अमेरिका के एक चैनल का एंकर है फरीद जकरिया। इस फरीद का एक वीडियो वायरल हो रहा है। एक अंतरराष्ट्रीय चैनल द्वारा साझा किए गए इस वीडियो में फरीद कनाडा में गत जून में मारे गए खालिस्तानी आतंकी निज्जर को ‘खालिस्तानी एक्टिविस्ट’ बता रहा है। इतना ही नहीं, वह भारत के संदर्भ में प्रधानमंत्री त्रूदो के बयान का समर्थन करता प्रतीती हो रहा है।
फरीद जकरिया किसी जमाने में कांग्रेस के बड़े नेता और ‘सुधारवादी’ बताए जाने वाले रफीक जकरिया का बेटा है, वह अमेरिका में ही रहता है। उसने ‘द ब्लूमबर्ग’ अखबार को उद्धृत करते हुए वीडियो में कहा है, “…मोदी के जीतने में एक चुनावी रैली में उनके द्वारा यह कहे जाने की बड़ी भूमिका रही कि आतंकियों को घुस कर मारेंगे। मोदी ने बिना सबूत के कह दिया था कि विपक्षी पार्टियां आतंकियों के प्रति नरम हैं।”
सीएनएन भी अमेरिका का ही समाचार चैनल है। कल 2 अक्तूबर को इसी चैनल ने भारतीय मूल के अमेरिका के ही टेलीविजन एंकर फरीद जकरिया का उक्त वीडियो जारी किया। इस वीडियो में जकरिया खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत तथा कनाडा के बीच चल रही कूटनीतिक खींचतान के बारे में बोल रहा है।
इस वीडियो की अवधि पांच मिनट की है। इसमें इंदिरा गांधी के जमाने में कांग्रेस के बड़े नेता रहे महाराष्ट्र के रफीक जकरिया के बेटे फरीद जकरिया ने इस बात पर बड़र जोर दिया कि ‘खालिस्तानी आतंकी निज्जर एक आम एक्टिविस्ट था’। जकरिया यह भी कह रहा है कि ‘भारत खालिस्तान को लेकर कुछ ज्यादा ही बोल रहा है, इसे कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले रहा है।’ फरीद के हिसाब से भारत खालिस्तान का विषय इसलिए ज्यादा उठा रहा है, जिससे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा और भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनावों में फायदा मिले’।
इस वीडियो के शुरू में फरीद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो की तरफ से उस बयान का बचाव करता दिखता है जिसमें उन्होंने खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में भारत पर उंगली उठाई थी। ऐसा कहते हुए वह एक कदम आगे जाकर निज्जर को एक आम ‘एक्टिविस्ट’ बताता है और कहता है कि वह तो बस एक गुरुद्वारे का अध्यक्ष था।
Today’s last look: why Trudeau’s startling allegations are playing out very differently in Modi’s India pic.twitter.com/brVKd0Qjzo
— Fareed Zakaria (@FareedZakaria) October 1, 2023
यह वही फरीद जकरिया है जो पहले भी भारत विरोधी जहर उगल चुका है। वह पहले अमेरिका से अपील कर चुका है कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल दी जाए। इसी फरीद ने कभी इस बात की पैरवी की थी कि अमेरिका भारत में गैरसरकारी संगठनो, सांस्कृतिक संस्थाओं तथा प्रेस वगैरह से सीधे संवाद करे।
हालांकि ‘निज्जर का हमदर्द’ फरीद इस बात को छुपा गया कि उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस दो बार जारी हुआ था। आतंकी निज्जर को भारत में 10 आतंकी घटनाओं का अपराधी करार दिया गया था, उस पर बम धमाके करने के आरोप लगे थे।
वैसे फरीद जकरिया ने यह भी छुपा लिया कि असल में त्रूदो खालिस्तानियों के पाले में खड़े हैं तो इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं। फरीद ने भारत के यह मुद्दा उठाने को तो ‘राजनीतिक’ करार दे दिया लेकिन यह नहीं बताया कि जस्टिन त्रूदो की सरकार उस जगमीत सिंह की पार्टी की बैसाखी पर टिकी है जो खालिस्तान की समर्थक है। जगमीत का खुश करने के लिए त्रूदो भारत पर बेवजह आरोप लगाने को बाध्य हुए हैं।
जस्टिन त्रूदो जिस प्रकार की अपरिपक्व बयानबाजी कर रहे हैं, उसका पक्ष लेते फरीद ने आगे कहा कि त्रूदो के सार्वजनिक रूप से भारत पर उंगली उठाने के पीछे वजह है कि भारत पर दबाव पड़े और वह जांच में मदद करने को बाध्य हो जाए।
यह वही फरीद जकरिया है जो पहले भी भारत विरोधी जहर उगल चुका है। वह पहले अमेरिका से अपील कर चुका है कि भारत के आंतरिक मामलों में दखल दी जाए। इसी फरीद ने कभी इस बात की पैरवी की थी कि अमेरिका भारत में गैरसरकारी संगठनो, सांस्कृतिक संस्थाओं तथा प्रेस वगैरह से सीधे संवाद करे। बेशक, फरीद भारत में विपक्षी दलों का पैरोकार है जो किसी भी तरह सत्ता हथियाना चाहते हैं। कूटनीति के मामलों में अपना बचकानापन दिखाते हुए इसी फरीद ने भारत के अपना हित देखने पर ही उंगली उठा दी थी और कहा था कि ‘अमेरिका के सहयोगी को अमेरिका के हित का पहले ख्याल रखना होगा।’
फरीद जकरिया का कहना है कि ‘भारतीय प्रेस को देखें, इस मामले (निज्जर से जुड़े) ने भारत में अति राष्ट्रवाद की भाव उभार दी है, इसमें कनाडा को एक बहु-सांस्कृतिक देश नहीं बताया जा रहा, बल्कि उसे आतंकवादियों की शरणस्थली बताया जाता है। जबकि हिन्दुस्तान टाइम्स का एक आलेख दिखाता है कि निज्जर की हत्या एक ऐसा पल होगा जब पश्चिम की ताकतें भारत के खिलाफ एकजुट हो जाएंगी।’
फरीद भारत के अधिकारियों के सदर्भ में कह रहा है,”भारत के अधिकारियों ने कनाडा पर आरोप लगाया कि उसने आतंकवादियों को पनाह दी हुई है। सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन इसके पीछे संदर्भ यह है कि निज्जर एक सिख अलगाववादी था। वह उन सिखों में से एक था जो भारत में एक पृथक सिख देश की मांग करते हैं और यह मांग दसियों साल पुरानी है। 1980 के दशक में इसे पाने के लिए हिंसक मार्ग अपनाया गया था।”
फरीद जकरिया ने आगे बेवजह ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ का भी उल्लेख किया। उसने कहा, ”समझने की बात है कि खुले तौर पर भारत पर उंगली उठाने की त्रूदो की जो नीति रही, उसने मोदी के हिन्दू राष्ट्रवाद को नहीं समझा। इसके अनुसार, भारत एक लंबे वक्त से पश्चिम की ताकतों तथा अल्पसंख्यकों के सामने दबता रहा।”
जकरिया की बुद्धि कहती है कि ‘भारत के कनाडा नया पाकिस्तान है’। उसका दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह दिखाना लाभकारी होगा कि वह पश्चिमी देशों के बर्ताव तथा सिख अलगाववाद के खिलाफ खड़े हैं।
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