बलूचिस्तान और वहां बलूच पाकिस्तानी हुकूमत को कभी रास नहीं आए। उस क्षेत्र को लेकर इस्लामाबाद का सौतेला बर्ताव जगजाहिर है। वहां के युवाओं को जबरन उठा ले जाना, कुछ दिन बाद उनकी लाश बरामद होना, वहां की महिलाओं को सरेआम अपमानित करना, बलूचों को बुनियादी सुविधाओं के नाम पर सिर्फ वादे देते रहना आदि पाकिस्तान में रहीं सरकारों के लिए आम बातें रही हैं। पाकिस्तानी सेना के जवानों द्वारा युवाओं, छात्रों को अगवा करने की तो घटनाएं आएदिन घटती हैं। पाकिस्तान में एक नाम के लिए बना हुआ आतंकवाद-रोधी विभाग तो है, लेकिन उसने कभी बलूचों पर ‘सरकारी आतंक’ को लेकर खास कोई कार्रवाई नहीं की है। लेकिन इस संदर्भ में एक ताजा खबर कुछ हैरान करने वाली है।
पड़ोसी इस्लामी देश के आतंकवाद-रोधी विभाग ने अचानक हरकत में आते हुए वहां चार लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की है जिन पर चार बलूच युवकों की हत्या का संदेह किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह इस मामले पर पहली एफआईआर दर्ज हुई है।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द डॉन की रिपोर्ट है कि तुरबत में बलूच युवाओं की कथित हत्या का मामला तूल पकड़ता गया था। उसी के संदर्भ में एक एफआईआर दर्ज हुई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, वे युवक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। इन युवाओं की मौत को लेकर तुरबत ही नहीं, पूरे बलूचिस्तान प्रांत में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किए गए थे।
परिवार के लोगों का भी मानना है कि मुठभेड़ की बात फर्जी है। उन लोगों ने मोला बख्श के अलवा तीन अन्य बलूच युवकों की भी हत्या की है। लेकिन परिवार वालों के इस बयान का आतंकवाद-रोधी विभाग ने विरोध किया है। उनके आरोप को आधारहीन बताया है। विभाग का कहना है कि मोला बख्श को पिछली 20 नवंबर को 5 किलो विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़ा गया था।
इसके बाद इस मामले का आतंकवाद-रोधी विभाग ने संज्ञान लिया और तहकीकात शुरू की। इसी के बाद चार कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दाखिल की गई है। आतंकवाद-रोधी विभाग द्वारा इस मामले में चार कर्मचारियों को संदिग्ध माना गया है। कहा जा रहा है कि बलूच युवाओं को जिस मुठभेड़ में मारा गया बताया गया है वह फर्जी थी।
इस संबंध में एएनआई ने एक रिपोर्ट दी है, इसमें कहा गया है कि आतंकवाद रोधी विभाग को इस मामले में चार कर्मचारियों पर फर्जी मुठभेड़ में चार बलूच युवकों को मार डालने का शक हुआ है। इन युवकों की मौत को लेकर बलूचिस्तान में भीषण प्रदर्शन किया गया था।
उक्त फर्जी मुठभेड़ में मारे गए बालाच मोला बख्श नाम के युवक के घरवाले भी केच नामक स्थान पर हुए प्रदर्शन में शामिल हुए थे। परिवार के लोगों का भी मानना है कि मुठभेड़ की बात फर्जी है। उन लोगों ने मोला बख्श के अलवा तीन अन्य बलूच युवकों की भी हत्या की है।
लेकिन परिवार वालों के इस बयान का आतंकवाद-रोधी विभाग ने विरोध किया है। उनके आरोप को आधारहीन बताया है। इस विभाग का कहना है कि मोला बख्श को पिछली 20 नवंबर को 5 किलो विस्फोटक पदार्थों के साथ पकड़ा गया था। 21 नवंबर को उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई और तुरबत के आतंकवाद रोधी कोर्ट में पेश किया गया।
लेकिन द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मालो बख्श का शव 22—23 नवंबर की रात अस्पताल लाया गया था। यानी पूरा प्रकरण धुंधलके से ढका है। क्या सच में बलूच युवकों को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया? क्या मालो बख्श सच में विस्फोटक सामग्री के साथ पकड़ा गया था। क्या इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर पर आगे कोई कार्रवाई की जाएगी?
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