हमारी रथयात्रा मिथ्या सेकुलरवाद की समाप्ति के लिए : लालकृष्ण आडवाणी
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

हमारी रथयात्रा मिथ्या सेकुलरवाद की समाप्ति के लिए : लालकृष्ण आडवाणी

‘‘अगर सरकार ने राम जन्मभूमि के बारे में टकराव का रुख अपनाया तो देश में एक ऐसा आंदोलन जन्म लेगा जो पहले कभी नहीं हुआ होगा।’’

by तरुण विजय
Feb 3, 2024, 12:06 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश, साक्षात्कार
लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1990 में वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथयात्रा शुरू की थी। उसी यात्रा के दौरान सितंबर, 1990 में पाञ्चजन्य के तत्कालीन संपादक तरुण विजय ने उनसे बातचीत की, जो 7 अक्तूबर, 1990 के अंक में प्रकाशित हुई थी। उसके संपादित अंश यहां पुन: प्रकाशित किए जा रहे हैं

क्या आपको रथयात्रा में इतने विशाल जनसहयोग की कल्पना थी?
आपको याद होगा कुछ समय पूर्व मैंने पाञ्चजन्य को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट कहा था, ‘‘अगर सरकार ने राम जन्मभूमि के बारे में टकराव का रुख अपनाया तो देश में एक ऐसा आंदोलन जन्म लेगा जो पहले कभी नहीं हुआ होगा।’’ यह बात मैंने सोच-समझकर ही कही थी। राम नाम की शक्ति और देश की जनता के गहरे राष्ट्रप्रेम को समझते हुए ही मैंने यह घोषणा की थी। मैं कभी अतिशयोक्ति भरी बात नहीं कहता। इसलिए आज जो जनसागर राम रथयात्रा से जुड़ रहा है वह मुझे बहुत अचंभित नहीं कर रहा। हिन्दुस्थान की आत्मा की आवाज जब प्रकट हो तो यह कैसे संभव है कि कोई हिन्दुस्थानी उसकी उपेक्षा कर दे।

क्या यह अभियान एक व्यापक समाज सुधार आंदोलन में भी बदल सकता है?
इसके कई आयाम हो सकते हैं। पर सबसे प्रमुख संदेश यही है कि देश की किसी भी समस्या का हल तब तक नहीं हो सकता जब तक आप राष्ट्रवाद को पुन: प्रतिष्ठित नहीं करते और राष्ट्रीय परंपराओं से देश को नहीं जोड़ते। 1917-18 में प्रख्यात विचारक श्रीमती एनी बेसेंट ने कहा था, ‘‘आप हिन्दुस्थान में से हिन्दुत्व को निकाल दो तो सिर्फ एक देश बाकी बचेगा।’’ वह अविभाजित भारत के बारे में कहा गया था। विभाजन के बाद तो यह सत्य और अधिक घनीभूत हो गया है। पर आज मिथ्या सेकुलरिस्टों द्वारा यही किया जा रहा है जो अब इस देश की जनता नहीं होने देगी।

कुछ राजनीतिज्ञ आरोप लगा रहे हैं कि इस रथयात्रा की सफलता में आडवाणी की भूमिका नगण्य है। यह तो राम भक्ति और धार्मिकता के कारण उपजा उत्साह है?
आडवाणी की भूमिका राम रथयात्रा में नगण्य है, तो इसमें खराबी क्या है? राम मंदिर हेतु रथयात्रा में तो राम की ही सर्वोच्चता रहनी चाहिए। मुझे यदि इस रथयात्रा में गौण माना गया तो यह अच्छा ही है। वैसे यह आरोप लगाने वाले एक ओर यह भी कहते हैं कि आडवाणी रथयात्रा के द्वारा साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं, दूसरी ओर वही आडवाणी को नगण्य बताते हैं। यही दोतरफा मिथ्या सेकुलरवाद की विकृति है।

मैं यह बताना चाहता हूं कि स्वतंत्रता के संघर्ष में जब भी नेतागण राष्ट्रवाद को मजबूत करना चाहते थे, वे हमेशा किसी राष्ट्रीय विषय को लेकर उसे सार्वजनिक स्वीकृति दिलाने की कोशिश करते थे। लोकमान्य तिलक ने इसी भावना से गणेशोत्सव आरंभ किया था। बाद में महात्मा गांधी ने गोरक्षा को बहुत महत्व दिया। वे गोरक्षा को देश की स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं।

रथयात्रा में युवाओं के सहयोग को किस रूप में देखते हैं?
यही कि उन्हें समझ आ रहा है कि राम इस राष्ट्र की एकता के प्रतीक हैं। राम सिर्फ भगवान के रूप में पूजनीय नहीं, बल्कि वह रूप हैं जिसके नाम से पूरा देश एकसूत्र है।

आप पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि आरक्षण, पंजाब व कश्मीर जैसे विषयों पर जब देश जल रहा है तो राम रथयात्रा का क्या औचित्य है?
औचित्य यह है कि मैं बताना चाहता हूं कि देश की समस्याएं यदि हल करनी हैं तो हमें राष्ट्रवाद की ओर मुड़ना है। समस्याओं का लाक्षणिक नहीं, मूलोपचार करना हो तो हमें देश की उन परंपराओं की ओर लौटना होगा, जिसे मिथ्या सेकुलरवादी शासक छोड़ चुके हैं। राष्ट्रवाद को पुष्ट किए बिना किसी समस्या का समाधान संभव नहीं।

1990 में राम रथयात्रा के दौरान लोगों का अभिवादन स्वीकार करते श्री लालकृष्ण आडवाणी

राम रथयात्रा पर सांप्रदायिकता का जो आरोप लग रहा है?
कौन लगा रहा है? वही लोग, जिनकी मानसिकता भी उन लोगों जैसी है, जिन्होंने तिलक के गणेशोत्सव, गांधी जी के गोरक्षा अभियान, सरदार पटेल के सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण के संकल्प को भी सांप्रदायिक कहा था। मैं यह बताना चाहता हूं कि स्वतंत्रता के संघर्ष में जब भी नेतागण राष्ट्रवाद को मजबूत करना चाहते थे, वे हमेशा किसी राष्ट्रीय विषय को लेकर उसे सार्वजनिक स्वीकृति दिलाने की कोशिश करते थे। लोकमान्य तिलक ने इसी भावना से गणेशोत्सव आरंभ किया था। बाद में महात्मा गांधी ने गोरक्षा को बहुत महत्व दिया।
यहां तक कहा कि वे गोरक्षा को देश की स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं।

गांधीजी स्वतंत्रता का मूल्य कम आंकते थे- ऐसा नहीं। पर स्वतंत्रता के लिए जनता में भाव पैदा करने का साधन उन्होंने गोरक्षा को माना। यह बात गांधी जी के अनुयायियों ने भी इतनी महत्वपूर्ण समझी कि गोरक्षा को संविधान का हिस्सा बनाया। इसी तरह स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की घोषणा की, केन्द्रीय मंत्रिमंडल की उस पर स्वीकृति ली जिसमें पं. नेहरू भी थे और मौलाना आजाद भी। मंदिर बना तो प्रथम दिन प्रतिष्ठापन पूजन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया। चाहे गणेशोत्सव हो, गोरक्षा या सोमनाथ संकल्प- वे देश की राष्ट्रीयता को मजबूत करने के प्रयास थे। पर उन सभी पर सांप्रदायिकता के आरोप लगे।

आज की पीढ़ी के लिए यह जानना अत्यंत विस्मयकारी होगा कि सरदार पटेल पर यहां तक आरोप लगाए गए थे कि उनका गांधी हत्याकांड में हाथ था। इसी तरह के घृणित आरोप आज वे लोग भाजपा पर लगा रहे हैं। जबकि हम यह रथयात्रा राष्ट्रवाद की पुन:प्रतिष्ठापना और मिथ्या सेकुलरवाद की समाप्ति हेतु कर रहे हैं। यह न तो सांप्रदायिक है, न ही मुसलमानों के विरुद्ध है। दुर्भाग्य से आज कोई सरदार पटेल नहीं है और हम वैचारिक रूप से अन्य सभी दलों के विपरीत खड़े हुए हैं।

Topics: पुन:प्रतिष्ठापनापंजाब व कश्मीरसोमनाथ से अयोध्या तक राम रथयात्राRam Rath YatraRe-establishmentPunjab and Kashmirभारत रत्नRam Rath Yatra from Somnath to Ayodhyaराष्ट्रवादपाञ्चजन्य विशेषNationalismलालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्नmanasराम रथयात्रा
Share5TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

चतुर्थ सरसंघचालक श्री रज्जू भैया

RSS के चौथे सरसंघचालक जी से जुड़ा रोचक प्रसंग: जब रज्जू भैया ने मुख्यमंत्री से कहा, ‘दुगुनी गति से जीवन जी रहा हूं’

धर्मशाला में परम पावन दलाई लामा से आशीर्वाद लेते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री किरन रिजीजू

चीन मनमाने तरीके से तय करना चाहता है तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies