हल्द्वानी। बनभूलपुरा क्षेत्र में दंगा करने वाले आरोपियों की पहचाना वीडियो फुटेज के अलावा, मोबाइल टावर से सर्विलांस के जरिए भी की जा रही है। जानकारी के अनुसार पुलिस के आईटी विभाग की एक पूरी टीम दंगा प्रभावित क्षेत्र बनभूलपुरा थाना क्षेत्र के नंबर्स की स्कूटनी करने में लगी है। जानकारी के अनुसार पुलिस की रडार पर 26 हजार से ज्यादा नंबर बनभूलपुरा के हैं। इनमें से उन नंबर्स को छांट कर अलग कर लिया गया है, जो घटना स्थल के आसपास थे। खबर है कि इनकी संख्या करीब 7 हजार है।
पहले से थी योजना
सूत्रों की माने तो हिंसा की स्क्रिप्ट 29 जनवरी के बाद तैयार की गई थी। वनभूलपूरा के लोगों के मन में प्रशासन के लिए नफरत की बीज बोने का काम शुरू किया गया। असल में मामला बगीचे के आस पास लोगों को प्रशासन के ख़िलाफ़ भड़काकर सरकार को बैकफ़ुट करने का था, जिसकी वजह से मास्टर माइंड कोर्ट में ग़रीबों के नाम से प्राथनापत्र लगवा सके और अपने बगीचे पर मिल सके, लेकिन मामला इतना उग्र हो जाएगा शायद ही ये बात का अंदाज़ा आरोपियों को था। अब धामी सरकार के कड़े रुख़ से दहशतगर्द घरों में ताला लगाकर भाग रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल एक बार फिर सुरक्षा को लेकर है कि आख़िर कर्फ्यू के दौरान ये सभी कैसे और कहां से फ़रार हो रहे हैं।
क्या था प्लान
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि जिस दिन हिंसा हुई उस दिन वर्किंग डे था फिर भी जिस तरह से उपद्रवियों का हुजूम अचानक से हिंसा वाली जगह कैसे पहुँचा और सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले की स्क्रिप्ट एक हफ़्ते पहले ही लिख ली गई थी। मास्टर माइंड को पूरा अंदाज़ा था कि इस समय प्रदेश में बेहद संवेदनशील समय चल रहा है। ऐसे में विरोध को हवा ज्यादा मिलेगी। इस लाइन पर जांच शुरू हुई और टीम को शक है कि पहले से तैयार प्लान के तहत लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में बुलाया गया और इसके लिए व्हाट्सएप का इस्तेमाल किया गया।
पुलिस साइबर एक्सपर्ट सूत्रों की मानें तो इलाके में रहने वाले कई नौजवान उस रोज दोपहर में ही अपने काम से घर आ गए थे और अचानक से व्हाट्सएप समेत कई सोशल साइट्स पर एक ही प्रकार के ग्रुपों की हरकत में तेज़ी के साथ मैसेज वायरल होने लगे और शाम को मिलने के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने का संदेश वायरल हुआ, जिसका प्रमाण साइबर टीम को मिल गया है। साइबर जांच में इस बात की खबर है कि इलाक़े से बाहर के नंबर अचानक से मोबाइल टॉवर पर बढ़ने लगी, जिसकी अनुमानित संख्या 7000 के क़रीब थी। अब इन्हीं नंबर की डिटेल के बाद इनकी शिनाख्त का काम शुरू हो गया है।
इतना ही नहीं, बाहर से भी लोगों को बुलाए जाने के सबूत मिल रहे हैं। पेट्रोल बम बनाने वाले एक्सपर्ट कैसे मौके पर पहुँचे, इसकी भी जाँच की जा रही है। अब प्रशासन ने चार पैरा मिलिट्री की फ़ोर्स को बुला लिया है, जो घरों की तलाशी लेकर जांच का दायरा बढ़ाने का काम शुरू करेगी। इस मामले में कुछ और गिरफ्तारियां सम्भव हैं। जिसमें उन नौजवानों को चिन्हित कर गिरफ्तार करने की कबायद की जा रही है, जिन्होंने पेट्रोल बम बनाये थे।
कहां से आया पेट्रोल ?
ऐसी जानकारी मिली है कि बनभूलपुरा थाने पर हमला बोलने वाले प्रशिक्षित युवकों का एक गिरोह था, जोकि अचानक वहां पहुंचा और उसने पेट्रोल बमों से हमला किया। इन युवकों ने वहां खड़े दो पहिया वाहनों के पेट्रोल पाइप काट कर पेट्रोल बहने दिया और फिर उसमें आग लगा दी। सूत्र बताते हैं कि शहर के कुछ कबाड़ियों की भी इसमें भूमिका संदिग्ध लगती है। पेट्रोल की व्यवस्था वहां से भी की गई, जिन्हें बोतलों में भर कर बम का रूप दिया गया। पुलिस की टीम शहर के दंगाग्रस्त क्षेत्र की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है और यहां से भी उसे दंगाइयों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।
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