भारत ने लाल सागर में हूती विद्रोहियों के आतंक को परास्त करने की तैयारी कर ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेकर उस पर अमल भी कर दिया है। व्यापारिक जहाजों को लूटने, उनकी आवाजाही में दखल डालने और अगवा तक करने की हूती विद्रोहियों की हरकतों पर लगाम कसने में जहां अमेरिकी पहल में एक साझा प्रयास शुरू हुआ है, वहीं भारत ने तो देा युद्धपोत लाल सागर में उतार तक दिए हैं।
हूती यमनी मजहबी उन्मादियों का संगठन है। इस्राएल द्वारा गाजा में आतंकवादी संगठन हमास की कमर तोड़ने के सैन्य अभियान के विरुद्ध हूती विद्रोहियों ने इस्राएल विरोधी रुख अपनाते हुए लाल सागर में उसके जहाजों को अगवा तक किया है।
लेकिन अब पिछले कुछ समय से उस विद्रोही संगठन ने अन्य देशों के जहाजों को भी लूटने और उन पर हमले करने की हरकतें की हैं। इसलिए अमेरिका, इस्राएल, भारत के साथ ही अन्य कई देशों ने लाल सागर में हूती विरोधी मोर्चा खोल दिया है। इसमें संदेह नहीं है कि ‘रेड सी’ पर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि अपने जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भारत ने दो युद्धपोत अदन की खाड़ी में उतार दिए हैं। ये युद्धपोत घातक मिसाइलों और अत्याधुनिक उपकरणा से लैस हैं।अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन ने दो दिन पहले इस्राएल में बयान दिया है कि उसकी अगुआई में दस देशों का एक साझा बल लाल सागर में हूतियों का आतंक मिटाएगा।
इसमें संदेह नहीं है कि इस्राएल तथा हमास की गाजा में चल रही जंग का एक आयाम लाल सागर में उभरता दिख रहा है। ईरान से समर्थन प्राप्त हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में मिसाइलों और ड्रोन हमलों से पूरा इलाका तनाव से भर दिया है। हूतियों ने कई देशों के जहाजों को आग लगाकर क्षतिग्रस्त भी किया है। अमेरिकी नौसेना इन हूती हमलों को नाकाम करने में जुटी तो रही है लेकिन पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई है।
लाल सागर के रास्ते दुनिया का 40 प्रतिशत से ज्यादा कारोबारी सामान गुजरता है। इस मार्ग को भारतीय कारोबारी जहाज भी प्रयोग करते हैं इसलिए उनको सुरक्षा देने की गरज से भारत ने किसी अन्य देश पर आश्रित रहने की बजाय खुद के दो मिसाइल युक्त युद्धपोत—आईएनएस कोच्चि और आईएनएस कोलकाता—को अदन की खाड़ी में तैनात किया है।
हूती विद्रोहियों को जिहादी गुटों जैसे अल कायदा, इस्लामिक स्टेट तथा और दूसरे कुछ गुटों का समर्थन प्राप्त है। कथित तौर पर ईरान हूती विद्रोहियों को एक से एक हथियार दे रहा है। ईरानी मिसाइलें ही हैं जिनके दम पर हूती लाल सागर में आतंक मचाए हुए हैं। हैरानी की बात है कि इस मार्ग से विश्व का 10 प्रतिशत तेल गुरता है, लेकिन तो भी यहां ये विद्रोही अपनी मनमानी कर पा रहे हैं।
अमेरिकी के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बयान के बाद, लाल सागर में एक बड़ा एक्शन होने की संभावना है। 10 देशों के प्रस्तावित साझा बल को हर प्रकार से लैस किया जाएगा। हूतियों ने इतना आतंक मचाया हुआ है कि पिछले दिनों भारत की ओर आने वाले जापान के एक जहाज को अगवा किया था। और भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं; इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा कदम उठाते हुए भारत के कारोबारी जहाजों की सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना के दो जहाज इलाके में पहुंचाए हैं। उत्तरी अरब सागर में इन युद्धपोतों के जरिए भारत अब अपने जहाजों की सुरक्षा खुद कर रहा है।
भारत की नौसेना के ये दोनों ही युद्धपोत अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस और रडार की पहुंच से दूर रहने वाले हैं। आईएनएस कोच्चि ने तो पहले सोमालिया के समुद्री लुटेरों पर जबरदस्त कार्रवाई की हुई है। हालांकि भारत सरकार की तरफ से इन जहाजों को तैनात किए जाने को लेकर कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन मीडिया में इस तरह के समाचार आ चुके हैं।
हूती विद्रोहियों को जिहादी गुटों जैसे अल कायदा, इस्लामिक स्टेट तथा और दूसरे कुछ गुटों का समर्थन प्राप्त है। कथित तौर पर ईरान हूती विद्रोहियों को एक से एक हथियार दे रहा है। ईरानी मिसाइलें ही हैं जिनके दम पर हूती लाल सागर में आतंक मचाए हुए हैं। हैरानी की बात है कि इस मार्ग से विश्व का 10 प्रतिशत तेल गुरता है, लेकिन तो भी यहां ये विद्रोही अपनी मनमानी कर पा रहे हैं।
नई दिल्ली में कल प्रधानमंत्री मोदी की इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर लंबी बात भी हुई है। बताते हैं कि इसमें लाल सागर में हूती विद्रोहियों के आतंक को लगाम लगाने के तरीकों पर भी दोनों नेताओं ने विचार साझा किए हैं।
टिप्पणियाँ