महाराष्ट्र के यवतमाल और छत्तीसगढ़ के रायपुर में हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा का कार्यक्रम होना है। लेकिन कालनेमि बने बैठे कुछ तथाकथित सेक्युलरों को इससे आपत्ति थी, इसी के चलते शाहीन अब्दुल्ला नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपील की कि इन सभाओं को अनुमति न दी जाए। क्योंकि इन सभाओं में हेट स्पीच हो सकती है। लेकिन इनकी कोशिशों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
इसे भी पढ़ें: मंदिर के लिए मिट गए
कोर्ट केवल इतना कहा कि कार्यक्रमों के दौरान किसी भी तरह की हिंसा भड़काने या हेट स्पीच न दें। दरअसल, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में आज (18 जनवरी) को हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा का कार्यक्रम होने जा रहा है, जिसको लेकर सर्वोच्च अदालत का ये फैसला बड़ा ही अहम है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केवल इस बात की आशंका से किसी भी आयोजन पर बैन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि वहां हेट स्पीच की आशंका। हालांकि, कोर्ट ने दोनों ही जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए अवश्य निर्देशित किया है।
दूसरा कार्यक्रम रायपुर में तेलंगाना की गोशामहल सीट से विधायक टी राजा सिंह का कार्यक्रम 19 से 25 जनवरी तक होना है। इसी को रोकने के लिए शाहीन अब्दुल्ला नाम के मुस्लिम याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
कपिल सिब्बल हैं वकील
माना जा रहा है कि हिन्दू संगठनों को रोकने की साजिश कांग्रेस की है, क्योंकि अब्दुल्ला की अर्जी पर पैरवी सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल कर रहे थे। सिब्बल ने पुरजोर कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।
समझने वाली बात ये है कि जब भी कभी हिन्दुओं को रोकने का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है तो सामान्यत: उन मामलों में विपक्षी वकील के तौर पर कांग्रेस के नेता ही होते हैं। राम मंदिर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस ने ही वकीलों की फौज उतारी थी।
टिप्पणियाँ