हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कथित किसान आंदोलन 2.0 को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों आदोलन को भड़काने के पीछे दिल्ली और पंजाब सरकार का हाथ है। अगर ऐसा नहीं होता तो पंजाब की सरकार उन्हें दिल्ली कूच के लिए निकलने ही नहीं देती।
चंडीगढ़ में गुरुवार को सीएम खट्टर ने दो टूक कहा कि जिस तरीके से किसान ने सियासी बयानबाजी कर रहे हैं और अपने साथ ट्रैक्टर, जेसीबी आदि के साथ महीनों का राशन लेकर चल रहे हैं। इससे यह हमले जैसा प्रतीत होता है। किसानों को बैठकर सरकार से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली बार के किसान आंदोलन को देखते हुए हमारे पास इसका अनुभव है। हम इस बार दिल्ली के लाल किले जैसी घटना नहीं होने देंगे। इस बार कानून की धज्जियां उड़ाकर दिल्ली कूच की इजाजत नहीं दी जा सकती।
एमएसपी को लेकर पंजाब सरकार की खोली कलई
हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि पंजाब सरकार केवल दो फसलों पर एमएसपी देती है, जबकि हरियाणा सरकार कुल 14 फसलों पर एमएसपी देती है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो पंजाब सरकार को किसान हित योजनाओं को अपने राज्य में लागू करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब में बैरिकेडिंग लगाने से इंकार करते हुए कहा कि बैरिकेडिंग हरियाणा की सीमा के अंदर लगाई गई हैं। पंजाब के किसानों की मांगें केंद्र सरकार से जुड़ी हैं। सीएम खट्टर कहते हैं कि जिस कर्जमाफी और एमएसपी की मांग पंजाब के किसान संगठन कर रहे हैं, उसका संबंध हरियाणा से नहीं है।
इससे पहले किसानों के आंदोलन के तरीकों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था कि ये तो सेना की तरह चल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें किसानों के दिल्ली कूच से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनके तरीके गलत हैं। ट्रेन और बस भी उनके अपने वाहन हैं, लेकिन वो ट्रैक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि परिवहन का नहीं, बल्कि कृषि का साधन है।
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