रूस यूक्रेन युद्ध के डेढ़ साल से भी अधिक बीत चुके हैं, लेकिन नाटो देशों के कारण यूक्रेन लंबे वक्त के बाद भी युद्ध में रह-रहकर ही सही रूस को करारी चोट दे रहा है। इस बीच युद्ध के हालातों के मद्देनजर रूस के सहयोगी देश बेलारूस ने नई मिलिट्री डॉक्ट्रिन को अपना लिया है, जिसके तहत अब बेलारूस अपने युद्धक जखीरे में परमाणु हथियारों को शामिल कर सकेगा।
इसको लेकर बेलारूसी रक्षा मंत्री विक्टर ख्रेनिन ने शुक्रवार को कहा, बेलारुस में परमाणु हथियारों की तैनाती संभावित विरोधियों के सशश्त्र आक्रामकता को रोकने के लिए सबसे अहम उपाय है। हमें इस उपाय को लागू करने के लिए मजबूर कर दिया गया है।
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ख्रेनिन ने CSTO का जिक्र करते हुए कहा कि सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) संघ राज्य में बेलारूस या उसके सहयोगियों के खिलाफ सशस्त्र आक्रामकता के हालात में एक्शन लेने के लिए एक अलग चैप्टर है। बेलारूसी रक्षा मंत्री का कहना है कि इस डॉक्ट्रिन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बेलारूस किसी भी देश को अपना दुश्मन नहीं मानता है, फिर इन देशों की सरकारों में चाहे कुछ भी हो।
ख्रेनिन ने ये भी कहा कि बेलारूस नाटो समेत किसी भी देश के साथ मिलिट्री फील्ड में काम करने के लिए तैयार है, लेकिन सबसे पहले इन देशों को बेलारूस के खिलाफ अपनी आक्रामक बयानबाजियों को बंद करना होगा।
क्या है CSTO
गौरतलब है कि जिस तरह से नाटो एक सैन्य संगठन है उसी प्रकार से CSTO भी एक सैन्य संगठन है। नाटो की अगुवाई अमेरिका करता है, जबकि इसकी अगुवाई रूस करता है। इसमें भी नाटो की ही तरह किसी भी हमले के समय इसके सदस्यों को सहायता के लिए आने की आवश्यकता होती है। इसका गठन वर्ष 2002 में किया गया है, जिसमें, छह देश रूस, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस हैं।
बहरहाल, रूसी स्टेट मीडिया आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक, अभी बेलारूस के नए डॉक्ट्रिन को वहां की संसद की मंजूरी मिलनी बाकी है। बता दें कि जब से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ है, उसके बाद से पश्चिमी देशों को काउंटर करने के लिए रूस ने बेलारूस में अपनी परमाणु क्षमताओं से लैस इस्कंदर मिसाइलों को तैनात कर रखा है।
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