गत दिसंबर को नई दिल्ली में संस्कार भारती द्वारा ‘दिल्ली कला उत्सव’ का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य था कला के माध्यम से भगवान श्रीराम के जीवन-मूल्यों व आदर्शों का समाज में प्रसार करना। उत्सव में ‘समरसता के नायक राम’ को केंद्र में रखकर संगीत, नृत्य, गायन, नाट्य, चित्रकला व मूर्तिकला के प्रसिद्ध व उदीयमान कलाकारों ने अनुपम प्रस्तुतियां दीं।
उत्सव के उद्घाटन में संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, महामंत्री अश्वनी दलवी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के कार्यवाह भारत भूषण, प्रसिद्ध नृत्यांगना नलिनी-कमलिनी, संस्कार भारती, दिल्ली प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष प्रभात कुमार आदि गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही।
उत्सव में राम मंदिर के उद्घाटन के पावन अवसर की पूर्वपीठिका के संदर्भ में लगभग 100 चित्रकारों द्वारा श्रीराम और समरस समाज का चित्रण करती पेंटिंग्स और मूर्तिशिल्प की अद्वितीय प्रदर्शनी लगाई गई। उत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने बताया कि 22 जनवरी, 2024 को नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्रीराम के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर हर मंदिर को ही अयोध्या का श्रीराम मंदिर समझकर सब सनातनी अपने-अपने मंदिरों में जाकर इस अपूर्व दृश्य को देखें, जो 500 वर्ष के अनथक संघर्ष, साधना और तप का सुफल है।
साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी व संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में बड़ी संख्या में कलाप्रेमियों का उत्साह देखते ही बनता था।
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