पाकिस्तान से आए ताजा समाचार वहां एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तूती बजाते प्रतीत हो रहे हैं। ‘लंदन रिटर्न्ड’ पीएमएल नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आसपास भी नहीं टिक रहे हैं। हालांकि कल शाम तक की खबरों के अनुसार, इमरान और नवाज के उम्मीदवारों में टक्कर कांटे की बताई गई थी। लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है। इमरान खान की पीटीआई द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों का पलड़ा भारी है और उन्हें अभी तक 91 सीटों पर जीत हासिल हो चुकी है, जबकि पीएमएल—नवाज अभी सिर्फ 64 सीटें ही प्राप्त कर सकी है। बिलावल भुट्टो की पीपीपी को अभी 51 सीटें ही मिली हैं।
हैरान करने वाले पाकिस्तान के चुनाव नतीजों के आने के क्रम में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल रहा है, इसलिए अब कौन से दल आपस में गठबंधन करने वाले हैं। सत्ता की चाबी जेल में बंद इमरान के हाथ बताई जा रही है। जबकि कुछ वर्गों में यह चर्चा भी है कि क्या सेना की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है?
हालांकि नवाज शरीफ अभी भी जीत के दावे किए जा रहे हैं। वे खुद, उनकी बेटी मरियम और छोटे भाई शाहबाज शरीफ अपनी अपनी सीटों पर जीत चुके हैं, लेकिन पीएमएल—नवाज के उम्मीदवारों का लगातार हारना जारी है।
पाकिस्तान के आम चुनाव में इस बार बहुत बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे थे जिन्हें पीटीआई का समर्थन प्राप्त था। वे उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव लड़े थे क्योंकि पीटीआई नेता इमरान खान जेल में बंद हैं इसलिए चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले पाए थे। तो क्या अब पाकिस्तान में कोई निर्दलीय नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाला है?
8 फरवरी को हुए चुनावों के नतीजे आने में हैरान करने वाली देरी के पीछे कयास लगाए गए थे कि शायद सेना चुनावी नतीजों में कोई धांधली करने की फिराक है। लेकिन अब जो नतीजे सामने आ रहे हैं उसमें पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के नेताओं के निर्दलीय के तौर पर विजय दर्ज करने के समाचार राजनीतिक जानाकरों को भी अचंभे में डाले हुए हैं।
अभी तक की गणना के हिसाब से दूसरे नंबर की पीएमएल-नवाज के नेता नवाज शरीफ ने यहां तक घोषणा कर दी है कि वे सरकार बनाने जा रहे हैं। अपनी पार्टी के पहले स्थान पर आने का इंतजार करने की बजाय उन्होंने ‘जीत की खुशी’ में भाषण तक दें दिया और उसके कहा कि वे गठबंधन की सरकार बनाने जा रहे हैं।
आज कुछ और घंटों के बाद नतीजे पूरी तरह साफ हो जाएंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थन से जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या दलों की संख्या से अधिक रहेगी क्योंकि अभी तक की स्थितियों में वे ही परिणामों में सबसे आगे चलते दिख रहे हैं। उन्हें 95 सीटें मिल ही चुकी हैं, जबकि दूसरे नंबर पर अभी 64 सीटों के साथ पीएमएल-नवाज है। पीपीपी को अभी तक सिर्फ 51 सीटें मिली हैं। अन्य दल भी 23 सीटें ले चुके हैं।
आश्चर्य की बात है कि अभी तक की गणना के हिसाब से दूसरे नंबर की पीएमएल-नवाज के नेता नवाज शरीफ ने यहां तक घोषणा कर दी है कि वे सरकार बनाने जा रहे हैं। अपनी पार्टी के पहले स्थान पर आने का इंतजार करने की बजाय उन्होंने ‘जीत की खुशी’ में भाषण तक दें दिया और उसके कहा कि वे गठबंधन की सरकार बनाने जा रहे हैं।
चुनाव पर अपने विश्लेषण में पाकिस्तान के अखबार डॉन ने लिखा है कि पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार संसदीय चुनाव नहीं जीते हैं। ये वही नेता हैं जो पहले पीटीआई में थे। लेकिन इस पार्टी के नेता इमरान के जेल में होने और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘बैट’ के रद्द होने पर ये सभी अपने बूते जीते हैं। एक विशेषज्ञ का कहना है कि जनरल जिया के दौर में संसद की सभी सीटों पर निर्दलीय ही थे। 1985 के उस चुनाव में कोई राजनीतिक पार्टी चुनाव नहीं लड़ी थी, क्योंकि किसी भी पार्टी को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी गई थी।
यदि पीटीआई के समर्थन से जीते निर्दलीय उम्मीदवार सबसे अधिक सीटें जीत लें परन्तु नेशनल असेंबली में जाने से मना कर दें तो इससे पीटीआई के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं रहने वाली। यह हो सकता है कि सभी निर्दलीय मिलकर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए किंग मेकर की भूमिका।
फिलहाल आने वाले तीन दिन पाकिस्तान की सियासत के लिए बहुत खास रहने वाले हैं क्योंकि इस बीच ही सभी निर्दलियों को प्रधानमंत्री पद और सरकार गठन की प्रक्रिया पर स्थिति स्पष्ट करनी होगी। यह भी संभव है कि पीटीआई समर्थन से जीते निर्दलीय उम्मीदवार अपने में से किसी को नेता प्रतिपक्ष चुन लें।
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