सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया है। इसके साथ ही मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार के हर फैसले को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें-
- सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में संप्रभुता का जिक्र किया गया है। जबकि, जम्मू कश्मीर के संविधान में इसका जिक्र नहीं है। भारत के संविधान के अस्तित्व में आने के बाद ही जम्मू कश्मीर का संविधान लागू हुआ था।
- . विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू और कश्मीर में संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रहता है। जम्मू-कश्मीर के लिए कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
- जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को चुनौती नहीं दी जा सकती।
- कोर्ट ने कहा कि राज्य के लिए कानून बनाने की संसद की पॉवर कानून बनाने की शक्ति को बाहर नहीं कर सकती है।
- 370 एक अस्थाई प्रावधान था, जिसे पहले ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए था।
- संविधान सभा भंग होने के बाद सभा की शक्ति खत्म हो गई, ऐसे में राष्ट्रपति के आदेश पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।
- सीओ 272 के पैरा नंबर 2 के जरिए अनुच्छेद 367 में संशोधन करने के बाद अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था, जो कि पूरी तरह से वैध है।
- राष्ट्रपति ने अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल नहीं किया। राष्ट्रपति के सत्ता के प्रयोग से ये परिलक्षित होता है कि एकीकरण की प्रक्रिया अभी जारी है और इसके लिए किसी से भी सहमति लेने की जरूरत नहीं है।
- भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू कश्मीर में लागू करना पूरी तरह से वैध है।
- जम्मू कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं
- 2018 में जम्मू कश्मीर पर लगाए गए राष्ट्रपति शासन पर फैसला देने से सीजेआई का इनकार
गौरतलब है कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने विवादित अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए। इसके बाद हाल ही में लोकसभा में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल भी पास किया था। पुनर्गठन के बाद अब जम्मू कश्मीर विधानसभा में पीओके के लिए भी कुछ विधानसभा सीटों को आरक्षित कर दिया गया है।
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