नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह परिसर का सर्वे कराने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि “शाही ईदगाह मामले में कल जो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश पारित किया था उस आदेश को आज वर्चुअली शाही ईदगाह मस्जिद ने और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने मांग की थी की इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे इंकार कर दिया, कोर्ट ने कहा यह केस 9 जनवरी के लिए निर्धारित है हम उसी दिन उसको सुनेंगे”।
बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर का तीन अधिवक्ता आयुक्तों की टीम द्वारा सर्वे करने का आदेश दिया था।
जानिए क्या है मामला
यह पूरा विवाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर की 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन का कमिश्नर सर्वे वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर की तरह होगा। अधिवक्ता आयुक्तों की टीम विवादित परिसर में जाकर सबूत जुटाएगी और कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देगी।
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले को लेकर 18 दिसंबर को फिर सुनवाई करेगा, जिसमें सर्वे के तरीके, सर्वे करने वाली टीम के सदस्यों के नाम, सर्वे कब होगा और सर्वे की फोटो और वीडियोग्राफी कैसे होगी? इस पर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
जानिए मंदिर पक्ष ने अपनी याचिका में क्या कहा?
इस मामले में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव भी वादी हैं। अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन के अनुसार कटरा केशव देव के नाम दर्ज पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मस्थान है, जो 13.37 एकड़ में है। इसमें शाही मस्जिद ईदगाह स्थित है। कमीशन जारी होने से दस्तावेजी सबूत हासिल होंगे। वहीं इस मामले में ज्ञानवापी विवाद में भी कमीशन जारी होने का हवाला दिया गया।
जानिए क्या है पूरा विवाद
यह पूरा विवाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है तो बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की है और पूरी जमीन उन्हें देने की मांग कर रहा है।
वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार कर रहा है।
जानकार दावा करते हैं कि इस विवाद का इतिहास 350 साल पुराना है। साल 1670 में जब दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब का शासन था, उसी दौरान ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई थी। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के ही अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह है मस्जिद में सनातन धर्म के प्रतीक होने का दावा किया जा रहा है।
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