लंदन। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को लेकर कहा कि भारत किसी जांच से इनकार नहीं कर रहा है, लेकिन कनाडा ने अपने आरोप के समर्थन में भारत से कोई प्रमाण साझा नहीं किया है।
पांच दिवसीय दौरे पर ब्रिटेन पहुंचे विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा से एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की संलिप्तता के उसके आरोप को लेकर सबूत देने को कहा गया। भारत का जांच से इनकार नहीं है लेकिन कनाडा ने अपने आरोप के समर्थन में कोई सबूत साझा नहीं किया है। उन्होंने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भाषण या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक निश्चित जिम्मेदारी भी लाती है और उस स्वतंत्रता का दुरुपयोग व राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उसके इस्तेमाल को बर्दाश्त करना गलत होगा।
गौरतलब है कि 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी। भारत की तरफ से साल 2020 में आतंकवादी घोषित किए गए निज्जर की हत्या में ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था।
वियना कन्वेंशन का सम्मान करे कनाडा
कनाडा में भारतीय उच्चायोग में आयोजित एक कांसुलर शिविर में खालिस्तानी तत्वों ने बाधा उत्पन्न की। शिविर पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए आयोजित किया गया था। इसमें खालिस्तानी तत्वों ने खलल डाली लेकिन वे सफल नहीं हुए। शिविर सफलतापूर्वक आयोजित हुआ। भारतीय कार्यक्रमों में बाधा पड़ने पर भारत ने कनाडा को वियना समझौते की याद दिलाई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि घटना के संबंध में कुछ गलत मीडिया रिपोर्ट भी आई हैं। राजनीतिक संबंधों पर उन्होंने कनाडा से वियना कन्वेंशन का सम्मान करने का आह्वान दोहराया।
वहीं, कनाडा में दिवाली समारोह के दौरान भारतीय समुदाय पर कथित हमले की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वाणिज्य दूतावास को घटना के संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है।
भारत ने पहले भी मांगे थे सबूत
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कनाडा से सबूत मांगे थे। संजय कुमार वर्मा ने साक्षात्कार में कहा था कि निज्जर की हत्या में भारत की कथित संलिप्तता के बारे में कनाडा या उसके सहयोगियों द्वारा भारत को ठोस सबूत नहीं दिखाए गए हैं। कनाडा पुलिस मामले की जांच कर रही है और ट्रूडो के सार्वजनिक बयानों से जांच को “नुकसान” पहुंचा है। “सबूत कहां हैं? जांच का निष्कर्ष कहां है? मैं एक कदम आगे बढ़कर कहूंगा कि अब जांच पहले ही दागदार हो चुकी है। उच्च स्तर पर किसी से यह कहने का निर्देश आ चुका है कि इसके पीछे भारत या भारतीय एजेंट हैं।
संजय वर्मा ने हत्या में भारत की भूमिका को सिरे से नकारते हुए कहा कि राजनयिकों के बीच किसी भी बातचीत को प्रोटेक्ट (संरक्षित) किया जाता है और इसे अदालत में सबूत के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं या सार्वजनिक रूप से इसे जारी नहीं किया जा सकता है। आप अवैध वायरटैप के बारे में बात कर रहे हैं और सबूतों के बारे में बात कर रहे हैं। दो राजनयिकों के बीच बातचीत सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों द्वारा सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि मुझे दिखाइए कि आपने बातचीत को कैसे पकड़ा है। किसी ने आवाज की नकल न की हो।
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