट करने की ‘तालीम’ दी जाती है। इतना ही नहीं बशीरहाट-टाकी सीमा से बड़े पैमाने पर गायों की तस्करी होती है। इससे अर्जित धन का बड़ा भाग इन मदरसों के रखरखाव और कट्टरपंथी लड़कों की जरूरतों को पूरा करने में व्यय होता है। इसके अलावा मुस्लिम बहुल जिलों में जेएमबी के जिहादी किसानों से जबरन अफीम की खेती भी कराते हैं। अफीम की तस्करी से आतंकी संगठनों का तंत्र दिनोंदिन मजबूत होता चला जा रहा है।’’
ईडी अधिकारियों के ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद इस संस्था को न्यायालय का रुख करना पड़ा। न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि ईडी की कार्रवाई में राज्य पुलिस पूर्ण सहयोग करे। वहीं दूसरी ओर राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी ईडी पर हुए हमले पर गंभीर चिंता जताई और राज्य के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार को कड़े शब्दों में कहा,‘‘ ईडी का सहयोग करें। यह कोई ‘‘बनाना रिपब्लिक’’ नहीं है। न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ईडी ने 24 जनवरी को फिर से शेख के संदेशखाली घर पर छापा मारा, लेकिन उसे पकड़ने में कामयाबी नहीं मिली। 40 से ज्यादा लूट, गोतस्करी, लड़कियों की तस्करी, आगजनी सहित हत्याओं में नामजद शेख के खिलाफ ईडी ने लुकआउट नोटिस जारी किया है। दरअसल, ईडी शाहजहां शेख को इसलिए खोज रहा है, क्योंकि 10,000 करोड़ रुपए के राशन घोटाले का धन हवाला के जरिये बांग्लादेश, म्यांमार व सिंगापुर भेजा गया, उसमे शेख मुख्य कड़ी है। एक दशक तक प्रदेश के खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे ज्योतिप्रिया मल्लिक इस घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं।
कहना न होगा, संदेशखाली की घटना ने न केवल ममता सरकार के कुत्सित चेहरे को उजागर किया है बल्कि अपराधी-जिहादी गठजोड़ की पोल खोलकर रख दी है। इस घटना ने बता दिया है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है।
-संदेशखाली से लौटकर अश्वनी मिश्र साथ में डॉ. अंबाशंकर बाजपेयी
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