वैसे तो माता के अधिकांश शक्तिपीठ भारत में हैं लेकिन 51 शक्तिपीठों में से एक गुह्येश्वरी शक्तिपीठ नेपाल में स्थित है। गुह्येश्वरी शक्तिपीठ मंदिर पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर है।
ऐसा माना जाता है कि जब माता सती ने स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया था तब भगवान शिव माता के वियोग में उनके शव को अपने हाथों में उठाकर तांडव करने लगे थे। भगवान शिव की ऐसी हालत देखकर पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया था , कोई भी भगवान भोलेनाथ को शांत नहीं करवा पा रहा था।
ऐसे में भगवान शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया था। जहां-जहां माता के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। इन 51 टुकड़ों में से माता के दोनों घुटने नेपाल में गिरे थे, जिसे गुह्येश्वरी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा देवी मां के दो और शक्तिपीठ भी यहां स्थित हैं।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ के इस मंदिर के छिद्र से हमेशा पानी बहता रहता है, यहां भगवान शिव भैरव कपाल के रूप में विद्यमान हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण राजा प्रताप मल्ल ने करवाया था। हर साल यहां नवरात्रि के दौरान लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं।
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए आप काठमाण्डु हवाई अड्डे से बस या टैक्सी से जा सकते हैं।
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