भारत की विदेश नीति इतनी स्पष्ट, इतनी प्रखर और इतनी मुखर संभवत: पहले कभी नहीं रही। यह प्रखरता भी उस समय सामने आई है, जब न केवल भारत विश्व पटल पर तेजी से आगे बढ़ा है बल्कि विश्व के समक्ष चुनौतियां भी काफी तेजी से बढ़ी हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर पिछले दिनों अमेरिका की नौ दिवसीय यात्रा पर थे। यात्रा का एक अहम पड़ाव संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनका संबोधन था। इस महत्वपूर्ण भाषण से पहले, जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस से भेंट की। उन्होंने आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिजोर्यान के साथ भी बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने “मजबूत द्विपक्षीय संबंध” की पुष्टि की। इसके निहितार्थ स्वत: स्पष्ट थे। अमेरिका के दौरे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के दृष्टिकोण को जितनी स्पष्ट के साथ सामने रखा है, वह ध्यान देने योग्य है। प्रस्तुत हैं अमेरिका में एस जयशंकर के भाषणों में से कुछ महत्वपूर्ण उद्धहरण –
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में एस. जयशंकर
‘आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा’ पर प्रतिक्रिया राजनीतिक सुविधा से निर्धारित नहीं होनी चाहिए। क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना ‘चुनिंदा ढंग से’ नहीं किया जा सकता।
- ‘जब कथनी और करनी में दूरी हो जाती है, तो हमें अवश्य ही इसे सामने लाने का साहस करना चाहिए’
- (‘नियम-आधारित’ वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता के संदर्भ में) वे दिन चले गए जब कुछ राष्ट्र वैश्विक एजेंडा निर्धारित करते थे। अभी भी कुछ राष्ट्र हैं जो एजेंडे को आकार देते हैं और चाहते हैं (कि वे) मानदंडों को परिभाषित करें। यह न तो अनिश्चित काल तक चल सकता है और न ही इसे चुनौती दिए बिना जारी रखा जाएगा।
- हमें कभी भी वैक्सीन रंगभेद जैसे अन्याय की पुनरावृत्ति नहीं होने देनी चाहिए। जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से बचती नहीं रह सकती। बाजार की शक्ति का उपयोग भोजन और ऊर्जा को जरूरतमंदों से अमीरों तक पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को जी20 का स्थायी सदस्य बनाया गया। ऐसा करके, हमने पूरे महाद्वीप को आवाज दी, जो लंबे समय से अटकी रही है। सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- यूएनजीए के विश्वास के पुनर्निर्माण और वैश्विक एकजुटता को फिर से जगाने के विषय को हमारा पूरा समर्थन है। यह हमारी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को साझा करने के साथ-साथ हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का भी अवसर है।
‘डिस्कशन एट काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस’ में
- पिछले कुछ वर्षों में, कनाडा ने वास्तव में अलगाववादी ताकतों, संगठित अपराध, हिंसा और उग्रवाद से संबंधित बहुत सारे अपराध देखे हैं। ‘हमने उन्हें इस तरह को अपराधों पर बहुत सारी जानकारियां दी है, जो कनाडा से संचालित हो रही है। बड़ी संख्या में प्रत्यर्पण के अनुरोध किए। वहां ऐसे आतंकवादी नेता हैं, जिनकी पहचान कर ली गई है।
संरा की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में
(फाइव आइज अलायंस की खुफिया रिपोर्ट के संबंध में
- आप गलत आदमी से सवाल कर रहे हैं। न तो मैं फाइव आइज अलायंस में हूं और न ही एफबीआई का सदस्य हूं।
‘साउथ राइजिंग: पार्टनरशिप्स, इंस्टीट्यूशंस एंड आइडियाज’ कार्यक्रम में ‘दुनिया में एक भावना बढ़ रही है और ग्लोबल साउथ एक तरह से इसका प्रतीक है। लेकिन राजनीतिक प्रतिरोध भी है। प्रभावशाली पदों पर बैठे लोग परिवर्तन के दबाव का विरोध कर रहे हैं।’ - वे अच्छी-अच्छी बातें बोलेंगे, लेकिन आज भी वास्तविकता यही है कि यह दुनिया बहुत ही दोहरे मानकों वाली है
- ग्लोबल साउथ एक तरह से एक निश्चित एकजुटता और उदारता और एक साझा भावना वाले समुदाय की अभिव्यक्ति है। मुझे लगता है कि अगर आप ग्लोबल साउथ का हिस्सा हैं, तो आप यह जानते हैं।
टिप्पणियाँ