नई दिल्ली । मध्यप्रदेश के दमोह जिले में कट्टरपंथियों द्वारा माहौल ख़राब सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। अपर कलेक्टर मीना मसराम, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी दमोह को मजिस्ट्रियल जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री ने उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के माध्यम से कहा है कि मध्यप्रदेश में शांति और सौहार्द बनाए रखना सरकार की विशेष प्राथमिकता है। दमोह में कतिपय असामाजिक तत्वों ने कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास किया, जिसे पुलिस प्रशासन ने बखूबी संभाल लिया। घटना की जांच के निर्देश दिए गए हैं। दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दमोह के दमयंती नगर क्षेत्र में 03 फरवरी की रात लगभग 10 बजे बड़ी संख्या में इस्लामिक भीड़ का तांडव देखने को मिला, इस बार कट्टरपंथियों की भीड़ के निशाने पर पुलिस प्रशासन रहा और दबाव ये कि यदि पुलिस ने उसकी बात नहीं मानी तो वे उन (हिन्दुओं) के न हाथ रहने देंगे न सिर सलामत रखेंगे, जिनके विरुद्ध वे कार्रवाई करने के लिए थाने को चारों ओर से घेरने के लिए आए हैं। कट्टरपंथियों की यह भीड़ पुलिस पर अनर्गल आरोप लगा कर भड़काऊ नारेबाजी तो कर ही रही थी साथ ही पुलिस को खुलेआम धमका भी रही थी। इस दौरान कट्टरपंथियों की भीड़ ने कानून एवं शांति व्यवस्था भंग करने का प्रयास भी किया। दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने घटना के कारणों की मजिस्ट्रियल जाँच के आदेश दे दिये हैं।
क्या है दमोह विवाद की वजह
विवाद की मूल वजह दर्जी द्वारा तय समय पर कपड़े सिलकर नहीं देना था, जिसमें कि हिन्दू ग्राहक लल्लू शर्मा जो अपने एक साथी के साथ मुस्लिम दर्जी अंसार के पास कपड़े लेने गए थे ने दर्जी से कहा कि जब आपने वादा कर दिया था कि मैं कपड़े सिलकर दूंगा तो आपने कपड़े क्यों नहीं सिले, अब मुझे जिस आयोजन में उन्हें पहनना थे, वहां मैं क्या पहनकर जाऊं? इतना पूछने पर अंसार ने जो जवाब दिया तो बात बिगड़ गई और आगे ऐसी बिगड़ी कि पहले मुंहवाद पर फिर हाथ-पैरों से एक दूसरे को मारने तक नौबत आ पहुंची। तभी किसी ने ये मैसेज कर दिया कि मौलवी (इमाम) विवाद में बीच बचाव करने पहुंचे थे तभी उनके साथ इन हिन्दू लोगों ने मारपीट कर दी है। बस, फिर क्या था ! ये मुस्लिम भीड़ इंसाफ के नाम पर थाने का घेराव करने पहुंच गई और भड़काऊ भाषण शुरू हो गए।
सरेआम देख लेने की धमकी दे रहा था मुस्लिम समूह
पुलिस ने काफी देर समझाने का प्रयास किया। लेकिन मुस्लिम समूह सरेआम देख लेने की धमकी दे रहे थे। इसी बीच पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दो को तत्काल गिरफ्तार भी कर लिया था। पुलिस ने लल्लू शर्मा, राजू ठाकुर, भरत नायक, विक्की शर्मा निवासी इंदिरा कॉलोनी सिविल 2 दमोह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। अपराध क्रमांक 103 / 24 में धारा 294, 323, 506, 34, 427 में पुलिस ने ये अपराध पंजीबद्ध किया। लेकिन मुस्लिम भीड़ का ये हंगामा रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने संभाला मोर्चा, कट्टरपंथियों के उग्र समूह को आगे बढ़कर खदेड़ा
अंततः मुस्लिम समूह में भारी भीड़ के बीच व्यवस्था बिगड़ गई। थाना कोतवाली के बाहर मजहबी नारेबाजी और भड़काऊ बयानबाजी होना शुरू हो गई। काफी संख्या में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचा। रात 11 बजे तक थाने में गहमा-गहमी का माहौल रहा। वहीं मामला बिगड़ता देख दमोह के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संदीप मिश्रा ने मोर्चा संभाला और विशेष समुदाय की इस हंगामा करने वाली भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्वयं आगे आकर भीड़ को खदेड़ दिया। दमोह के अनुविभागीय दंडाधिकारी राज ललन बागरी, सीएसपी अभिषेक तिवारी, तहसीलदार उदेनिया के साथ थाना प्रभारी अरविंद सिंह देहात थाना प्रभारी विजय सिंह राजपूत के साथ बड़ी संख्या में पुलिस ने दमोह नगर के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के साथ नगर के प्रमुख मार्गों पर देर रात्रि तक फ्लैग मार्च करती रही।
माहौल खराब करने वालों की पहचान जारी : एसपी सुनील तिवारी
एसपी सुनील तिवारी ने बताया कि शनिवार रात कुछ प्रदर्शनकारी कोतवाली पहुंचे थे, जिन्हें समझाइश देकर जाने के लिए कहा गया था, लेकिन उनके द्वारा हंगामा किया गया था और सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने का प्रयास किया गया था। जिन्हें बलपूर्वक हटाया गया। ऐसे करीब 40 लोगों पर धारा 153 ए,141,147 के तहत मामला दर्ज कर उनकी पहचान की जा रही है। इसके बाद इनकी संख्या बढ़ भी सकती है।
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