अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर लगभग बनकर तैयार हो गया है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उस दिन अयोध्या समेत देशभर में उत्सव का माहौल होगा। राम मंदिर को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने कई तरह की प्रतिज्ञा ली थी, लंबे इंतजार के बाद उनके सपने साकार होंगे। ऐसा ही एक समाज अयोध्या में रहता है, जिसका 500 साल पुराना सपना रामलला की मंदिर में स्थापना के बाद पूरा होगा।
दरअसल, अयोध्या से करीब 15 किलोमीटर दूर सरायरासी गांव है। इस गांव में सूर्यवंशी राजपूतों की जनसंख्या सबसे अधिक है, ये लोग करीब 500 सालों से न तो चमड़े के जूते पहनते हैं और न ही सिर पर पगड़ी पहनते हैं। इसकी वजह को लेकर इस गांव के नवाब सिंह सूर्यवंशी ने पाञ्चजन्य ने विशेष बातचीत की, उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले राजपूत न तो पैरों में चमड़े के जूते पहनते हैं, न ही सिर पर पगड़ी रखते हैं, न ही छाता लगाते हैं। इसके अलावा शादी में मंडप को भी नहीं छाते हैं। उन्होंने कहा कि सरायरासी ही नहीं, यहां के करीब 115 गांव के सूर्यवंशी क्षत्रिय इसका पालन कर रहे हैं। मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के दिन उनके पूर्वजों की प्रतिज्ञा पूरी होगी। उस दिन सभी लोग होली और दिवाली दोनों एक साथ मनाएंगे और पगड़ी, छाता, जूते का इस्तेमाल करेंगे।
90 हजार क्षत्रियों के खून से मीर बांकी ने बनवाई थी मस्जिद
नवाब सिंह सूर्यवंशी ने बताया कि करीब 500 साल पहले बाबर के सेनापति मीर बांकी अपनी साही सेना के साथ यहां आया और राम मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसकी जानकारी जब उनके पूर्वज ठाकुर गजराज सिंह को हुई तो उन्होंने 90 हजार क्षत्रियों को एकत्रित किया। उसके बाद सभी लोगों ने एकसाथ दर्शननगर बाजार के पास अपने कुल देवता सूर्य देव के मंदिर में गए और वहां कसम खाई कि जब तक हम राम मंदिर को मुगलों से आजाद नहीं करा लेंगे, तब तक न तो सिर पर पकड़ी पहनेंगे, न ही पैरों में चमड़े के जूते पहनेंगे, न ही छाता लगाएंगे और न ही शादी में मंडप छाएंगे। वहीं से सभी लोग मुगलों से युद्ध करने चले गए। करीब 6 दिन तक भीषण युद्ध चला। इस युद्ध में सभी 90 हजार लोग बलिदान हो गए। उनके खून से धरती लाल हो गई थी। फिर उसी खून के गारे से मीर बांकी ने मस्जिद का निर्माण करवा दिया था।
सरायरासी गांव के दयाराम सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जिस संकल्प को लिया था, आज भी हम उसका पालन कर रहे हैं। अब राम मंदिर बन रहा है। हमें अत्यंत गर्व और अपार खुशी हो रही है। अन्य ग्रामीणों ने भी कहा कि 22 जनवरी को हम घर में दिवाली बनाएंगे। मिठाई बांटेंगे, राम मंदिर को लेकर घर-घर में उत्साह है। 22 जनवरी के बाद सभी लोग पगड़ी पहनकर प्रभु राम के दर्शन करने भी जाएंगे।
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