मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली पर ‘रामलला’ के भव्य मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है। लगभग 500 वर्षों की दीर्घ प्रतीक्षा के बाद 22 जनवरी, 2024 को श्रीराम अपने जन्मस्थली के गर्भगृह में पुनः विराजमान होंगे। भारतीय इतिहास का यह स्वर्णिम दिन है। जिस क्षण रामलला गर्भगृह में पुनः विराजमान होंगे, वह क्षण निश्चय ही भारत सहित विश्वभर में निवास कर रहे करोड़ों भारतवंशियों को अत्यन्त भावुक और आनंद से विभोर करने वाला है।
वर्तमान पीढ़ी बहुत भाग्यवान है। अपनी आँखों से हम अयोध्या में ‘श्रीराम मन्दिर’ भव्यता को साकार होते देख रहे हैं। कई पीढ़ियों की अविरत भक्ति, संघर्ष और फिर विधि सम्मत न्याय के बाद यह अवसर आया है।
लेकिन आज हम आपको उन 11 रामभक्तों के बारे में बताने जा रहे है। जिन्होंने अयोध्या जी में श्रीराम मंदिर के लिए वस्त्र, अन्न व भौतिक सुखों का त्याग कर दिया। अयोध्या जी में 22 जनवरी, 2024 को ‘राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम’ होने जा रहा है, जिसके बाद यह लोग प्रभु राम के दर्शन के पश्चात पु:न अन्न व वस्त्र धारण करेंगे।
1. मौनी बाबा
मौनी बाबा के रूप में बुंदेलखंड में मशहूर दतिया के एक संत ने 1980 में प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाता अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। वे 44 साल से फल खाकर गुजारा कर रहे हैं और 1984 में उन्होंने राम मंदिर बनने के लिए पैरों में चप्पल पहनना छोड़ दिया और मौन व्रत धारण कर लिया था।
2. अभय चैतन्य
उत्तर प्रदेश के अमेठी के ‘मौनी स्वामी’ राम मंदिर निर्माण के लिए 37 साल में 56 बार भूमि समाधि ले चुके हैं। सागर आश्रम के अध्यक्ष अभय चैतन्य ब्रह्मचारी शिवयोगी (मौनी स्वामी) ने 1981 से 2023 तक राम मंदिर निर्माण के लिए कई यज्ञ अनुष्ठान भी किए हैं।
वर्ष 1989-2000 तक स्वामी जी ने मौन व्रत लिया था और नेपाल में भी उन्होंने 41 दिनों की भूमि समाधि ली थी।
3. सरस्वती देवी
झारखंड के हज़ारीबाग की की 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरस्वती देवी (मौनी माता) जी 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का सपना सच होने के बाद तीन दशक (30 साल) से जारी अपना ‘मौन व्रत’ तोड़ देंगी।
6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब से मौनी माता ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तक मौन धारण करने की शपथ ली थी।
4. सूर्यवंशी क्षत्रिय
मुगल आक्रमणकारियों द्वारा राम मंदिर को तोड़ने के बाद से अयोध्या के सरायरासी, सिसिण्डा , सनेथू, भीटी, सराव, हंसवर, मकरही आदि 150 गांवों के 150,000 ग्रामीणों ने पगड़ी और चमड़े का जूता ना पहनने का फैसला किया था। राम मंदिर के निर्माण पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद आखिरकार 500 वर्षों के बाद इन लोगों ने पगड़ी और चमड़े के जूते पहने।
5. सत्यदेव शर्मा
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में वृद्धाश्रम चलाने वाले सत्यदेव शर्मा ने 21 साल पहले यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाएगा, तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। शर्मा.. 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम के बाद अन्न ग्रहण करेंगे।
6. रामगोपाल गुप्ता
राजस्थान के श्रीगंगानगर निवासी कार सेवक राम गोपाल गुप्ता ने प्रभु श्री राम जी के इंतजार में 33 साल से बिना बाल कटवाए हैं। ‘राम मंदिर आंदोलन’ के दौरान उन्होंने कसम खाई थी कि जब तक अयोध्या जी में मंदिर नहीं बन जाता तब तक वह अपने बाल और दाढ़ी नहीं कटवाएंगे।
7. देव दास
उत्तर प्रदेश के खगड़ा निवासी देव दास जी ने आंदोलन के समय प्रभु श्री राम को जब एक छोटी सी कुटिया में बसे हुए देखा तो उन्होंने उसी क्षण चप्पल पहनना छोड़ दिया। उन्होंने उसी समय यह प्रण लिया कि जब राम मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा, तभी वह अयोध्या जी जाकर जूता-चप्पल धारण करेंगे।
8. रवीन्द्र गुप्ता
मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी कार सेवक रवींद्र गुप्ता (भोजपाली बाबा) जी जब 21 वर्ष के थे तब वह वर्ष 1992 में अयोध्या जी में कार सेवा के लिए आए थे। आंदोलन व कारसेवा के ही दौरान उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा तब तक वह अविवाहित ही रहेंगे। भोजपाली बाबा, दर्शन शास्त्र में एमए करने के साथ ही वकालत की पढ़ाई की है।
9. वीरेंद्र कुमार बैठा
बिहार के दरभंगा जिले के खैरा गांव निवासी वीरेंद्र कुमार बैठा उर्फ झमेली बाबा, 31 वर्ष के बाद प्राण प्रतिष्ठा के दिन अन्न ग्रहण करेंगे। अब तक वह फल खाकर अपना जीवन गुजार रहे हैं। 7 दिसंबर 1992 को उन्होंने संकल्प लिया था कि मंदिर निर्माण तक वे केवल फल पर रहेंगे। यहां तक कि बाबा ने शादी तक नहीं की, बस उन्होंने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया।
10. दौलत राम
मोहाली सेक्टर-68 (पंजाब) निवासी 89 वर्षीय दौलतराम कंबोज ने 31 साल से प्रभु राम जी के इंतजार में चाय नहीं पी है। 1 दिसंबर 1992 को जब वे 20 लोगों के एक समूह के साथ अयोध्या गए, जहां उन्होंने पांच दिवसीय सम्मेलन में भाग लिया, तो उनके मन में त्याग की भावना पैदा हुई और उन्होंने चाय छोड़ने की शपथ ले ली।
11. उर्मिला चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश के जबलपुर में 88 वर्षीय उर्मिला चतुवेर्दी ने राम मंदिर निर्माण के इंतजार में 28 साल तक अन्न का त्याग कर दिया। उर्मिला जी केवल फल और पानी का सेवन करती हैं।
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