‘हिंदुत्व की ही एक शाखा है जैन पंथ’
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‘हिंदुत्व की ही एक शाखा है जैन पंथ’

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘कल्याणक महोत्सव’ आयोजित हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली द्वारा आयोजित इस महोत्सव को जैन पंथ के चारों संप्रदायों के संतों का आशीर्वाद मिला।

by WEB DESK
Feb 16, 2024, 02:08 pm IST
in भारत, संघ, दिल्ली
मंच पर जैन मुनियों के साथ श्री मोहनराव भागवत और अन्य अधिकारी

मंच पर जैन मुनियों के साथ श्री मोहनराव भागवत और अन्य अधिकारी

महावीर स्वामी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। ‘महावीर को मानना’ सरल है, लेकिन ‘महावीर का मानना’ सरल नहीं है। महावीर ने अहिंसा की बात कही है। उन्होंने अपूर्व सहनशक्ति का परिचय दिया। वे सच में महावीर थे।

गत फरवरी को भगवान महावीर स्वामी के 2,550वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘कल्याणक महोत्सव’ आयोजित हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली द्वारा आयोजित इस महोत्सव को जैन पंथ के चारों संप्रदायों के संतों का आशीर्वाद मिला। सबसे बड़ी बात यह रही कि इन संतों ने स्पष्ट कहा कि वे भले ही जैनाचार्य हैं, लेकिन हिंदुत्व ही उनकी जड़ है। जैन पंथ हिंदुत्व की ही एक शाखा है।

महोत्सव में मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। उन्होंने कहा कि हम नित्य एकात्मता स्तोत्र गाते हैं, जिसमें कहा गया है कि वेद, पुराण, सभी उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता, जैन ग्रंथ, बौद्ध, त्रिपिटक तथा गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित संतों की वाणी, भारत की श्रेष्ठ ज्ञान-निधि है। उन्होंने कहा कि विश्व में शाश्वत सुख देने वाला सत्य सबको चाहिए था, लेकिन दुनिया और भारत में अंतर यह रहा कि दुनिया बाहर की खोज करके रुक गई लेकिन हमने बाहर की खोज होने के बाद अंदर खोजना प्रारंभ किया और उस सत्य तक पहुंच गए।

उन्होंने आगे कहा कि सत्य एक है, लेकिन देखने वाले की दृष्टि अलग है, वर्णन अलग है, मगर वस्तु एक ही है, स्थिति एक ही है। महावीर स्वामी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। ‘महावीर को मानना’ सरल है, लेकिन ‘महावीर का मानना’ सरल नहीं है। महावीर ने अहिंसा की बात कही है। उन्होंने अपूर्व सहनशक्ति का परिचय दिया। वे सच में महावीर थे। उन्होंने कहा कि लड़ने की भाषा वही बोलते हैं, जिनमें डर होता है। जो महावीर होता है, वह सुलह की बात करता है। इसलिए हमें महावीर जी की तपस्या, उपदेश, विचार को अपनाना चाहिए।

इससे पहले श्री प्रज्ञासागर जी मुनिराज ने कहा कि जैन पंथ समाज का कल्याण करने वाला पंथ है। इसके प्रचार-प्रसार से दुनिया में शांति आएगी। उन्होंने कहा कि महावीर स्वामी जी ने ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया, उन्होंने पशु को परमेश्वर बनने का अधिकार दिया। ऐसे सद्विचार से ही मानव का कल्याण हो सकता है। आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि जब प्यास बहुत लगती है तो नीर की आवश्यकता होती है। इसी तरह अशांति और असहिष्णुता के वातावरण में ‘महावीर’ की आवश्यकता होती है। सत्य, अहिंसा और सदाचार हमारे देश में 24 तीर्थंकरों तथा राम-कृष्ण, बुद्ध और महावीर से आए और इसकी संरक्षणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा की गई।

डॉ. राजेंद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि किसी व्यक्ति को जानने के लिए दो पक्ष होते हैं- जीवन पक्ष और दर्शन पक्ष। महावीर स्वामी के दोनों ही पक्ष बड़े उत्तम हैं। भगवान महावीर स्वामी ने स्वयं का भी उद्धार किया और संसार का भी उद्धार किया। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि महावीर करुणा और अहिंसा के अवतार हैं। आज लोगों में करुणा रीत रही है। इस कारण वृद्धाश्रम बन रहे हैं। कुछ बच्चे अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा नहीं करना चाहते। वे उन्हें वृद्धाश्रमों में भेज देते हैं। यह महावीर स्वामी के उपदेशों के विरुद्ध है। इसलिए जरूरी है जैन पंथ के संस्कार हर बच्चे तक पहुंचें।

महासाध्वी प्रीति रत्ना जी ने कहा कि भगवान महावीर का गुणगान करना आसान नहीं है। यदि मुख में एक जीभ की जगह एक करोड़ जीभ हो जाएं तब भी उनके गुणों का बखान नहीं हो सकता। महावीर स्वामी ने पहले राज का त्याग किया। उन्होंने साधना की। उन्होंने अपने जीवन में केवल 349 बार खाना खाया। वे छह-छह महीने तक उपवास किया करते थे। ऐसे त्यागी के गुणों का वर्णन आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि हम जैन हैं, लेकिन हमारी जड़ हिंदुत्व में ही है। हिंसा से जिसका मन दुखी होता है, खिन्न होता है, वह हिंदू होता है।

Topics: महावीरसत्यअहिंसा और सदाचारकल्याणक महोत्सवLive and let liveSadhvi AnimashreeMahavirराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघTruthRashtriya Swayamsevak SanghNon-Violence and Virtueजियो और जीने दोKalyanak Mahotsavसाध्वी अणिमाश्री
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