मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर मुरैना में स्थित यह मंदिर 120 फीट ऊंचा है। जो भगवान शिव को समर्पित है। ये मंदिर बिना किसी चूने-गारे के उपयोग से बनाया गया है। मंदिर का निर्माण सिर्फ पत्थरों को एक के ऊपर एक रखकर किया गया है। बावजूद इसके वर्षों से ये मंदिर बड़े से बड़ा तूफान झेलकर भी बुलंदी से अपने इतिहास की गवाही दे रहा है।
इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। माना जाता है कि उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम ककनमठ रखा गया है। ये मंदिर नागर शैली का उत्कृष्ट नमूना है।
मंदिर को लेकर ये भी कहा जाता है कि भूतों ने एक रात में ही दूर-दूर से पत्थरों को लाकर इस मंदिर का निर्माण किया था, लेकिन इसे बनाते-बनाते सुबह हो गई और भूतों को काम अधूरा छोड़कर जाना पड़ा था। आज भी इस मंदिर को देखने पर यही लगता है कि इसका निर्माण अधूरा रह गया है। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि यहां लगे पत्थर आस-पास के क्षेत्रों में कहीं नहीं पाए जाते हैं।
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