पड़ोसी हिमालयी देश नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड एक अलग ही जोश में हैं। उन्हें अगले महीने के पहले हफ्ते का बेसब्री से इंतजार है जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर नेपाल में होंगे। नेपाल उनके इस दौरे का पूरा फायदा उठाते हुए कुछ महत्वपूर्ण करार करने का इच्छुक है जो उस देश के विकास में सहायक होंगे। इस करार में एक है बिजली समझौता। इस बाबत प्रचंड ने खुद कल एक वक्तव्य देकर भारत के साथ सहयोग को लेकर काफी उम्मीदें जताई हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रचंड जब पिछले बार भारत आए थे, तब बिजली के क्षेत्र में एक समझौते को लेकर सहमति बनी थी। अब वह करार साकार होने वाला है इसलिए नेपाली प्रधानमंत्री उत्साहित हैं। प्रधानमंत्री प्रचंड ने कल कहा कि जनवरी के पहले हफ्ते में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर यहां आएंगे और भारत—नेपाल के बीच एक बिजली समझौते पर हस्ताक्षर होंगे।
यह बात प्रचंड ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के इनरुवा सबस्टेशन का उद्घाटन करते हुए कही है। उनके अनुसार, नेपाल में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में बहुत अच्छे काम हो रहे हैं। इसी मौके पर उन्होंने भारत के साथ होने जा रहे एक खास करार की जानकारी भी दी।
उल्लेखनीय है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के हित के कामों में सदा आगे रहा है। इन देशों में भी नेपाल खास है, क्योंकि इस देश से भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं जिन्हें तोड़ने के लिए चीन कथित तौर पर शैतानी हथकंडे अपनाता रहा है। लेकिन नेपाल की जनता भारत से जिस प्रकार दिल से जुड़ी है, उसकी वजह से चीन के लिए ऐसा कर पाना उतना आसान नहीं रहा है।
करीब छह महीने हुए जब प्रचंड भारत यात्रा पर आए थे। उस दौरे में भारत और नेपाल के बीच सैद्धांतिक तौर पर सहमति बनी थी कि भारत आगामी 10 वर्ष में नेपाल से 10,000 मेगावाट पनबिजली लेगा। माना जा रहा है कि जयशंकर की नेपाल यात्रा में इसी संबंध में करार होने वाला है।
नेपाल में गत कुछ समय से जलविद्युत के उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसीलिए कई बिजलीघर भी बने हैं। इसी कड़ी में दूसरा सबसे बड़ा सबस्टेशन बना है जो सुनसारी जिले में नरसिंह ग्रामीण नगर पालिका क्षेत्र में है। इसकी क्षमता 400 केवी की है।
नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा है कि उनका देश पनबिजली के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल नेपाल भारत को 450 मेगावाट बिजली निर्यात करता है। यह क्षमता आने वाले 10 साल में 10 हजार मेगावाट तक पहुंचेगी। यह काम लक्ष्य तय करके किया जाएगा। इस संबंध में एक करार तो दोनों देशों के बीच हो ही चुका है। लेकिन अब भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के जलदी होने वाले नेपाल दौरे के मौके पर इस क्षेत्र में अगला महत्वपूर्ण करार होने जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के हित के कामों में सदा आगे रहा है। इन देशों में भी नेपाल खास है, क्योंकि इस देश से भारत के ऐतिहासिक संबंध हैं जिन्हें तोड़ने के लिए चीन कथित तौर पर शैतानी हथकंडे अपनाता रहा है। लेकिन नेपाल की जनता भारत से जिस प्रकार दिल से जुड़ी है, उसकी वजह से चीन के लिए ऐसा कर पाना उतना आसान नहीं रहा है।
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