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विदेशी कंपनियों का तोड़ा वर्चस्व

अल्केम लेबोरेट्रीज ने भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों की क्षमता को नए ढंग से पारिभाषित किया

by संजीव कुमार
Nov 8, 2023, 02:05 pm IST
in भारत, बिहार
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आज भारत में 800 से अधिक ब्रांडों के पोर्टफोलियो के साथ अल्केम घरेलू बिक्री के मामले में भारत की पांचवीं सबसे बड़ी दवा कंपनी है, जिसकी मौजूदगी 40 से अधिक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में है। इसका मुख्य जोर संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार पर है।

भारत में 1970 के दशक से पूर्व विदेशी दवा कंपनियों का वर्चस्व था, जिसे अल्केम लैबोरेट्रीज लिमिटेड ने तोड़ा और भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों की क्षमता को नए ढंग से परिभाषित किया। आज भारत में 800 से अधिक ब्रांडों के पोर्टफोलियो के साथ अल्केम घरेलू बिक्री के मामले में भारत की पांचवीं सबसे बड़ी दवा कंपनी है, जिसकी मौजूदगी 40 से अधिक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में है। इसका मुख्य जोर संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार पर है।

कंपनी का वार्षिक राजस्व 2022 में 10,796.8 करोड़ रुपये था, जो 2021 से 18.7 प्रतिशत अधिक था। पिछले 5 पांच वर्ष में कंपनी का राजस्व 13.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। अल्केम की कहानी एक व्यक्ति के संघर्ष और जिजीविषा की जीवंत मिसाल है। इस कंपनी की स्थापना एक साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले संप्रदा सिंह ने की, जो डॉक्टर बनना चाहते थे। एक छोटी सी दवा दुकान से शुरू उनका सफर आज 10,796.8 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

कंपनी में 14,500 कर्मचारी कार्यरत हैं। संप्रदा सिंह का जन्म बिहार के जहानाबाद जिला के ओकरी गांव में 1925 को हुआ। जहानाबाद के घोसी हाई स्कूल से 1946 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन नंबर कम थे। इसलिए गया कॉलेज में वाणिज्य में दाखिला लिया और 1950 में पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। अपने गांव में वह पहले स्नातक थे। पढ़-लिख कर वह खेती करना चाहते थे, लेकिन माता-पिता इसके खिलाफ थे।

1953 में उन्होंने पटना के अशोक राजपथ पर एक छोटी-सी दवा की दुकान खोली। उन्होंने सोचा कि भले ही वह डॉक्टर नहीं बन सके, लेकिन रिटेल केमिस्ट बनकर चिकित्सा पेशे के करीब तो रहेंगे। सात वर्ष बाद 1960 में उन्होंने मगध फार्मा के बैनर तले दवा वितरण का व्यवसाय शुरू किया, जिसे उनके बड़े पुत्र नवल किशोर सिंह ने आगे बढ़ाया। उनका यह व्यवसाय भी चल निकला। मृदुभाषी होने के कारण संप्रदा सिंह के कई दवा कंपनियों के प्रमुखों के साथ अच्छे संबंध बन गए थे। इन संबंधों के कारण उन्हें समूचे बिहार के लिए डिस्ट्रीब्यूटरशिप की पेशकश की गई।

1970 में अरिस्टो लैब्स के साथ उन्होंने दवा उत्पादन के क्षेत्र में प्रवेश किया, पर कई असफलताओं व असफल साझेदारियों के बाद उन्होंने 1973 में अल्केम लेबोरेट्रीज की स्थापना की, जिसने भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार को ही बदल दिया। आज अल्केम लेबोरेट्रीज फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन और न्यूट्रास्यूटिकल्स का विकास, निर्माण व विपणन करती है। कंपनी का परिचालन यूरोप, अफ्रीका, एशिया प्रशांत, दक्षिण अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी है। 27 जुलाई, 2019 में संप्रदा सिंह का निधन हो गया। उनके काम को पौत्र और कंपनी के प्रबंध निदेशक संदीप सिंह कुशलता से आगे बढ़ा रहे हैं।

Topics: Dipawaliअल्केम लेबोरेट्रीज फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन और न्यूट्रास्यूटिकल्स का विकासAlkem Laboratories Development of pharmaceutical formulations and nutraceuticals
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