संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्विन दलवी ने बताया कि यह सम्मान 1 से 4 फरवरी को बेंगलुरु में होने जा रहे अखिल भारतीय कलासाधक संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत द्वारा दिया जाएगा।
गत 24 जनवरी को नई दिल्ली में कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती ने कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए अपने ‘भरतमुनि सम्मान’ की घोषणा की। वर्ष 2023 के लिए दृश्यकला एवं लोककला विधाओं के कलाकारों को यह सम्मान दिया जाएगा। दृश्यकला में मुंबई के चित्रकार विजय दशरथ आचरेकर एवं लोककला में सिंधुदुर्ग के गणपत सखाराम मसगे को उनकी कला साधना के लिए सम्मानित किया जाएगा।
सम्मान के रूप में एक स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र एवं 1,51,000 रुपए की राशि भेंट की जाएगी। संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अश्विन दलवी ने बताया कि यह सम्मान 1 से 4 फरवरी को बेंगलुरु में होने जा रहे अखिल भारतीय कलासाधक संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत द्वारा दिया जाएगा।
विजय दशरथ आचरेकर ने रहेजा स्कूल आफ आर्ट से स्वर्णपदक के साथ स्नातक उपाधि प्राप्त की है। आगे चलकर उन्होंने चित्रकला में नई ऊंचाइयां छुईं। आपकी विशेषज्ञता यथार्थ शैली के व्यक्ति चित्र, प्रकृति चित्र और विषयानुरूप बोध चित्र में है।
गणपत सखाराम ठाकर जनजातीय समुदाय से हैं। नौवीं कक्षा तक शिक्षा लेने के बाद, आर्थिक तंगी चलते आपने अपने पिता के साथ कठपुतली और चित्रकथी के कार्यक्रम किए। आपने गायन तथा पारंपरिक लोक वाद्यों का अभ्यास भी किया। 1975 में आपने गोकुल प्रकल्प प्रतिष्ठान से जुड़कर जनजाति कला में दक्षता प्राप्त की। साल 2005 में आपको संगीत नाटक अकादमी से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ। कला के रास्ते समाज प्रबोधन करते हुए आप एक सुपरिचित लोक कलाकार के रूप में विख्यात हुए।
संस्कार भारती द्वारा दिया जाने वाला ‘भरतमुनि सम्मान’ भारत में पंचम वेद के नाम से विख्यात नाट्यशास्त्र के रचयिता महर्षि भरतमुनि को समर्पित है।
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