स्मृति ईरानी के मदीना जाने से चिढ़े पाकिस्तानी बोले ‘आने कैसे दिया’, मिला जवाब- उन्हें समस्या जो धर्म बदलकर मुस्लिम बने

एक मुस्लिम यूजर ने लिखा कि हिन्दू पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेते जा रहे हैं। सभी बड़े होटल, मोटेल और बड़े से बड़े सुपरमार्केट हिन्दुओं के ही हैं। इसलिए मुझे इस यात्रा से कोई हैरानी नहीं है। अल्लाह उम्माह को हिदायत दें

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सोनाली मिश्रा

इन दिनों भारत की अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी सऊदी अरब के दौरे पर हैं और वह मदीना भी गई हैं। वे सऊदी अरब के जेद्दा में हज एवं उमराह मंत्रालय द्वारा आयोजित हज और उमराह सम्मेलन व प्रदर्शनी में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं! और उनके वहां पर जाते ही सोशल मीडिया पर हलचल मच गयी है, पाकिस्तान के कट्टरपंथी बहुत बुरी तरह से चिढ गए हैं। कल स्मृति ईरानी ने अपनी टीम के साथ एक तस्वीर पोस्ट की, उन्होंने लिखा कि मदीना की एक ऐतिहासिक यात्रा, जो इस्लाम के सबसे पवित्र शहरों में से एक है, जहां पर इस्लाम की पहली मस्जिद है।

इस पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। लोगों को यह लग रहा है कि मदीना जैसे पाक शहर में काफिरों को कैसे प्रवेश दे दिया गया है।

एक यूजर ने सऊदी के किंग सलमान से पूछा कि आखिर वह ऐसे कर सकते हैं कि मक्का और मदीना मुस्लिमों के लिए सबसे पवित्र जगहें हैं। व मुशरिकों को आने की इजाजत क्यों दे रहे हैं?

इस्लाम में मुस्रिक का अर्थ उन लोगों से होता है जो शिर्क करते हैं, अर्थात कई भगवानों को जो लोग पूजते हैं, जो बुतपरस्ती करते हैं और जो बहुदेववादी होते हैं। इस्लाम में एकेश्वरवाद माना जाता है अर्थात अल्लाह ही एकमात्र हैं जिनकी पूजा होती है।

एक यूजर ने पोस्ट किया कि यह मदीना में नबावी में मस्जिद के पास क्या कर रही है? उन्होंने हरम शरीफ में आने कैसे दिया?

इसे रीपोस्ट करते हुए एक पाकिस्तानी ने लिखा कि हिन्दू पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेते जा रहे हैं। सभी बड़े होटल, मोटेल और बड़े से बड़े सुपरमार्केट हिन्दुओं के ही हैं। इसलिए मुझे इस यात्रा से कोई हैरानी नहीं है। अल्लाह उम्माह को हिदायत दें

एक यूजर ने लिखा कि शैतान के मानने वालों तुमने इन मुशरिकों को हमारे अल्लाह की भूमि पर आने की इजाजत देकर भयानक पाप किया है और केवल अल्लाह ही इस धोखे के लिए तुम्हें इन्साफ देगा। हमने अल्लाह पर ही यह मामला छोड़ दिया है।

वहीं एक यूजर ने लिखा कि आखिर एक हिन्दू राजनेता मदीना में क्या कर रहा है? और वह भी भाजपा का नेता जो हिन्दुत्ववादी विचारधारा को फैला रही है। पैगम्बर ने बुत परस्तों को हेजाज इलाके में आने से मना किया था। ये दोनों पवित्र शहर केवल मुस्लिमों के लिए हैं और किसी के लिए नहीं!

जहां इस घटना को लेकर कट्टरपंथी एवं पाकिस्तानी लोग विलाप कर रहे हैं तो वहीं बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन, जिन्हें लेकर इस्लामी कट्टरपंथी फतवे निकालते रहते हैं, ने स्मृति ईरानी की प्रशंसा करते हुए लिखा कि वह स्मृति ईरानी की प्रशंसा करती हूँ, जिन्होनें सऊदी अरब में और नेताओं की तरह अपना सिर नहीं ढका।

यह गौरतलब है कि इस्लामी देशों में जाने का अर्थ ही यही होता था कि गैर-मुस्लिम महिला नेताओं को भी अपना सिर ढकना होगा।

वहीं तसलीमा ने एक और तरफ संकेत किया, जो पूरे भारत के लिए चिंताजनक है। उन्होंने लिखा कि पहले मक्का और मदीना में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश नहीं होता था। स्मृति ईरानी और निरुपमा कोतरु आज मदीना में हैं। जहां सऊदी उदार और सभ्य होता जा रहा है, वहीं उनका देश बांग्लादेश कट्टर होता जा रहा है।

लोगों ने इस घटना पर पाकिस्तानियों के साथ मजाक करना आरम्भ कर दिया है। एक यूजर ने लिखा कि सऊदी को समस्या नहीं है, मगर पाकिस्तान में उन मुस्लिमों को समस्या हो रही है, जो अपना धर्म बदल कर मुस्लिम बने थे।

वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि सऊदी अपने जहिलिया वाले समय में वापस जा रहा है!

किसी ने लिखा कि भारत,पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में मतांतरित मुस्लिमों को समस्या हो रही है और वह सऊदी पर निशाना साध रहे हैं, जहां असली मुस्लिम रहते हैं। क्या दिन है?

लोगों ने चिढ़ाने के लिए तरह-तरह के मीम्स भी बनाने शुरू कर दिए हैं।

वहीं यह बात बहुत ही विरोधाभासी है कि जो लोग भी सोशल मीडिया पर यह शोर मचा रहे हैं कि कैसे एक गैर-मुस्लिम को मदीना में प्रवेश दे दिया गया, और जो लोग इस्लामोफोबिया कहकर स्मृति ईरानी को गाली दे रहे हैं, क्या वह मुस्लिमों के लिए हर दूसरे धर्म के पवित्र स्थानों में प्रवेश नहीं चाहते हैं? क्या यदि हिन्दू धर्म के पवित्र स्थानों पर केवल हिन्दुओं के लिए नियम बनाए जाएंगे और या हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों पर उनके विश्वास के आधार पर नियम बनाए जाते हैं, तो क्या इनका यही रवैया रहता है?

इन दिनों पूरा विश्व स्थान के अधिकार को लेकर दो मामले देख रहा है और कट्टर इस्लामिस्ट लोगों का दोहरा रवैया भी देख रहा है। एक तरफ वह लोग इजरायल को यह कहते हुए कोस रहे हैं कि उसने फिलिस्तीन पर कब्ज़ा किया हुआ है तो वहीं लोग अयोध्या पर बाबरी ढाँचे, काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाए गए ज्ञानवापी ढाँचे के पक्ष में खड़े नजर आते हैं।

और यही बात लोग सोशल मीडिया पर कर रहे हैं कि यदि यही नियम है तो यह सभी भारतीय पवित्र स्थलों पर होना चाहिए।

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