नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि पिछले एक साल में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच कोई और टकराव वाला क्षेत्र नहीं रहा है। इसके बावजूद दोनों देशों की सेनाओं के बीच स्थिति स्थिर लेकिन ‘संवेदनशील’ बनी हुई है। एलएसी के अग्रिम इलाकों में तैनात सैनिकों तक पहुंचने के लिए रणनीतिक सड़क बनाने, संचार तंत्र मजबूत करने के लिए 5जी इंटरनेट उपलब्ध कराने और बिजली आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
अग्रिम इलाकों में तैनात ‘मेड इन इंडिया’ हथियार प्रणाली पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने एक साक्षात्कार में कहा कि हमारे पास विभिन्न प्रकार के ड्रोन और यूएवी भी हैं। हम क्वांटम कंप्यूटिंग परीक्षणों के अंतिम चरण में हैं। इसके बाद हमारे पास क्वांटम कंप्यूटिंग एन्क्रिप्शन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से बेहतर सुरक्षित संचार होगा। उन्होंने दोहराया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर ‘लेकिन संवेदनशील’ बनी हुई है लेकिन पिछले एक साल में भारत और चीन के बीच कोई और टकराव वाला क्षेत्र नहीं रहा है।
जनरल पांडे ने कहा कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों से होकर गुजरती है। सेना प्रमुख ने कहा कि अप्रैल, 2020 से अब तक कोर कमांडर स्तर की कुल 20 बैठकें और चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र की 14 बैठकें हुई हैं। गतिरोध का समाधान करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर वार्ता के माध्यम से प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन वार्ताओं के माध्यम से हम एक समाधान निकाल लेंगे।
उन्होंने कहा कि मई, 2020 में जब चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को आक्रामक रूप से बदलने की कोशिश की। इसके बाद जून, 2020 में गलवान झड़प के बाद पेट्रोलिंग पॉइंट 15 नए टकराव बिंदु के रूप में उभरा। इसके बाद यहां पर दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी सेनाओं को तैनात किया है। उत्तरी सीमा पर सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए जनरल पांडे ने कहा कि हमारी तैनाती मजबूत और संतुलित बनी हुई है और हम किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त भंडार भी बनाए हुए हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि हम इन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी, आधुनिकीकरण, हमारे संरक्षित वाहनों, निगरानी ड्रोन, बेहतर संचार रेडियो सेट आदि जैसी बेहतर प्रणालियों को शामिल करने के संदर्भ में अपनी क्षमता विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। साथ ही हमारा प्रयास और फोकस बुनियादी ढांचे के विकास पर है। उन्होंने कहा कि एलएसी के अग्रिम इलाकों में तैनात सैनिकों तक पहुंच आसान बनाने के लिए रणनीतिक सड़क निर्माण, संचार तंत्र मजबूत करने के लिए 5जी इंटरनेट उपलब्ध कराने और बिजली आपूर्ति पर फोकस कर रहे हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि सरकारी एजेंसियों, स्थानीय प्रशासन और स्थानीय आबादी के साथ मिलकर एलएसी पर अपनी तैयारी का स्तर हमेशा ऊंचा रखने के लिए भी काम कर रहे हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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