मोटे अनाज को पसंद करने वालों के लिए अच्छी खबर है। मिलेट को बढ़ावा देने और उसके महत्व को बताने के लिए दिल्ली में मिलेट मेला लगने वाला है। यह मेला 18-19 दिसंबर को राज घाट में लगेगा। यह जानकारी खेती विरासत मिशन और अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की तरफ से दी गई है।
खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त और अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्य छाबड़िया ने मिलेट मेला की जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों से पर्यावरण, कृषि और भोजन के धीमे विषाक्तीकरण ने समूचे समाज को भयावह रूप से प्रभावित किया है। इसका सबसे भयंकर दुष्प्रभाव हमारे पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी पर पड़ रहा है। रासायनिक खेती के कारण भोजन में घुल रहे ज़हर भारत के नागरिकों विशेषतः बच्चों के स्वास्थ्य, उनकी शारीरिक क्षमता, बौद्धिक दक्षता एवं मानसिक एकाग्रता को भी बहुत प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अति प्रसंस्करित आधुनिक भोजन-फास्ट फ़ूड की बढ़ती खपत एवं तनावपूर्ण अप्राकृतिक जीवन शैली से बच्चों विशेषतः स्कूली विद्यार्थियों में उत्पन्न होने वाले रोगों से मुक्ति के प्रयासों पर राष्ट्रीय विमर्श खड़ा करना और शिक्षा केंद्रों, विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को इस अभियान में लगाना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। बच्चे हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं उनके समुचित शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए प्रकृतिसुसंगत जीवन शैली एवं आहार विशेषतः मिल्लेट्स से बनाया हुआ आहार इस प्रयास का आधार हो सकता है। इन समस्त विषयों पर व्यापक पर्यावरणीय सुरक्षा एवं जन-कल्याण के लिए एक राष्ट्रीय प्रयास स्थापित करना सर्वोच्च वरीयता का कार्य हैं। जिसमें रचनात्मक सामाजिक संस्थाएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
मोटे अनाज में है अन्न हैं शामिल
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मिलेट अर्थात मोटे अनाज अथवा मूल अनाज। श्रीधान्य नाम से विख्यात ये अनाज हैं- बाजरा, कोदरा, कंगनी, हरी कंगनी, कुटकी, सांवा, ज्वार, रागी और चीना। इन मोटे अनाजों के अपार पोषणकारी गुणों और पर्यावरण की अनुकूलता के कारण माननीय प्रधानमंत्री ने इन्हें श्रीअन्न का नाम दिया है। मिलेट वर्ष 2023 में भारत सरकार ने मिलेट के प्रचार-प्रसार के विशेष प्रयास किए। “G20 सम्मेलन” से लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक तक मिल्लेट्स – श्री अन्न की धूम रही। मिल्लेट्स की खेती वास्तव में पर्यावरण सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों के सम्पोषण एवं प्रकृति के वहनीय उपयोग का सर्वाधिक अनुकूल एंड सुसंगत कृषि कार्य है। मिल्लेट्स की खेती पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण की आधार बन सकती है।
स्वास्थ्य के लिए अद्भुत गुणकारी हैं श्रीअन्न
श्रीअन्न स्वास्थ्य के लिए अद्भुत गुणकारी हैं। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और पाचन तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी रेशा – फाइबर होता है। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और पोषण विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ दशकों में जीवनशैली और आहार की गड़बड़ी के कारण गैर संचारी रोगों ने भारत की बड़ी आबादी पर असर डाला है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट ‘इंडिया: हेल्थ ऑफ़ द नेशंस स्टेट्स’ के अनुसार 2016 में होने वाली कुल मौतों में गैर-संचारी रोगों का योगदान 61.8% था। गैर-संचारी रोग ऐसी दीर्घकालिक बीमारियां हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं जैसे- कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग। अनेक अध्ययनों से पता चला है कि ये गैर-संचारी रोग स्कूल और कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों में भी बड़ी तेजी से फ़ैल रहे हैं। मिल्लेट्स का भोजन इन रोगों से मुक्ति दिलाता है। अगर आमजन मिल्लेट्स का नियमित सेवन करें तो वे इन तमाम रोगों से मुक्त रह सकते हैं। इस दृष्टि से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत संगठन अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मिल्लेट्स के प्रचार प्रसार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि एवं कल्पना को साकार करने में विभिन्न धार्मिक संस्थान एक ऐतिहासिक भूमिका निभा सकते हैं।
मिलेट मेला
अफोर्डेबल स्कूल एसोसिएशन, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, एसजीटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम एवं खेती विरासत मिशन की तरफ से संयुक्त रूप से स्कूल विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों, विद्यालय प्रबंधकों, किसानों, चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य विषेशज्ञों, आम जन एवं रचनात्मक सामाजिक संस्थानों को श्रीअन्न मिलेट्स के अभियान से जोड़ने और उनमें मिलेट्स को प्रचारित करने के उद्देश्य से एक राजघाट स्थित गांधी दर्शन के परिसर में एक ‘मिलेट मेला’ आयोजित करने का निर्णय किया है।
लोक संवाद
इस मिलेट मेले के अंतर्गत मिलेट आहार के द्वारा निरोगी समाज की रचना एवं पर्यावरण संरक्षण में सामाजिक संस्थाओं की भूमिका के विषय पर एक लोक संवाद का आयोजन सोमवार 18 दिसंबर शाम 4:00 से 6:00 बजे तक किया जा रहा है। इस लोक संवाद की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाजसेवी एवं संत ईश्वर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कपिल खन्ना करेंगे और अनेक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अपने विचार रखेंगे। इस लोक संवाद में मिलेट, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण कार्य में सामाजिक संगठनों की भूमिका की संभावित रूपरेखा बनाने का प्रयास किया जाएगा। लोगों से इस लोक संवाद में शामिल होने की अपील की गई है।
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