महामना ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ राष्ट्र की आध्यात्मिक आत्मा को पुनर्जीवित करने में भी समान योगदान दिया। राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए उनकी एक नजर वर्तमान चुनौतियों पर और दूसरी नजर भविष्य के विकास पर थी।
गत दिसंबर माह को महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘पंडित मदनमोहन मालवीय संपूर्ण वांङ्मय’ के 11 खंडों की पहली शृंखला का लोकार्पण किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार पैदा होते हैं और उनका प्रभाव आने वाली कई पीढ़ियों पर देखा जा सकता है।
वे ज्ञान और क्षमता के मामले में अपने समय के महानतम विद्वानों के समकक्ष थे। महामना आधुनिक सोच और सनातन संस्कृति के संगम थे। उन्होंने बताया कि महामना ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ राष्ट्र की आध्यात्मिक आत्मा को पुनर्जीवित करने में भी समान योगदान दिया। राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए उनकी एक नजर वर्तमान चुनौतियों पर और दूसरी नजर भविष्य के विकास पर थी।
प्रधानमंत्री ने मालवीय जी द्वारा भारतीय मूल्यों से लैस शिक्षा पर जोर दिए जाने और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना व भारतीय भाषाओं की हिमायत किए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महामना के प्रयासों के कारण, नागरी लिपि प्रयोग में आई और भारतीय भाषाओं को सम्मान मिला। प्रधानमंत्री ने बताया कि महामना ने अपनी पूरी ताकत के साथ देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और सबसे कठिन वातावरण में भी संभावनाओं के नए बीज बोए। श्री मोदी ने कहा कि महामना को भारतरत्न से सम्मानित करना हमारी सरकार का सौभाग्य रहा है। महामना की तरह उन्हें भी काशी के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है।
उन्होंने बताया कि महामना की काशी के प्रति अगाध आस्था थी और यह शहर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है और अपनी विरासत के गौरव को पुन: स्थापित कर रहा है। उन्होंने मालवीय वांङ्मय के संकलन के लिए महामना मालवीय मिशन और इसके प्रकाशन के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग के पदाधिकारियों को बधाई दी।
समारोह को वांङ्मय के प्रधान संपादक पद्मश्री रामबहादुर राय तथा महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनारायण श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष तथा वाङ्मय परियोजा के राष्ट्रीय समन्वयक हरिशंकर सिंह तथा राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वेदप्रकाश सिंह भी उपस्थित थे।
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