संघ के स्वयंसेवक से भारत रत्न तक
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संघ के स्वयंसेवक से भारत रत्न तक

चार दशक तक सांसद रहे लालकृष्ण आडवाणी गृहमंत्री के साथ ही अटल सरकार में उप प्रधानमंत्री भी बने। कुशल संगठक और वैचारिक रूप से दृढ़ आडवाणी ने अपनी अथक मेहनत से भाजपा को शीर्ष पर पहुंचाया

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Feb 14, 2024, 01:06 pm IST
in भारत, विश्लेषण, संघ
1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी सभाओं के माध्यम ऐसे वातावरण का निर्माण किया, जिसके चलते भाजपा की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती गई

1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी सभाओं के माध्यम ऐसे वातावरण का निर्माण किया, जिसके चलते भाजपा की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती गई

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1947 में देश विभाजन की टीस से वह भी अछूते नहीं रहे। उन्हें अपना घर छोड़कर भारत पलायन करना पड़ा। हालांकि उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प लिया। इस विचार के साथ वह राजस्थान में संघ के प्रचारक के रूप में कार्य में लग गए।

लालकृष्ण आडवाणी

श्री लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को सिन्ध प्रान्त (पाकिस्तान) में हुआ था। कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई। उनकी देशभक्ति की भावना ने उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। महज 14 साल की उम्र में ही वे संघ के स्वयंसेवक के नाते राष्ट्र की सेवा में जुट गए।

1947 में देश विभाजन की टीस से वह भी अछूते नहीं रहे। उन्हें अपना घर छोड़कर भारत पलायन करना पड़ा। हालांकि उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प लिया। इस विचार के साथ वह राजस्थान में संघ के प्रचारक के रूप में कार्य में लग गए।

1980 से 1990 के बीच आडवाणी जी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए अपना पूरा समय दिया और इसका परिणाम तब सामने आया, जब 1984 में महज 2 सीटें हासिल करने वाली पार्टी को 1989 के लोकसभा चुनावों में 86 सीटें मिलीं। उस समय के लिहाज से यह काफी बेहतर प्रदर्शन था। पार्टी 1992 में 121 सीट से 1996 में 161 सीटों पर पहुंच गई। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी।

बदला राजनीतिक परिदृश्य

1990 में जब देश विकट परिस्थितियों से जूझ रहा था, जातिवादी तत्व एक तरफ एकता और अखंडता को तार-तार करने पर तुले हुए थे, दूसरी तरफ छद्म पंथनिरपेक्षता के पैरोकार मत-पंथ के आधार पर देश को बांटना चाहते थे। उस दौर में श्री लालकृष्ण आडवाणी आगे आये और उन राष्ट्र विरोधी ताकतों को करारा जवाब दिया। श्री आडवाणी ने अपनी सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा एक ऐसे दौर में शुरू की जब लोग दिल्ली में बैठे अपनी सत्ता को जाति और मत-पंथ के बंटवारे से मजबूती देने पर तुले थे। भारतीय जनता पार्टी, रथ यात्रा के जरिये, अपना सन्देश जन जन तक ले गई। ये ईंट-पत्थर को जोड़कर एक मंदिर बनाने की यात्रा भर नहीं थी। ये राष्ट्र की भावनाओं से अपने पूज्य को उनका सही स्थान दिलाने की यात्रा थी। राष्ट्रवाद की भावनाओं को इस यात्रा ने उभार कर दिया।

जीवन वृत्त

  •  जन्म: 8 नवंबर, 1927 सिन्ध प्रांत (पाकिस्तान)
  •  पिता का नाम: किशन चंद आडवाणी
  •  माता का नाम: ज्ञानी देवी
  •  1936-1942: कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में 10वीं तक पढ़ाई, कक्षा में शीर्ष पर रहे
  •  1942: राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में शामिल हुए।
  •  1942: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिडूमल नेशनल कालेज में प्रवेश लिया।
  •  1944: कराची के माडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी की।
  •  1947: विभाजन की टीस झेली। बंटवारे के चलते सिंध में अपना घर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा।
  • 1947-1951: राजस्थान के अलवर, भरतपुर, कोटा, बूंदी और झालावाड़ में रा.स्व.संघ के प्रचारक के नाते कार्य किया।
  •  1958-63: दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव रहे।
  •  1965: कमला आडवाणी से विवाह हुआ, प्रतिभा एवं जयंत दो संतानें।
  •  अप्रैल, 1970: पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया।
  •  दिसंबर, 1972: भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
  •  26 जून, 1975: बेंगलुरु में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार, भारतीय जनसंघ के
    अन्य सदस्यों के साथ जेल में कैद रहे।
  •  मार्च, 1977 से जुलाई 1979: देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
  •  मई, 1986: भाजपा अध्यक्ष बने।
  •  3 मार्च,1988: दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने।
  •  1990 : सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर रथ यात्रा शुरू की।
  •  अक्तूबर 1999 से मई 2004: केंद्रीय गृह मंत्री रहे।
  • 1990 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी सभाओं के माध्यम ऐसे वातावरण का निर्माण किया, जिसके चलते भाजपा की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती गई

     जून 2002 से मई 2004 : देश के उप प्रधानमंत्री रहे।

    जिन यात्राओं ने जनमानस को जगाया

  •  राम मंदिर रथ यात्रा
  • जनादेश यात्रा
  • भारत सुरक्षा यात्रा
  •  स्वर्ण जयंती रथ यात्रा 
  • भारत उदय यात्रा

राजनीतिक सफर

तरह विभाजन के दौरान आडवाणी जी ने 12 सितंबर, 1947 को अपना घर छोड़ा था। अपने कुछ साथी स्वयंसेवकों के साथ वह दिल्ली के लिए पलायन करने पर मजबूर हुए। सिंध से आने वाले सभी प्रचारकों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जोधपुर में एकत्र होने के लिए कहा गया, ताकि आने वाले दिनों के लिए योजना का निर्माण किया जा सके। संघ अधिकारियों ने सिंध से आने वाले स्वंयसेवकों को निर्देश दिए कि वे बंटवारे के बाद भारत आकर रह रहे लोगों की सहायता करें। आडवाणी जी और अन्य सभी लोग बंटवारे के पीड़ितों की मदद में जुटे थे और उन्हें राहत मुहैया करवा रहे थे।

जोधपुर कैंप के खत्म होने के बाद, उन्हें और अन्य लोगों को राजस्थान के विभिन्न इलाकों में भेज दिया गया ताकि वहां वे संघ कार्य जारी रखें। अगले एक दशक तक राजस्थान उनकी कर्मभूमि रहा। पहले प्रचारक के तौर पर और फिर भारतीय जनसंघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर पर।

जब दिल्ली बना केंद्र

1957 में आडवाणी जी को राजस्थान छोड़कर दिल्ली आने को कहा गया। इसके बाद तो मानो दिल्ली उनके राजनीति दायित्व का केन्द्र बन गई। अपनी जिम्मेदारियों से उन्होंने संसद के काम करने के तरीके को सीखा और जनसंघ के लिए सवाल-जवाब एवं पार्टी की नीतियों को तय करने का काम करते रहे।

पार्टी अध्यक्ष का दायित्व

1968 में अटल जी पार्टी के अध्यक्ष थे। लेकिन 1971 के आम चुनावों के बाद वह पद से मुक्त होने की बात सोच रहे थे। अटल जी ने आडवाणी जी से पार्टी का अध्यक्ष बनने को कहा, क्योंकि वह पहले ही चार साल पूरे कर चुके थे और अब दूसरों को मौका देना चाहते थे। आडवाणी जी बार-बार मना करते रहे क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि वह अच्छे वक्ता नहीं हैं और जब जनसभा की बात आती है तो वह काफी घबरा जाते हैं। जबकि अटल जी अपनी वाकपटुता से आसानी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। आखिरकार अटल जी के समझाने पर दिसंबर, 1972 में आडवाणी जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने।

आपातकाल और जनसंघ

25 जून,1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर तानाशाही शासन कायम किया। उन्होंने आदेश दिया कि सभी विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में कैद कर दिया जाए। उन्होंने रा.स्व.संघ पर प्रतिबंध लगा किया। अटल जी और आडवाणी जी उस समय बेंगलुरू में थे, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री

24 मार्च, 1977 को मोरारजी देसाई ने भारत के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 2 दिन बाद कैबिनेट का शपथ ग्रहण था। आडवाणी जी जनसंघ में उन तीन लोगों में एक थे जो नई सरकार में शामिल हुए थे। अटल जी को विदेश मंत्री बनाया गया था जबकि ब्रिजलाल वर्मा को उद्योग मंत्रालय का काम दिया गया था। प्रधानमंत्री देसाई ने आडवाणी जी से पूछा कि उन्हें कौन-सा मंत्रालय चाहिए, बिना किसी झिझक के उन्होंने कह दिया, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय।

सोमनाथ से अयोध्या की रथ यात्रा में श्री लालकृष्ण आडवाणी और श्रीमती कमला आडवाणी। सबसे दाएं हैं श्री नरेन्द्र मोदी

भाजपा के संस्थापक सदस्य

1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का पहला अध्यक्ष चुना गया और सिकंदर बख्त एवं सूरज भान को महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गई थी। 1984 में चुनाव से कुछ समय पहले ही इंदिरा गांधी की हत्या हो गई जिससे कांग्रेस को भावनात्मक लहर का लाभ मिला और उसे जीत प्राप्त हुई। भाजपा की सीट संख्या बेहद कम रही। कांग्रेस को रिकॉर्ड जीत मिली। इसके बाद आडवाणी जी को पार्टी अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।

श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन

1980 की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत तेज की। आडवाणी जी के नेतृत्व में भाजपा राम मंदिर आंदोलन का चेहरा बन गई।

मेरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित

‘मैं अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ भारत रत्न स्वीकार करता हूं, जो मुझे प्रदान किया गया है। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों का भी सम्मान है जिनका मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने का प्रयास किया। जब मैं 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्वयंसेवक रूप में जुड़ा, तब से मैंने केवल एक ही कामना की -जीवन में मुझे जो भी कार्य सौंपा जाए, उसका भान रखते हुए देश की समर्पित भाव से निस्वार्थ सेवा करूं। जिस चीज ने मेरे जीवन को प्रेरित किया है वह आदर्श वाक्य है-‘इदं न मम’- यह जीवन मेरा नहीं है। मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है।

आज मैं उन दो व्यक्तियों को कृतज्ञतापूर्वक याद करता हूं, जिनके साथ मुझे करीब से काम करने का मौका मिला। पं. दीनदयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। मैं अपनी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और अन्य लोगों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिनके साथ मुझे सार्वजनिक जीवन में अपनी पूरी यात्रा के दौरान काम करने का सौभाग्य मिला। मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों, विशेषकर अपनी प्रिय दिवंगत पत्नी कमला के प्रति भी गहरी भावनाएं व्यक्त करता हूं। वे मेरे जीवन में शक्ति और स्थिरता का सबसे बड़ा स्रोत रही हैं। मुझे यह सम्मान प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक धन्यवाद।
हमारा महान देश महानता और गौरव के शिखर पर पहुंचे।
जय हिंद !!

— लालकृष्ण आडवाणी

दूसरा कार्यकाल

मार्च 1998 में भाजपा नीत एनडीए वापस सत्ता में आया और अटल जी एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। लेकिन सरकार केवल 13 महीने ही टिक सकी, क्योंकि तमिलनाडु की नेता जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक ने अपना सहयोग वापस ले लिया था। बहुमत न होने की स्थिति में एक बार फिर लोकसभा भंग हो गई, लेकिन अटलजी चुनाव होने तक प्रधानमंत्री बने रहे।

कारगिल युद्ध के कुछ समय बाद, 1999 में दोबारा चुनाव हुए। 13वां लोकसभा चुनाव देश के इतिहास में ऐतिहासिक साबित हुआ, क्योंकि पहली बार राजग को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था और एक गैर कांग्रेसी सरकार ने 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया था। इस सरकार का नेतृत्व अटल जी ने किया। इस तरह से राजनीतिक अनिश्चितता के एक दौर का अंत हुआ था। अटल जी की सरकार में आडवाणी जी ने गृह मंत्री का पदभार संभाला और बाद में उप-प्रधानमंत्री बने। 2004 में भाजपा को पराजय मिली और वह विपक्ष में आ गई, इसके बाद अटल जी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया और आडवाणी जी 2004 से 2009 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहे।

इन खबरों को भी पढ़ें-

1- साधारण व्यक्तित्व असाधारण कार्य

2- सरयू का आशीष

3- रक्तरंजित सरयू से दीप प्रज्ज्वलित सरयू तक

Topics: LK AdvaniRath Yatra from Somnath to Ayodhyaपाञ्चजन्य विशेषनाते राष्ट्र की सेवाअटल जी पार्टीसोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्राservice to the nationSangh volunteersसंघ के स्वयंसेवकAtal Ji Partyभारतीय जनसंघBharatiya Jana Sanghलालकृष्ण आडवाणी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies