भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 की मेजबानी करके दिखाया है कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है और इस्लामी राष्ट्रों के साथ भी भारत के संबंध मधुर हैं। विश्व में चल रहे युद्धों के समाधान के प्रति भी भारत ने अपनी बहुमूल्य सलाह से सबका ध्यान खींचा है और लड़ाई की बजाय शांति, समन्वय का मार्ग अपनाने की वकालत की है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष अगर भारत की खुलकर प्रशंसा करे तो यह कोई मामूली बात नहीं है। यह भारत की विश्व में बढ़ती साख और योगदान के बारे में बहुत कुछ बताती है। भारत की पिछले 10 साल में जिस गति से प्रगति हुई है उस देख जहां पश्चिम के विकसित देश हैरत में हैं तो वहीं विकासशील देश प्रेरणा पा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में कभी एक कोने में बैठकर एक अदद भाषण देकर लौटते रहे थे भारत के नेता, लेकिन अब विभिन्न मुद्दों पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सलाह ली जाती है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उन्हें ससम्मान बैठाया जाता है।
शायद इसी सब की ओर इशारा करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने यह कहा है कि भारत की विश्व के विभिन्न विषयों में प्रगाढ़ भूमिका रही है और भारत ने भरपूर सहयोग किया है। डेनिस इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कहा कि भारत का प्रभुत्व लगातार बढ़ ही रहा है। संयुक्त राष्ट्र में डेनिस का कार्यकाल लगभग समाप्ति पर है, इससे ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र के एक महत्वपूर्ण निकाय के अध्यक्ष ने जिस प्रकार मुक्त कंठ से भारत की प्रशंसा की है वह आने वाले वक्त में इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका को भी रेखांकित करता है।
यूएनजीए के अध्यक्ष को आगे तक भारत से बहुत उम्मीद बंधी है, तभी तो उन्होंने कहा कि भारत अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रभुत्व वाली भूमिका आगे आने वाले लंबे वक्त तक बनाए रखने वाला है। भारत की यह भूमिका और दमदार होती जाएगी। डेनिस को पता है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक प्रबल दावेदार है और विश्व के कई देशों की इच्छा है कि इसे स्थायी सदस्य होना ही चाहिए। भारत ने भी अनेक अवसरों पर संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान स्वरूप को बदले वक्त के अनुसार सुधारने की पैरवी की है, लेकिन सदस्य देश इस बारे में कोई फैसला लेंगे, ऐसा कहकर डेनिस ने एक सकारात्मक संकेत दिया है।
वे कहते हैं कि सुरक्षा परिषद के जो वर्तमान में सदस्य हैं वे इस बात का भी निर्णय करेंगे कि कौन—कौन से देश इस महत्वपूर्ण परिषद में होने चाहिए। इस निर्णय के किए जाते वक्त यह बात भी ध्यान में रहनी तय है कि भारत का विश्व में अनेक विषयों में सतत सहयोग मिल रहा है और उसका लाभ भी हो रहा है।
अपनी ओर से संयुक्त राष्ट्र में तेजी से काम करते हुए भारत ने उस झूठी छवि को भी तार—तार किया है कि भारत गरीब और इस्लामी देशों से दूरी बनाकर चलता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 की मेजबानी करके दिखाया है कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज है और इस्लामी राष्ट्रों के साथ भी भारत के संबंध मधुर हैं। विश्व में चल रहे युद्धों के समाधान के प्रति भी भारत ने अपनी बहुमूल्य सलाह से सबका ध्यान खींचा है और लड़ाई की बजाय शांति, समन्वय का मार्ग अपनाने की वकालत की है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस कहते हैं कि भारत ने विकासशील देशों को साथ लाने में अपनी दक्षता साबित की है। उन्होंने कहा कि एक विकासशील देश के नाते भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। स्पष्ट है कि डिजिटलीकरण तथा प्रौद्योगिकी के मुद्दों पर भारत विशेष दिलचस्पी रखता है। भारत ने डिजिटलीकरण में कई आयाम छुए हैं और किसी भी देश के आर्थिक विकास में डिजिटलीकरण का बहुत बड़ा हाथ रहता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथनेनी हरीश से डेनिस ने अपनी भेंट में उनकी भी प्रशंसा की और कहा कि उनमें काफी ऊर्जा है। उनका कहना था कि वह संयुक्त राष्ट्र में हरीश तथा भारत के प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं।
उल्लेखनीय है कि डेनिस फ्रांसिस गत जनवरी माह में चार दिन के दौरे पर भारत आए थे। तब नई दिल्ली में वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मिले थे। उस दौरे में उन्होंने यहां तकनीक तथा डिजिटलीकरण से जुड़े विशेषज्ञों से बात की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख ने भारत में डिजिटली करण के बढ़ते कदमों को देखा था और उनकी जमकर तारीफ की थी।
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