हिन्दुओं के साथ अत्याचार करने वाले एवं मंदिरों को तोड़ने वाले टीपू के प्रति कांग्रेस का इश्क एक बार फिर से सामने आया है। कांग्रेस के विधायक प्रसाद अब्बयया ने कर्नाटक विधानसभा में मैसूर हवाई अड्डे का नाम टीपू के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा। हुबली-धारवाड़ (पूर्व) के विधायक प्रसाद ने गुरूवार को एक चर्चा के दौरान यह प्रस्ताव दिया कि मैसूर हवाई अड्डे का नाम टीपू के नाम पर रखे जाने के लिए केंद्र को पत्र लिखा जाए। अब्बयया के इस प्रस्ताव के बाद विधानसभा में शोर-शराबा होने लगा।
अब्बयया ने कहा कि वह हुबली हवाई अड्डे का नाम सांगोली रायान्ना एवं बेलगावी हवाई अड्डे का नाम रानी चेनम्मा, शिवमोगा हवाई अड्डे का नाम राष्ट्रकवि कुवेम्पु के नाम पर एवं विजयपुर हवाई अड्डे का नाम जगज्योति के नाम पर रखना चाहते हैं। यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि जहां एक ओर बेलगावी हवाई अड्डे का नाम रानी चेनम्मा के नाम पर रखने का विचार किया जा रहा है जो सहृदयी थीं, तो वहीं टीपू का सारा इतिहास ही गैर-मुस्लिमों के प्रति घृणा से भरा हुआ है। ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं। कई ऐतिहासिक उदाहरण हैं जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि टीपू और उसके अब्बा हैदर अली ने गैर मुस्लिमों का दमन किस प्रकार किया, और कैसे हिन्दुओं और चर्च आदि को जलाया।
उसकी गैर-मुस्लिमों के विषय में जो सोच है उसके विषय में SELECT LETTERS TIPPOO SULTANTO VARIOUS PUBLIC FUNCTIONARIES नामक पुस्तक में स्पष्ट लिखा है, जिसमें टीपू ने कई अधिकारियों के साथ संवाद किया है और साथ ही यह भी लिखा है कि गैर-मुस्लिमों के साथ क्या करना है। टीपू की घोषणा या मैनिफेस्टो में लिखा है कि काफिरों के साथ लड़ना है और काफिरों पर विश्वास नहीं करना है। इसी में एक और स्थान पर यह भी लिखा है कि ईसाइयों को सुबह की प्रार्थना के समय कैद किया जाए और फिर उसके पास भेजा जाए।
Tipu Sultan Villain Or Hero? नामक पुस्तक में भी तमाम ऐसे उदाहरण दिए गए हैं, जिनसे यह पता चलता है कि कैसे टीपू ने गैर-मुस्लिमों के साथ अत्याचार की हर सीमा पार कर दी थी। विश्व प्रसिद्ध पुर्तगाली यात्री फादर बार्थोलोमियो ने अपनी पुस्तक वोयाज टू ईस्ट इंडिया में टीपू द्वारा हिन्दुओं के कत्लेआम के विषय में लिखा है कि “वर्ष 1788 एवं 1789 में जब क्रूर टीपू सुल्तान, हैदर अली खान के बेटे ने ब्राह्मणों पर अत्याचार किए, या तो नृशंसता से उनकी हत्या की गयी या फिर उनका खतना करके मुस्लिम बना लिया गया, कई लोग वहां से वैकट्टा में भाग गए जहां पर उन्हें त्रावणकोर के राजा का प्रश्रय प्राप्त हुआ। इसमें वह और टीपू सुलतान के कालीकट पर हमले पर तबाही के विषय में लिखते हैं। वह लिखते हैं कि “टीपू सुलतान एक हाथी पर बैठकर आगे चल रहा था और उसके आगे 30,000 बर्बर सैनिक थे, जिन्होंने हर उस इंसान को मार डाला जो उनके रास्ते में आया और टीपू के पीछे भी 30,000 सैनिक थे। जिस तरीके से कालीकट के निवासियों को उसने मारा वह बहुत ही भयानक था। उनमे से कई महिला और पुरुषों को लटका दिया गया था और पहले माताओं को टांगा और फिर बच्चों को गले से टांग दिया। क्रूर शासक ने कई ईसाइयों को मारा और उसके सामने कई बुतपरस्त नग्न लाए गए जिन्हें उसने हाथी के पैरों से कुचलवा डाला। उसने हर चर्च और मंदिर को जलाने के या फिर किसी और तरीके से नष्ट करने के आदेश दिए। जो भी ईसाई उस समय उपस्थित था, सभी का खतना कर दिया गया। वह लिखते हैं कि यह सब वर्ष 1789 में हुआ जब मैं वेरपोल में रहता था।
यह केवल कालीकट की घटना है। कुर्ग में टीपू ने जो बर्बरता दिखाई उसकी कहीं भी समानता नहीं है। पी सी एन राजा RELIGIOUS INTOLERANCE OF TIPU SULTAN में लिखते हैं कि मालाबार में टीपू की क्रूरता का निशाना हिन्दू और हिन्दू मन्दिर थे। लेविस बी बौनरी के अनुसार टीपू ने मालाबार के हिन्दुओं के साथ जो किया था उसकी तुलना महमूद गजनी, अलाउद्दीन खिलजी द्वारा की गयी क्रूरता के साथ हो सकती थी। ऐसा माना जाता है कि लगभग 4 लाख हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बना लिया गया था। उसने कोझीकोड में मंदिरों को तोड़ा था। कुर्ग में उसने एक बार तो दस हजार हिन्दुओं का कन्वर्जन कराया था। मंगलोर पर कब्जा जमाने के बाद उसने हजारों ईसाइयों को श्रीरंगपट्टनम भेजा था, जहाँ पर सभी का खतना कराकर इस्लाम में मतांतरित करा दिया गया।
मालाबार के हिन्दुओं पर किए गए अत्याचारों का एवं तोड़े गए मंदिरों का विवरण मालाबार मैन्युअल में मिलता है जिसे विलियम लोगान ने लिखा है। विलियम लोगान कुछ समय तक जिलाधिकारी रहे थे। जरा कल्पना करें कि जिस क्रूर टीपू ने अपने लिखित आदेशों में यह कहा हो कि हिन्दुओं को मार डाला जाए या फिर हिन्दुओं और ईसाइयों को इस्लाम में मतांतरित कर लिया जाए, जिसने लाखों हिन्दुओं की हत्या की हो, जिसने मंदिरों और चर्चों को नष्ट किया हो, उसके नाम पर मैसूर हवाई अड्डे का नाम रखकर न जाने कितने जख्मों पर नमक छिड़का जाएगा, इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
टीपू के दिए घाव इतने गहरे हैं कि मांड्यम अयंगर नहीं मनाते हैं दीपावली
टीपू एक मजहबी उन्माद से भरा हुआ शासक था, जिसने इस्लामीकरण के लिए हरसंभव प्रयास किए, हिन्दुओं को मारा, मंदिरों और चर्चों को तोड़ा, शहरों को जलाया और मालाबार में टीपू के दिए घाव इतने गहरे हैं कि मांड्यम अयंगर अभी तक दीपावली नहीं मनाते हैं क्योंकि उसी दिन टीपू ने सैकड़ों ब्राह्मणों की हत्या की थी, इनमें बच्चे और महिलाएं भी सम्मिलित थे।
हालांकि टीपू के इस मजहबी उन्माद को कई तरीके से न्यायोचित ठहराने का प्रयास वामपंथियों एवं कांग्रेसियों द्वारा किया जाता है, मगर यह भी सत्य है कि टीपू द्वारा दिए गए घाव बहुत गहरे हैं और बहुत पुराने नहीं हैं। इसलिए जब-जब टीपू का महिमामंडन किए जाने का कुप्रयास होता है तो सांस्कृतिक जख्म उभरकर आते हैं एवं वह अत्यंत पीड़ादायक होते हैं, जिसे टीपू का महिमामंडन करने वाले लोग शायद ही समझ सकें।
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