कर्नाटक के बेंगलुरु में मुस्लिम बच्चों के लिए एक यतीमखाना (अनाथालय) स्थित है, जहां पर बच्चों से बहुत ही अमानवीय व्यवहार किए जाने का मामला प्रकाश में आय़ा है। इस मामले में एनसीपीसीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने जब यतीमखाने का औचक निरीक्षण किया तो यतीम बच्चों के साथ तालिबानी व्यवहार का खुलासा हुआ। इस खुलासे के बाद प्रियांक कानूनगो ने राज्य के मुख्य सचिव नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है।
बेंगलुरु के सैय्यदिया यतीमखाने का वीडियो एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया। इसके साथ ही उन्होंने इसका खुलासा किया सैय्यदिया यतीमखाना रजिस्टर्ड नहीं है और अवैध तरीके से चलाया जा रहा है। एनसीपीसीआर के मुताबिक, इस यतीमखाने में करीब 200 अनाथ बच्चों को रखा गया है। 100 वर्गफुट के कमरे में 8 बच्चों को रखा जाता है औऱ इस तरह के यहां पर करीब 5 कमरे हैं, जिनमें कुल 40 बच्चे रहते हैं। जबकि 16 बच्चे गलियारे में रहने को मजबूर हैं। बाकि के 150 बच्चों को नमाज के लिए निर्धारित 2 हालों में सोना पड़ता है।
बंगलुरु,कर्नाटक में दारूल उलूम सैय्यादिया यतीम खाना नाम से अवैध ढंग से चलते हुए एक ग़ैरपंजीकृत अनाथ आश्रम का औचक निरीक्षण किया जिसमें कई अनियमिततायें पायी गयीं।
यहाँ क़रीब 200 यतीम (अनाथ) बच्चों को रखा गया है।
100 वर्गफ़िट के कमरे में 8 बच्चों का रखा जाता है,ऐसे 5 कमरों में 40… pic.twitter.com/dnp1g8Wj7a— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 20, 2023
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स्कूल नहीं जाता एक भी बच्चा
खास बात जो एनसीपीसीआर के निरीक्षण में पता चली वो ये कि इन 200 बच्चों को नमाज के कमरे में ही सोना पड़ता है औऱ सुबह तीन बजे से ही इनकी इस्लामिक शिक्षा शुरू कर दी जाती है। इन्हें स्कूल नहीं भेजा जाता है। ये केवल इस्लामिक दीनी शिक्षा लेते हैं। इन्हें दोपहर में थोड़ी देर के लिए नमाज की छुट्टी और फिर कुछ देर ही सोने दिया जाता है। इसके अलावा सैय्यदिया यतीमखाने में इन बच्चों के खाने, मनोरंजन करने और आराम करने के लिए कोई और व्यवस्था नहीं की गई।
इस मामले को लेकर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि यतीमखाने के बच्चे मध्ययुगीन तालिबानी जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। करोड़ों की संपत्ति वाले वक्फ के इस यतीमखाने की बिल्डिंग में अलग से एक स्कूल है, लेकिन इन बच्चों को वहां पर जाने नहीं दिया जाता है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करता है। एनसीपीसीआर ने इस बात का भी खुलासा किया कि इन बच्चों में मौलवियों का इतना खौफ है कि उनके आते ही बच्चे खौफ में अपनी आंखें बंद कर लेते हैं।
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