साबरमती संवाद में ‘वाइब्रेंट गुजरात’ सत्र में प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी के वक्तव्य के संपादित अंश इस प्रकार हैं
आज गुजरात ने पूरे विश्व में आर्थिक दृष्टि से धाक जमाई है। यदि गुजरात कोई देश होता तो चीन, कोरिया के बाद एक बड़ी आर्थिक शक्ति होता। आर्थिक रूप से गुजरात जितना जागरूक है, उतना ही सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से संपन्न है। हर क्षेत्र में सफल होने के बाद भी गुजरात के लोगों ने अपनी परंपरा और संस्कृति नहीं छोड़ी है। चाहे महात्मा गांधी हों, सरदार पटेल हों या फिर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन महानुभावों ने अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा। गुजराती संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है-गरबा। गरबा यानी गर्भ दीप।
हर स्त्री के गर्भ में जो शक्ति है, जो सृजन करती है, उसी शक्ति का उत्सव है गरबा। गरबा में गोलाकार, मंडलाकार आकृति में नृत्य किया जाता है और तीन तालियां बजती हैं। ये तीन तालियां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतीक हैं। इन तीनों की शक्ति से जो सृजित हुर्इं वही मां अंबा हैं, जिनकी अराधना होती है। गरबा की ताल पर पूरा भारत एक हो जाता है।
आज अमेरिका के साथ ही पूरे विश्व को भारत की आवश्यकता है। भारत ने अपने दमखम के साथ दुनिया में अपनी जगह बनायी है। आभा-मंडल तब चमकता है जब आपके विचारों में स्पष्टता और ईमानदारी हो तथा आपकी साख पूरे विश्व में दिख रही हो। अभी पूरे विश्व के लिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कालखंड है और इसके लिए भारत कहीं न कहीं सहभागिता निभा रहा है, यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।
सभी जानते हैं कि पूरे विश्व में गुजरात ‘मॉडल’ की सफलता का सबसे पहला संकेत को-आपरेटिव सोसायटी का गया था। बापू हमेशा कहते रहे कि स्वराज्य यानी अपना राज, अपनी योजना, अपना अन्न, अपनी शिक्षा, स्वरोजगार होना चाहिए और गुजरात ने इसे साकार भी कर दिखाया है। गुजरात के नेतृत्व ने पूरे विश्व को सामाजिक समरसता का ताना-बाना दिखाया और सिखाया है। गुजरात की सामाजिक समरसता को समझने के लिए 1964 की एक घटना याद आती है।
अक्तूबर, 1964 में अमूल संस्था के उद्घाटन समारोह के लिए प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री गुजरात गए थे। उन्होंने खेड़ा जिले के एक गांव में एक दिन रहने की इच्छा व्यक्त की। चूंकि आजादी मिले कुछ ही वर्ष हुए थे इसलिए उन दिनों जाति के आधार पर कुछ भेदभाव तो थे ही। इसके बावजूद शास्त्री जी ने देखा कि हर किसान दूध के साथ आ रहा है और सब मिलकर उस दूध को पी भी रहे हैं। कोई नहीं पूछ रहा है कि किसके यहां से दूध आया है, किस गाय का दूध है। यही सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा संदेश है।
आज दुनिया में भारत को देखने के नजरिए में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। यह परिवर्तन गुजरात के बेटे मोदी जी के कारण ही हुआ है। आज अमेरिका के साथ ही पूरे विश्व को भारत की आवश्यकता है। भारत ने अपने दमखम के साथ दुनिया में अपनी जगह बनायी है। आभा-मंडल तब चमकता है जब आपके विचारों में स्पष्टता और ईमानदारी हो तथा आपकी साख पूरे विश्व में दिख रही हो। अभी पूरे विश्व के लिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कालखंड है और इसके लिए भारत कहीं न कहीं सहभागिता निभा रहा है, यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। एक मुख्यमंत्री के नाते मोदी ने गुजरात को बदला। 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने का निर्णय लेकर उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी परिवर्तन ला दिया है।
इन दिनों इस्राएल और आतंकवादी संगठन हमास के बीच जंग चल रही है। हमास अपने कुकर्मों के वीडियो भी खूब प्रचारित करता है। इन्हें देखकर समझ सकते हैं कि सैकड़ों वर्ष तक भारत ने क्या-क्या झेला होगा। इसलिए आतंकवाद का विरोध हर स्तर पर करना चाहिए।
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